झंकार
तुम जो आए मेरे आँगन में ,
वीणा की मधुरिम झंकार गूँज उठी ,
मेरे घर - आँगन में ।
नज़रें जो मिलीं मेरी ,
तुम्हारी नज़रों से ,
झिलमिलाए सितारे आकाश - गंगा में ।
प्यार के दो लव्ज़ खिले ,
जो होठों पे तुम्हारे ,
मिश्री सी घुल गई मेरे कानों में ।
मेरे अंतर्मन को |
तुम जो आए मेरे आँगन में ,
वीणा की मधुरिम झंकार गूँज उठी ,
मेरे घर - आँगन में ।
नज़रें जो मिलीं मेरी ,
तुम्हारी नज़रों से ,
झिलमिलाए सितारे आकाश - गंगा में ।
प्यार के दो लव्ज़ खिले ,
जो होठों पे तुम्हारे ,
मिश्री सी घुल गई मेरे कानों में ।
तुम्हारे हाथों की छुअन ने पल भर में ही ,
डुबा दिया मदहोशी के सागर में , मेरे अंतर्मन को |
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