"मेरा सपना "
दोनों बाहों के पंख बना कर,नील गगन में उङ जाऊँ ।
ऊँचे नभ में झिलमिल तारे,
उन तारों को छू आऊँ ।
उड़ते -उड़ते मिली चिरैया ,
नन्हीं -नन्हीं , प्यारी -प्यारी ,
चीं- चीं, चीं- चीं, शोर मचाए,बच्चे जाते हैं बलिहारी ,
बनूँ चिरैया मैं भी तब सब ,
बच्चों का मैं दिल बहलाऊँ |
ऊपर मिले मियाँ-मिट्ठू ,
जो गीत मधुर स्वर में गाते ।
मानव स्वर की स्वर-लहरी को ,
उन्हीं की लय में दोहराते ।
मैं उनके मीठे गीतों को,
यादों में अपनी सहेज लाऊँ ।
ऊपर मिली कोकिला मुझको,
बीना की झंकार सी बानी ।
रंग मिला है कृष्ण का उसको,
अमराई की वो महारानी ,
मैं उसके मीठे स्वर को,
यादों में अपनी सहेज लाऊँ ।
ऊपर मिल गए बदरा मुझको,
जल का अतुल भंडार लिए ।
रिमझिम-रिमझिम बरसे जाते,
जग की प्यास बुझाते जाते ।
मैं ऐसे श्यामल बदरा के,
रूप का वर्णन कर पाऊँ ।
संग मेघ के मिली दामिनी,
चमकीला सा रूप लिए ।
चलती सदा संग अपने,
गर्जन का हथियार लिए ।
मैं दामिनी की गर्जन के,
रूप का वर्णन कर पाऊँ ।
काश मैं नभ में जा कर के,
इन्द्रधनुष बन छा जाऊँ ।
इन्द्रधनुष बन छा जाऊँ ।
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