जीवन में रंग
ठंडी हवा का झोंका ,
जब छू गया मुझको ,
ज्येष्ठ की तपिश में ,
सहला गया वो मुझको |
सामने खड़े गुलमोहर ने ,
प्यार से पुकारा ,
आओ मेरी पनाह में ,
दूँगा तुम्हें मैं छाया |
आगे बढ , भरा उसे ,
अपनी बाँहों में ,
झर - झर झरे कुछ फूल ,
सहला गए गालों को मेरे ,
लगा गुलमोहर कह रहा है ,
तुम प्यार दो मुझे ,
तुम प्यार दो मुझे |
मैं फैलाऊँगा हरियाली तुम्हारे आँगन में ,
तपिश भरे दिनों में ,
रंग भर दूँगा तुम्हारे जीवन में |
सच ही तो कह रहा है वो ,
आज इतने बरसों बाद भी ,
जीवन में रंग घोल रहा है वो |
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