'छलकता नीर'
निकल कर बादलों की गोद से ,
झर - झर झरनों से झरता नीर,
समाया नदी के आँचल में ,
कल - कल करता , शोर मचाता ।
नन्हें शिशु सा अठखेलियाँ करता ,
बढ़ चला , सोचता ,
बुझाऊँगा प्यास सभी की ।
लहलहाऊँगा , वनों और खेतों की हरियाली में,
जी उठूँगा सभी जीवों के रूप में ।
पर हाय रे मानव ! रोक दिया रस्ता ,
छलकते नीर का ,कल - कल करती नदिया का ।
ऊँची दीवारें , बङे - बङे फाटक , कैद हुआ नीर ,
उफनते हाहाकार को दिल में समेटे ।
नीर के दिल की जलन , बिजली बन,
मानव के जीवन में जगमगाई ।
मानव खुश था मगर ,
अनजान था नीर के दिल से ,
किया दुरूपयोग नीर का ।
नीर अपमानित था ,
मगर कैद था बाँध में ,
ऐसे में साथ दिया हिम्मत ने ।
अथाह नीर ने अपनी ताकत को समेटा ,
तोङ दिए बंधन,
ना रही दीवारें ना रही जंजीरें ,
उफनता नीर ले गया सब बहाकर .
बेबस हुआ मानव , बह चला नीर के साथ ,
उसी की दिशा में , उसी के वेग से ।
तभी नीर ने सुना , मानव कह रहा था ,
हाय ! बाँध टूट गया , हाय ! बाँध टूट गया ।
झर - झर झरनों से झरता नीर,
समाया नदी के आँचल में ,
कल - कल करता , शोर मचाता ।
नन्हें शिशु सा अठखेलियाँ करता ,
बढ़ चला , सोचता ,
बुझाऊँगा प्यास सभी की ।
लहलहाऊँगा , वनों और खेतों की हरियाली में,
जी उठूँगा सभी जीवों के रूप में ।
पर हाय रे मानव ! रोक दिया रस्ता ,
छलकते नीर का ,कल - कल करती नदिया का ।
ऊँची दीवारें , बङे - बङे फाटक , कैद हुआ नीर ,
उफनते हाहाकार को दिल में समेटे ।
नीर के दिल की जलन , बिजली बन,
मानव के जीवन में जगमगाई ।
मानव खुश था मगर ,
अनजान था नीर के दिल से ,
किया दुरूपयोग नीर का ।
नीर अपमानित था ,
मगर कैद था बाँध में ,
ऐसे में साथ दिया हिम्मत ने ।
अथाह नीर ने अपनी ताकत को समेटा ,
तोङ दिए बंधन,
ना रही दीवारें ना रही जंजीरें ,
उफनता नीर ले गया सब बहाकर .
बेबस हुआ मानव , बह चला नीर के साथ ,
उसी की दिशा में , उसी के वेग से ।
तभी नीर ने सुना , मानव कह रहा था ,
हाय ! बाँध टूट गया , हाय ! बाँध टूट गया ।
बदरा से झरा नीर ,तूफ़ान बन गया ,
बदरा भी फिर से रो दिया ,फिर से रो दिया |
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