'हर सिंगार'
गज़रा बन कर मेरी,
वेणी को सजा गया ।
संगीत के सुरों सी,
लय बद्ध उसकी महक,
मेरी मन वीणा के तारों को,
झंकृत करा गया ।
संगीत महक उठा,
महक गुंजायमान हो उठी,
महकी हुई सरगम,
फिजाओं में,
उस गूँजती महक में,
मेरा तन - मन समा गया ।
ये जीवन,
उस महकती लय की़,
गूँजती झंकार,
मेरी साँसों में,
डुबा गई मुझे,
इस नशीले सागर में,
जिसका नाम है प्यार ।
हर सिंगार फूला आज,
मेरा घर - आँगन महका गया ।गज़रा बन कर मेरी,
वेणी को सजा गया ।
संगीत के सुरों सी,
लय बद्ध उसकी महक,
मेरी मन वीणा के तारों को,
झंकृत करा गया ।
संगीत महक उठा,
महक गुंजायमान हो उठी,
महकी हुई सरगम,
गूँज उठी चहुँ ओर ,
दिशाओं में,फिजाओं में,
उस गूँजती महक में,
मेरा तन - मन समा गया ।
ये जीवन,
उस महकती लय की़,
गूँजती झंकार,
मेरी साँसों में,
डुबा गई मुझे,
इस नशीले सागर में,
जिसका नाम है प्यार ।
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