'उषा'
अल्हङ सी नवयौवना उषा ,
धीरे से प्यार परवान चढ़ा उनका ,
हुई उषा तेजोमय ,
तेज पाकर रवि से ।
हो गया संसार सुनहरा उनका ,
तार बज उठे उनकी जिन्दगी के ।
उषा हो गयी सुनहली साँझ सी ,
हाथ थामे रवि का ,
थकित सी चली ,
जा छिपी , अपने घर में ।
संसार सूना हुआ उनके जाने से ,
आया शशि हाथ रजनी का थामे ,
दुल्हन सी झिलमिलाती सी रजनी ,
शशि के शीतल प्यार में नहाई सी रजनी ।
करी सैर दोनों ने इस धरा की ,
अलसायी सी उषा निकली द्वार से ,
दोनों छिपे देख किरणों के तार से ।
अल्हङ सी नवयौवना उषा ,
जाकर मिली अपने साजन रवि से ।
रंग कर चुनर प्यार की लालिमा से ।धीरे से प्यार परवान चढ़ा उनका ,
हुई उषा तेजोमय ,
तेज पाकर रवि से ।
हो गया संसार सुनहरा उनका ,
तार बज उठे उनकी जिन्दगी के ।
उषा हो गयी सुनहली साँझ सी ,
हाथ थामे रवि का ,
थकित सी चली ,
जा छिपी , अपने घर में ।
संसार सूना हुआ उनके जाने से ,
आया शशि हाथ रजनी का थामे ,
दुल्हन सी झिलमिलाती सी रजनी ,
शशि के शीतल प्यार में नहाई सी रजनी ।
करी सैर दोनों ने इस धरा की ,
अलसायी सी उषा निकली द्वार से ,
दोनों छिपे देख किरणों के तार से ।
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