Saturday, March 5, 2011

MANVEEYA RANG ( JIVAN )

                             " मानवीय रंग "  
        रचा ब्रह्माण्ड रचेता ने  , चांद  तारों का झुरमुट प्यारा ,
       उसी में एक अनोखा मनु  , लिए फूलों का गुच्छा न्यारा  ।
       दौङा दौङा  ,पल पल मानव , करता गया विकास नए,
       खेल खेल में , उसने क्रियान्वित , किये अजूबे नए  नए   ।
       एक अजूबा उसी में उसका  ,बनकर बल्ब हुआ उजियारा,
       बिखरी उसकी छटा तो छंट गया , मानव के घर का अँधियारा ।
         चलता गया आगे को मानव , पाकर फिर आयाम नए,
         रोक पाए न उसको कोई , चाहे जितने जतन किए  ।
        बढ़ते कदमों के जरिए ही , पाया उसने टेलीफोन ,
        पाती की थाती ना थी अब , अब आए मोबाईल फोन  ।
      थमी नहीं रफ्तार अभी भी , घर आया टेलीविजन ,
       घर बैठे  बैठे ही देखा , इस दुनिया का हर रंग   ।
       कल  तक मानव बैठ चौपाल पर ,अपनी पंचायत लगाता था,
        आज दूर- दूर देशों के , हाल जानता मानव है   ।
             लाया मानव कम्प्यूटर भी , इंटरनेट की खोज करी,
             छोटे से स्क्रीन पर उसने , देखी अपनी दुनिया पूरी   ।
           कल परसों की नन्हीं दुनिया ,बनी आज संसार विशाल,
           जीवन पथ पर आगे बढ़ते , पीछे छूटा कल का हाल  ।
          उङता ऊंचे नभ में हरदम , गगन पास में दिखता है,
         ऊपर उङते काले बदरा , अब हाथों से छूता है  ।
         चांद के रथ पर बैठ के मानव , तारों के झुरमुट गिनता है,
         सूरज की किरणों से ही वह , अपने सपनों को सिलता है   ।
           बदरा की चमकीली दामिनी , घर में चमकन दिखलाती है,
           रंगों की छटा बिखरा आंगन में ,इन्द्रधनुष छिटकाती है ।
         पग पग चलने वाला मानव , पहिए पर आगे बढ़ता है ,
        सीढ़ी दर सीढ़ी नहीं चढ़ेगा , लिफ्ट में सीधे चढ़ता है   ।
         रूक पाए ना अब भी वह तो , आगे बढ़ता जाएगा ,
         पाएगा आयाम नए वह , अपनी मंजिल आप बनाएगा   ।
         मानव की मंजिल पता नहीं , है दूर कहां अनजानी ओर,
         कब पाएगा मानव उसको , पकङे अपनी उम्मीदी डोर  ।
         आगे आने वाली दुनिया , देखेगी और भी नये रंग,
        शायद ये मानव ही चल दे , लेकर नए संग और ढंग ।
       रफ्तार बढ़ी है मानव की ,तो दुनिया भी संग दौङ चली ,
     भूली दुनिया पिछला पन्ना  , अगला अध्याय जोङ चली ।
     आने वाला कल मानव का  , क्या रंग नए दिखलाएगा ,
     सतरंगा इन्द्रधनुष क्या अब ,अधिक रंग बिखराएगा ।
 

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