'हुई भोर'
भोर जब हुई तो चमका ,
भोर का तारा ।
उस तारे की छाँव में ,
महका अंगना सारा ।
भोर जब हुई तो ,
चटखीं किलयाँ ।
भोर के ही आने से ,
चहक उठीं चिङियाँ ।
भोर ने ही जीवंत कर दिया ,
गलियारा ।
भोर के आने पर बिखरा ,
सुनहरी रंग ।
भोर के आने पर पंछी ने ,
खोले पंख ।
भोर के आने पर सिमटा ,
नाच उठा मोर ।
भोर को ही देखकर मानव ,
हुआ विभोर ।
भोर के आने पर गूँजा ,
भोर जब हुई तो चमका ,
भोर का तारा ।
उस तारे की छाँव में ,
महका अंगना सारा ।
भोर जब हुई तो ,
चटखीं किलयाँ ।
भोर के ही आने से ,
चहक उठीं चिङियाँ ।
भोर ने ही जीवंत कर दिया ,
गलियारा ।
भोर के आने पर बिखरा ,
सुनहरी रंग ।
भोर के आने पर पंछी ने ,
खोले पंख ।
भोर के आने पर सिमटा ,
कहीं अँधियारा ।
भोर जब हुई तो ,नाच उठा मोर ।
भोर को ही देखकर मानव ,
हुआ विभोर ।
भोर के आने पर गूँजा ,
No comments:
Post a Comment