'मैं कौन'
कैद हुई अंधेरे में , न जाने कितना समय बीता ,
हुआ रूप परिवर्तित ,
अचानक छँटा अँधकार ,एक स्वर गूँजा ,
अरे ! कितना सुन्दर मोती ।
- विलीन जल कण सी ,
हवा के साथ - साथ , कभी इधर,कभी इधर ,
स्पर्श मिला एक गुलाब का ,
शीतल स्पर्श पा , बदला मेरा रूप ,
परिवर्तित बूँद ठहरी वहीं पर ,
उगते सूरज की रिश्मयों ने, झिलमिलाया मुझे ,
तभी मिला स्पर्श किसी के अधरों का ,
ज़ज्ब हुई उन्हीं अधरों पर ,
सुनाई दिया -
आह ! कितनी शीतल ये ओस की बूँद ।
- चाँदनी चाँद की ,
रात के अंधकार को चीरती , पहुँची धरा पर ,
दूध में नहा गई धरा , जगमगा उठी रात भी ,
चकोर ठहर गया वहीं ,
चाँद को निहारता , चाँदनी में नहाता ।
- धूप का एक टुकङा , सदिर्यों की दोपहरी ,
बर्फ से ढकी, शीतलता ओढ़े ,
मिला जो साथ मेरा ,
जीवंत हो उठा दिन ,
आयी एक ताजगी , सोती - अलसाती नींद में ।
- गुलमोहर का एक फूल ,
गमिर्यों के दिन , लू के थपेङे ,
पसीना बहाते मानव , फिर भी काम करते ,
ऐसे में गुलमोहर फूला ,
फूलों के रंग से, वातावरण खिल उठा ,
पसीना भी ठंडा लगा, मानव के हाथ तेज चल
- वर्षा की बूँद हूँ ,ले चली बयार जिसे ,
अनजाने पथ की ओर , कैद हुई अंधेरे में , न जाने कितना समय बीता ,
हुआ रूप परिवर्तित ,
अचानक छँटा अँधकार ,एक स्वर गूँजा ,
अरे ! कितना सुन्दर मोती ।
- विलीन जल कण सी ,
हवा के साथ - साथ , कभी इधर,कभी इधर ,
स्पर्श मिला एक गुलाब का ,
शीतल स्पर्श पा , बदला मेरा रूप ,
परिवर्तित बूँद ठहरी वहीं पर ,
उगते सूरज की रिश्मयों ने, झिलमिलाया मुझे ,
तभी मिला स्पर्श किसी के अधरों का ,
ज़ज्ब हुई उन्हीं अधरों पर ,
सुनाई दिया -
आह ! कितनी शीतल ये ओस की बूँद ।
- चाँदनी चाँद की ,
रात के अंधकार को चीरती , पहुँची धरा पर ,
दूध में नहा गई धरा , जगमगा उठी रात भी ,
चकोर ठहर गया वहीं ,
चाँद को निहारता , चाँदनी में नहाता ।
- धूप का एक टुकङा , सदिर्यों की दोपहरी ,
बर्फ से ढकी, शीतलता ओढ़े ,
मिला जो साथ मेरा ,
जीवंत हो उठा दिन ,
आयी एक ताजगी , सोती - अलसाती नींद में ।
- गुलमोहर का एक फूल ,
गमिर्यों के दिन , लू के थपेङे ,
पसीना बहाते मानव , फिर भी काम करते ,
ऐसे में गुलमोहर फूला ,
फूलों के रंग से, वातावरण खिल उठा ,
गर्मी का अहसास कुछ कम हुआ ,
लू के थपेङे कुछ कम लगे ,पसीना भी ठंडा लगा, मानव के हाथ तेज चल
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