कैसी आज़ादी ?
दासता से मिली आज़ादी ,अपने वीरों के कारण ,
दासता की टूटी बेड़ियाँ ,अपने वीरों के कारण ,
बाहर वालों ने लूटा ,अंदर की फूट के कारण ,
देश गरीबी के गर्त में ,डूबा ना समझी के कारण |
देश में ना थी कहीं एकता ,सब के अलग थे रस्ते ,
मैं हिन्दू हूँ ,मैं मुस्लिम हूँ ,सब थे यही समझते ,
नहीं प्यार था आपस में ,सबके अपने बस्ते ,
भाषाएं सबकी अलग थीं ,अलग थे सब ही चलते |
ऐसे में ही कुछ वीरों ने ,एक सूत्र बनाया ,
सबको बाँधा उसी सूत्र में ,देश प्रेम उपजाया ,
उपजा देश प्रेम जब उनमें ,एक हुए कुछ लोग ,
उन्हीं ने देश भर में ,"स्वराज्य " का नारा लगाया |
समझ गए तब भारतीय ,उनका साथ निभाया ,
बढ़ते -बढ़ते वीर बने सब ,अपना अधिकार जमाया ,
कुछ तो लटके फाँसी पर ,कुछ ने गोली खाई ,
कुछ लोगों ने तो अहिंसा ,का रास्ता अपनाया |
सब मिलकर जब एक हो गए ,दुश्मन डरकर भागा ,
तभी तो मित्रों देश का ,सोता भाग्य भी जागा ,
आज हैं हम आज़ाद देश के ,जिम्मेदार नागरिक ,
अधिकार हमें बहुत प्राप्त हैं ,संविधान जो ऐसा लागा |
नहीं बोलने पर पाबंदी ,नहीं धर्म ,जाति पर ,
पढ़ना ,लिखना मिल जाता है ,जो हम चाहें ,अपनाएं ,
जीवन तो बगिया है मित्रों ,इसमें हम जो चाहें ,
उसी रंग ,उसी खुशबु ,उसी प्यार के ,फूल खिलाएं ,
क्योंकि हम हैं ,आज़ाद देश के ,जिम्मेदार नागरिक ,
सभी वीरों को नमन ,जय हिंद |