प्रकृति
सुंदर -सुंदर एक सखि ,जिसका नाम प्रकृति ,
रिमझिम बदरा सी बरसती ,कड़क दामिनी सी चमकती |
पवन की है वो तो हमजोली ,बदरा संग करती है खेली ,
बरसे रिमझिम सी फुहार ,कभी -कभी मूसलाधार |
जल बह कर नदिया में जाए ,नदिया कल -कल करती जाए ,
मचल -मचल कर नदिया जाए ,सागर में जाकर मिल जाए |
सागर तो रहता है शांत ,पर चंचला उसकी लहरें ,
देशों की सीमा पर जैसे ,सागर तो देता है पहरे |
नीचे है सागर विशाल ,ऊपर बड़े -बड़े पहाड़ ,
दोनों ही हैं फैले ऐसे ,बड़े से पहरेदार हों जैसे |
दोनों ही में अलग है दुनिया ,सागर तो रत्नों की खान ,
अनगिनत जीव और रत्न ,तभी तो रत्नाकर कहलाए |
पहाड़ों में जंगल हैं सजते ,जिनके अंदर जीव हैं बसते ,
उन जीवों का वही है घर ,जीवों से जंगल सुंदर |
जंगलों से हम हैं ,सब कुछ हमको हासिल है ,
अनमोल ख़ज़ाने प्रकृति के ,दुनिया में अपनी शामिल हैं |
सब कुछ हमें प्रकृति देती ,ख़ज़ानों से झोली भर देती ,
सभी आराम इसी से मिलता ,तभी तो अपना जीवन खिलता |
बदले में हम क्या देते हैं ,एक वादा दे सकते हैं ,
प्रकृति को विनाशित नहीं होने देंगे ,नहीं होने देंगे |
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