बताओ मित्रों
दो पल को मिलीं नजरें ,उसमे ही झुक गईं ,
क्या बताऊँ सखियों ,क्या दिल का हाल था ?
कोई जादू था जो मेरे ,दिल में उतर गया ,
क्या जादू था जो मेरे ? दिल को चुरा गया |
शब्दों का जाल मेरा ,दिल बुन रहा था ,
जुबां पे एक भी तो ,ना शब्द आ रहा था ,
लब खुल नहीं रहे थे ,कुछ कह नहीं रहे थे ,
हमेशा से बोलते लब ,सकुचा रहे थे |
कैसे कहूँ मैं जानम ,तुमने दिल चुरा लिया है ,
दिलवाली थी मैं पहले ,बेदिल कर दिया है ,
दिल एक ही तो होता ,वो भी हुआ है चोरी ,
क्या रपट मैं लिखाऊँ ,पर किसके ख़िलाफ़ होगी ?
सखियाँ भी चुप हैं मेरी ,ना दे रहीं सलाहें ,
कैसी हैं ये सखियाँ भी ,मुस्कातीं धीरे -धीरे ,
आज तो मैं मित्रों ,सखियों का ,विश्वास क्या करूँ ?
तुम ही बताओ मित्रों उसे ,कह दूँ या चुप रहूँ ?
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