Tuesday, September 1, 2020

BATAAO MITRON ( PREM )

 

             बताओ मित्रों

 

दो पल को मिलीं नजरें ,उसमे ही झुक गईं ,

क्या बताऊँ सखियों ,क्या दिल का हाल था ? 

कोई जादू था जो मेरे ,दिल में उतर गया ,

क्या जादू था जो मेरे ? दिल को चुरा गया | 

 

शब्दों का जाल मेरा ,दिल बुन रहा था ,

जुबां पे एक भी तो ,ना शब्द आ रहा था ,

लब खुल नहीं रहे थे ,कुछ कह नहीं रहे थे ,

हमेशा से बोलते लब ,सकुचा रहे थे | 

 

कैसे कहूँ मैं जानम ,तुमने दिल चुरा लिया है ,

दिलवाली थी मैं पहले ,बेदिल कर दिया है ,

दिल एक ही तो होता ,वो भी हुआ है चोरी ,

क्या रपट मैं लिखाऊँ ,पर किसके ख़िलाफ़ होगी ? 

 

सखियाँ भी चुप हैं मेरी ,ना दे रहीं सलाहें ,

कैसी हैं ये सखियाँ भी ,मुस्कातीं धीरे -धीरे ,

आज तो मैं मित्रों ,सखियों का ,विश्वास क्या करूँ ? 

तुम ही बताओ मित्रों उसे ,कह दूँ या चुप रहूँ ?

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