साल 2020
रोज रवि आता है ,रोज रवि जाता है ,
ऐसे ही हर दिन के बाद ,रत आती -जाती है ,
माह बिट जाते हैं ,साल बन जाते हैं ,
ऐसे ही साल , 2020 आया |
शुरु से ही इस ,भारी -भरकम साल में ,
एक नन्हें ,अनदेखे , वायरस ने उधम मचाया ,
धीरे से ना चला वो ,तेजी से बढ़ गया ,
बन के महामारी ,दुनिया को है रुलाया |
कैसे बचाए खुद को मानव ,कोई जरा बताओ ?
आगे का रास्ता तो ,कोई जरा सुझाओ ,
कोशिशें तो मानव की ,हैं आज बहुत सारी ,
सफल वो कैसे होगा ,कोई तो समझाओ ?
कैसे बीतेगा ये साल ,शुरु हुआ जो ऐसे ,
रोक दिया है जिसने एकदम ,क्रिकेट मैच का खेल ,
मानव को तो जैसे पिंजरे ,बंद कर दिया इसने ,
जल्दी बिताओ इसको भगवन ,खुल जाए ये जेल |
No comments:
Post a Comment