तेरे जैसा यार कहाँ
बात जब दोस्ती की है ,तो दोस्तों तक जाएगी ,
तभी तो रिश्तों का रंग ,जीवन में ये बिखराएगी|
एक दोस्त है मेरी ,बरस बहुत बीत गए ,
छोटे -छोटे से थे हम ,जब हम दोस्त बन गए |
साथ -साथ हम पढ़े ,खेले साथ -साथ हम ,
शादी के बाद अलग -अलग ,शहर में बसे थे हम |
मगर प्यार दोनों का ,नहीं हुआ कभी भी कम ,
मौका मिला जब भी ,मिलते -जुलते रहे हम |
आज हम दोनों के ही ,भरे -पूरे परिवार हैं ,
आज भी हम दोनों ही ,एक -दूजे के यार हैं |
उसके हसबैंड कहते हमें ,ये लँगोटिया यार हैं ,
उनके इस कमेंट पर हँसते ,हम दो यार हैं |
आगे भी सिलसिला यूँ ,ही जारी रहेगा दोनों का,
ईश्वर से दुआ है अपनी तो,जीवन यूँ ही बीते दोनों का |
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