Sunday, September 20, 2020

OFFICE YA VIDYALAY ( SHORT STORY )

   ऑफिस या विद्यालय     


ऑफिस यानि कार्यालय ,दफ्तर हो या विद्यालय ,

प्यारा लगता है मुझको ,अपना ये दूजा आलय |


मैं तो इससे प्यार करूँ ,समय नहीं बर्बाद करूँ ,

बच्चों में रम जाती मैं ,उनमें ही खो जाती मैं |


बच्चे मेरे प्यारे हैं ,सारे जग से न्यारे हैं ,

कहना मेरा माने हैं ,मुझको खूब पहचानें  हैं |


करें पढ़ाई वो जी भर ,कभी करें शैतानी जो ,

और मैं चुप हो जाऊँ तो ,मुझको खूब हँसाएँ वो |


प्यार बहुत है आलय से ,प्यार बहुत विद्यालय से ,

कर्म की मैं पूजा करती ,कर्म से ना पीछे हटती |





No comments:

Post a Comment