गवाही कौन देगा ?
अरमान हों या सपने ,दोनों तो होते अपने ,
उनके क़त्ल की गवाही ,कौन देगा ?
दिल गवाह अरमानों के क़त्ल का ,
मगर ज़ुबां न होती दिल की ,
कैसे देगा वो गवाही क़त्ल की ?
नींद गवाह सपनों के क़त्ल की ,
मगर नींद तो सोयी हुई है ,
कैसे देगी वो गवाही क़त्ल की ?
जब गवाह नहीं ,सबूत नहीं ,
कैसे कातिल मिलेगा ?
कैसे सजा मिलेगी ?
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