साइकिल
बचपन में मिली साइकिल बंधु ,
नहीं आज तक चल पाई ,
बिना गियर वाली साइकिल भी ,
दो पहियों पर ना संभल पाई |
पाँच गियर वाली मारुति को ,
हम तो खूब चला पाए ,
सीखा ना बचपन में फिर भी ,
हम उसको दौड़ा पाए |
कार के चक्के दौड़ गए ,
काली सी इन सड़कों पर ,
पर दो पहियों वाली साइकिल ,
अब भी रुकी पड़ी है ,
नहीं चली है अब तक बंधु ,
आज भी अड़ी खड़ी है |
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