Tuesday, September 1, 2020

CYCLE ( MANORANJAN )

    साइकिल 


बचपन में मिली साइकिल बंधु ,

नहीं आज तक चल पाई ,

बिना गियर वाली साइकिल भी ,

दो पहियों पर ना संभल पाई |


पाँच गियर वाली मारुति को ,

हम तो खूब चला पाए ,

सीखा ना बचपन में फिर भी ,

हम उसको दौड़ा पाए |


कार के चक्के दौड़ गए ,

काली सी इन सड़कों पर ,

पर दो पहियों वाली साइकिल ,

अब भी रुकी पड़ी है ,

नहीं चली है अब तक बंधु ,

आज भी अड़ी खड़ी है |

No comments:

Post a Comment