स्त्री हूँ मैं
एक स्त्री हूँ मैं ,हाँ जी हाँ स्त्री हूँ मैं ,
परिवार वालों के लिए ,एक मिस्त्री हूँ मैं ,
एक स्त्री हूँ मैं |
बेटी ही बन के आई ,मैं इस संसार में ,
माता -पिता तो जैसे ,मिले उपहार में ,
भाई -बहिनों के लिए ,जीजी हूँ मैं ,
एक स्त्री हूँ मैं |
दोस्त मिले ,सखियाँ मिलीं ,खेलों की कलियाँ खिलीं ,
पढ़ाई और खेलों में डूबके ,आगे ही चली हूँ मैं ,
एक स्त्री हूँ मैं |
शादी के बाद ससुराल पहुँची ,प्यार की दुनिया सजी ,
सपनों में जैसे चलते -चलते ,जिंदगी आगे बढ़ी ,
जीती -जागती प्यारी सी ,एक गुड़िया मिली ,
वो ही तो बिटिया मेरी ,
एक स्त्री हूँ मैं |
जननी हूँ अपने बच्चों की ,प्यारा सा परिवार है ,
कर्त्तव्य सभी अपने हैं ,कोई ना अधिकार है ,
कर्त्तव्य कब जुड़ गए ,अधिकार क्यों खो गए ?
क्या इसलिए क्योंकि ----
एक स्त्री हूँ मैं |
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