व्यवहार मीठा
"हिंदु ,मुस्लिम ,सिख ,ईसाई ,आपस में हैं भाई -भाई "
नारा दिया गया ,मगर क्या ये सच है ?
यदि ये सच है तो ,फिर देश में इतने दंगे क्यों हैं ?
क्यों पड़ोसी ही पड़ोसी का दुश्मन बना है ?
अलग -अलग क्यों सोच है ? अलग -अलग क्यों भाषा ?
अलग -अलग क्यों है दोस्त ,धर्म की परिभाषा ?
कोई मूर्ति पूजता ,कोई पढ़े नमाज़ ,
कोई गुरबानी सुने ,कोई चर्च में जाए ,
एक दूजे की पूजा में ,कोई ना शीश झुकाए ,
जब ईश्वर एक है फिर ,पूजा के तरीके में क्या रखा है |
हाथ बढ़ाओ प्रेम से ,प्यारा हो व्यवहार ,
पूजा कैसे भी करो ,करना क्या विचार ?
मानव बन के आए थे ,इस धरती पर तुम ,
क्या ईश्वर ने भेजा धरा पर ,बना के तुम्हारा धर्म ?
मानव ही बन कर रहो ,मानवता के साथ ,
व्यवहार रखो तुम मीठा ,हर मानव के साथ ,
जीवन भर खुशियाँ ही ,बाँटो सब के संग ,
सब के जीवन में भरो ,इंद्रधनुष के रंग |
ईश्वर भी खुश होगा ,जब ऐसा देखेगा ,
फूलों में वो हँस देगा ,खुशबुएँ बिखेर देगा ,
मानवता की राहें ,भर जाएंगी मानवों से ,
आने वाली पीढ़ियाँ ,खिल जाएंगी दुआओं से |
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