चक्र जीवन
का
मृत्यु जिसे समझे दुनिया ,वो क्या है ?
शरीर ही नष्ट होता है ,आत्मा तो अमर है ,
परमात्मा का अंश है ,आत्मा तो अमर है |
हम कपड़े बदलते हैं ,आत्मा भी बदलती है ,
वह शरीर पुराना छोड़कर ,नया धारण करती है ,
नए पुराने में कन्फ्यूजन ना हो हो ,इसलिए परमात्मा ,
पुराने जीवन की यादों को ,भुला देता है |
जन्म नया मिलता है ,फूल नया खिलता है ,
चक्र जन्मों का तो ,इसी तरह चलता है ,
परमात्मा ने ये ,चक्र इसीलिए बनाया है ,
आत्मा भी उसी ,परमात्मा का ही साया है |
घबरा मत इंसान ,इस मृत्यु जैसे शब्द से ,
पुराना जाएगा नहीं ,तो नया कैसे आएगा ?
जीवन का चक्र ,कैसे चल पाएगा ?
परमात्मा क्या हर दिन ,नई आत्माएं बनाएगा ?
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