उनकी बच्ची
सुनते हुए किलकारियाँ ,घरों में सभी के ,
मायूस वो हो जाते थे ,सोच में पड़ जाते थे ,
ईश्वर ने हमें इस सुख से ,वंचित क्यों रखा ?
फिर डॉक्टर ने सुझाया ,एक रास्ता दिखाया ,
नहीं मायूस हो जाओ तुम ,
खुशियाँ मिल जाएँगी ,तुम्हें भी और उसे भी ,
गर उसे अपनाओ तुम |
उसे ? किसे ? वो हैरान थे ,
प्रश्न उनके चेहरे पर था ,तभी डॉक्टर बोली ,
एक एक्सीडेंट में ,एक बच्ची क छोड़कर ,
सभी परिवार जन स्वर्गवासी हो गए ,
बच्ची है सिर्फ दो माह की ,
तुम उसे अपनाओ ,खुशियों को बढ़ाओ ,
सुन सारी बात दोनों खिल उठे |
बच्ची घर लाए ,मानो रोशनी लाए ,
कागज़ी कार्यवाही ,दत्तक पुत्री ,
माता -पिता बनकर ,
खुशियों का आर ना पार था ,
दोनों हुए व्यस्त ,पुत्री के साथ व्यस्त ,
अब तो जिंदगी हुई मस्त |
उनकी भी संतान है ,
खुशियों की खदान है ,
उनके आँगन में भी ,
किलकारियों का गान है ,
भाग्य तू बलवान है |
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