Thursday, September 3, 2020

PAHAADON KAA KHAZANA (JIVAN )

             पहाड़ों का  खज़ाना 

 

सूर्य रश्मियाँ बिखर गईं ,पहाड़ों की चोटी पर ,

बहती हुईं  नदियाँ जैसे ,नीचे को उतर गईं ,

आँखों से दिल में उतर गया ,दृश्य वो पहाड़ों का ,

लगा ऐसा हमको ,पहाड़ों को सोना कर गईं | 

 

पहाड़ों पे फैले जंगल ,हरियाली फैली हुई है ,

शुद्ध हवा का मानो ,गोदाम बन गई है ,

साँसें हमारी जैसे ,उन पर ही निर्भर हैं ,

जिंदगी पे ये हरियाली ,एक क़र्ज़ बन गई है | 


झर -झर झरते हैं झरने ,पहाड़ों के सीने से ,

शुद्ध ,शीतल जल हमें ,मिलता है इन्हीं से ,

ऐसा शुद्ध जल हमें ,और कहाँ मिलेगा ? 

क्या खूब है प्रकृति ,रची है रचेता ने ? 


ये सब खज़ाना है छिपा ,पहाड़ों के सीने में ,

जो धीरे -धीरे देता ,झोली हमारी भरता ,

जिंदगी हमारी ,निर्भर इन्हीं पर करती ,

बिन मोल ये खज़ाना ,हमको है देती रहती | 


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