अनसुलझी मर्डर मिस्ट्री
थे मेरे भी कुछ अरमान ,
थे मेरे भी कुछ सपने ,
जिनको पूरा करने की ,
खूब की कोशिश हमने |
कुछ पूरे हुए अरमान ,
कुछ पूरे हुए सपने ,
बाकि के नहीं हुए पूरे ,
टूटे वो अरमान ,टूटे वो सपने |
किसने वो तोड़े अरमान ?
किसने वो तोड़े सपने ?
किसने उनका खून किया ?
किसने उनका क़त्ल किया ?
जाकर पता लगाए कौन ?
सभी खड़े हैं देखो मौन ,
नहीं सबूत है कोई भी ,
नहीं गवाह है कोई भी |
ये मर्डर मिस्ट्री यारों ,
रह जाएगी अनसुलझी ,
तुम ही कुछ कर पाओ तो ,
सच का पता लगाओ तो |
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