Thursday, July 30, 2020

HEERE KEE PARAKH (SHO STO )

       हीरे की परख

परखे जो हीरे को ,
जौहरी वह कहाता है ,
मानव को परखे दुनिया में ,
वह भगवान कहाता है ,
दूजे के दुःख से द्रवित हो जो ,
वह इंसान कहाता है |

हीरा तो एक सुंदर पत्थर ,
आभूषण में लगता है ,
उससे तो अच्छा लोहा है ,
जरूरतें पूरी करता है ,
उसके बिना घर का कोई ,
काम नहीं हो पाता है ,
बिना रसोईघर के तो कोई ,
घर ही नहीं चल पाता है ,
लोहे की कीलों के बिना तो ,
कोई द्वार नहीं लग पाता है |

फूल सभी सुंदरता देते ,
आँखों को खुश कर देते ,
खुशबु फैलाते सब ओर ,
दिल खुश हो जाते हैं ,
ये खुशियाँ हैं बिना मोल की ,
फिर भी हैं कितनी अनमोल ?

पेड़ों से हम पाते रहते ,
अनगिनत वस्तुएँ मोल बिना ,
देते हम क्या मोल स्वरुप ,
पानी ,खाद और सुरक्षा ,
उसी के बदले वो जीवन भर ,
भरण हमारा करते हैं ,
फिर भी हम हीरे को ,
क्यों अनमोल समझते हैं ?

प्रकृति हमें देती उपहार ,
भिन्न - भिन्न और सुंदर से ,
उपयोगी हैं जीवन में ,
और उनके बिना हम कुछ भी नहीं ,
वही हैं असली हीरे अपने ,
उनकी चमक बढ़ाओ तुम ,
मदद करो दूजों की मानव ,
और इंसान कहाओ तुम |

TOO SATH HAI TO MUJHE KYA KAMEE HAI (SHO STO )

तू साथ है तो मुझे क्या कमी है

तू ही मेरा साथी ,तू ही तो जहान है ,
मेरे सपनों की ,तू ही तो उड़ान है ,
जिंदगी है फूल सी ,महक का मकाम है ,
तेरे साथ में ही तो ,खुशियों में कलाम है |

जिंदगी में हर खुशी ,साथी तेरे साथ है ,
ख्वाबों में तू बसा ,प्यार तेरे साथ है ,
खिलने वाले फूलों में ,महक तेरे साथ है ,
चाँद की चाँदनी में ,चमक तेरे साथ है |

सागर की लहरों में ,चंचलता तेरे साथ है ,
चलती हुई पवन में ,शीतलता तेरे साथ है ,
मीठे से गीतों में ,संगीत तेरे साथ है ,
कमी नहीं जीवन में ,तू जो मेरे साथ है |

होली के रंग हों ,या दिवाली के दीये ,
सब कुछ तेरे साथ ही रोशन किए ,
फूलों के रंग मेरे ,घर में बिखर गए ,
वो सभी मिलके घर को ,इंद्रधनुष कर गए |

इन्हीं सब खुशियों में तो ,
याद आता इक गीत है ----
" तू साथ है तो मुझे क्या कमी है ,
अंधेरों में भी आ गई रोशनी है " |

Tuesday, July 28, 2020

EK LADKEE JO ICECREAM PARLOUR ME MILI THI ( SHO STO )

एक लड़की जो ,
आइसक्रीम पार्लर में मिली थी


एक दिन गए हम आइसक्रीम खाने
स्वाद को अपने और बढ़ाने ,
वहाँ मिली एक नन्हीं गुड़िया सी लड़की ,
जो आई थी वहाँ पर आइसक्रीम खाने  |

नजरें मिलीं तो हम मुस्काए ,
उसने भी मुस्काकर कदम बढ़ाए ,
आई जो पास हमने कहा -- हैलो ,
वह अपना कप बढ़ाकर बोली -- येलो ,

हमने उसे चखा,तो उसने पूछा---
आंटी कैसी लगी?हम मुस्काए कहा -स्वीटी,
वो बोली -अरे आंटी ! आपको मेरा नाम,
कैसे पता ? हमने कहा -जादू से |

अब हमने पूछा -कौन सा फ्लेवर खाओगी ?
उसका जवाब था -मैंगो ,
एक स्कूप लेकर हमने उसे खिलाया ,
और हमने चखा ,अब तो हम दोस्त थे |

उस पार्लर के सभी ,फ्लेवर दोनों  ने खाए ,
अब हम क्या करें ? क्या खाएँ ?
हमने मिक्सिंग शुरू की ,
दो फ्लेवर्स एक साथ मिलवाए ,
नया टेस्ट बनाया ,खिल -खिलकर खाया |

दो के बाद तीन का नंबर आया ,
पार्लर वाला भी चकराया ,
ये कैसे ग्राहक हैं ?
हम दोनों को अपने साथियों का ,
ध्यान भी नहीं आया |

उस दिन के बाद हम फिर ,
कभी नहीं मिले दोस्तों ,
पर आज भी वह स्वीटी ,
आँखों में बसी है दोस्तों ,
अगर कहीं मिले आपको ,
सुनाए ये वाक़या  तो ,
कृपया हमसे मिलाना जरूर दोस्तों |

LIKAHAA KHAT SOORAJ NE ( KSHANIKAA )

लिखा खत सूरज ने 


सुनो - सुनो क्यों अभी तक ,मैं तो कब का जाग गया ,
रात का सारा अँधियारा ,मेरे आते ही भाग गया ,
पर तुम निद्रामग्न हो मानव ,अंधकार में डूबे हो ,
पेड़ - पौधे सब जागे मानव ,नदिया का पानी जाग गया |


मुझसे ,जल से जीवन उपजा ,पानी में और धरती पर ,
तुझे मिली अपर सम्पदा ,पानी में और धरती पर ,
हरे -भरे जंगल थे मानव ,वर्षा छम -छम आती थी ,
तभी तो इस धरती पर मानव ,नदिया कल -कल जाती थी |


तूने जंगल काटे मानव ,नदिया का पानी किया गंदा ,
प्रकृति का विनाश हुआ मानव ,क्या अब तू उससे पाएगा ?
प्रकृति हो रही क्रोधित मानव ,क्या तू अब बच पाएगा ?
कहीं बाढ़ है ,कहीं है सूखा ,तूने क्या ये कर डाला ?
डाल गंद नदिया सागर में ,पानी को गंद बना डाला |


स्वच्छ धरा ,स्वच्छ नदियाँ थीं ,पानी में जीव पनपते थे ,
पर तेरे कर्मों की मानव ,वो सब सजा भुगतते हैं ,
अभी संभल जा तू मानव ,नहीं तो बहुत पछताएगा ,
तेरे आने वाले कल में ,क्या कुछ भी बच पाएगा ?


तेरी आने वाली पीढ़ी के ,पास ना कुछ बच पाएगा ,
तूने सब बर्बाद किया है ,तू भी बर्बादी पाएगा ,
जीव -जंतु कुछ नहीं बचेंगे ,पेड़ -पौधे मिट जाएंगे ,
क्या ऐसी धरती पर मानव ,बच्चे तेरे रह पाएंगे ?


तुझे पता है जीवन में ,चार कल ही आते हैं ,
बचपन ,यौवन ,प्रौढ़ावस्था और बुढ़ापा ,
फिर तो मृत्यु निश्चित है ,
मेरी भी अब प्रौढ़ावस्था ,फिर मेरा बुढ़ापा आएगा ,
तू ही सोच जरा मानव ,क्या मृत्यु मेरी रोक पाएगा ?


गर मैं चला गया दुनिया से ,फिर अँधियारा छाएगा ,
तू भी मानव उसी समय ,अंधकार में खो जाएगा ,
इसीलिए तू अभी संभल जा ,लौट और दोस्त बन जा ,
अपनी प्रकृति ,अपनी धरा , अपनी नदिया ,सागर का ,
बचा ले मानव धरा को अपनी , सूरज अपना नया बना ,
मेरी ऊर्जा समेट कर मानव ,दे उसको आयाम नया ,
इसी को तू इकठ्ठा करके ,कर दे अब एक काम नया |

EK SHAPIT SANTAN , NAHEEN EESHWAR KA VARDAN ( SHO STO )

एक शापित संतान ,
नहीं ईश्वर का वरदान

शाप नहीं होता कोई ,शापित कोई कैसे होगा ?
शापित संतान नहीं होती ,माँ से तुम पूछो मित्रों ,
संतान तो दिमाग की सोच है ,दिल की धड़कन है ,
ओस की बूँद है ,उम्मीद की किरन है |

संतान तो नन्हीं सी मुस्कान है ,जीवन का गान है ,
गीतों के बोल है ,रत्न अनमोल है ,
उगता सा अंकुर है ,जो बढ़ने वाला है ,
नहीं सी कली है ,जो खिलने वाली है |

प्यार में डूबी ऐसी संतान ,जो अपने शरीर का ही अंश है ,
अपनी आत्मा ,अपनी रूह की ,फोटोकापी है ,
उनसे पूछो जिनके संतान नहीं होती ,
कुदरत उनपे मेहरबान नहीं होती ,
अकेले रहते हैं वो दोनों ,जिनके संतान नहीं होती |

अपनी संतान को देखना ,उसकी मुस्कानों को देखना ,
पहले कदमों ,पहले बोलों ,पहली किलकारियों को सुनना ,
उसे बढ़ते ,फलते -फूलते देखना ,सबसे बड़ी नियामत है ,
वो तो ईश्वर का वरदान है ,हरेक माता -पिता को |

Sunday, July 26, 2020

EK SACHCHA DOST ( SHO. STO. )

 
                        एक सच्चा दोस्त

दुनिया में आते ही हमने ,अपने दोस्त बनाए ,
घर में माँ - बापू थे , तो बहार पक्षी ,पौधे ,
नन्हीं चिड़िया हमें बुलाए ,तोता हमारे मन भाए ,
मोर देखकर हम भी नाचें ,हँस -हँस कर हम गाएं |

बड़े हुए तो फूल ,पत्तियाँ ,कर इकठ्ठा लाए ,
अपने बैग में रखकर के ,स्कूल सभी ले जाएँ ,
खुश होकर हम अपना सब कुछ ,टीचर को दिखाएँ ,
वो भी सब कुछ देखकर ,हमसे खुश हो जाएँ |

दोस्त बने स्कूल में ,और पड़ोस के घर में ,
खेलें -कूदें साथ -साथ में ,करें बात आपस में ,
पेड़ -पौधों से करें हम बातें ,फूल हमारे दोस्त ,
बिल्ली के संग दौड़ लगाएँ ,कुत्ते भी हैं दोस्त |

सभी हमारे संग हैं खेलते ,प्यार हमें हैं करते ,
बाहर जाते ही  आते ,कूँ -कूँ , कूँ -कूँ करते ,
सभी दोस्त अच्छे हैं अपने ,सभी हैं सच्चे दोस्त ,
उन सब में से कैसे चुनें हम ,केवल एक सच्चा दोस्त ? 

PYAAR HUA ( PREM )

                    प्यार हुआ 


एक लाइब्रेरी कॉलेज की थी ,जिसमें हम जाते रहते थे ,
"शांत रहिए" सुन - सुन कर भी ,बातें हम करते रहते थे ,
आज लाइब्रेरी पब्लिक की ,हम सदस्य हैं उसके आज ,
आज शांत हम स्वयं बैठते , हमें किताबों से है प्यार |

हरेक विषय की किताबें रखीं , रहती हैं लाइब्रेरी में ,
कुछ विषय हमारी इच्छानुरूप ,कुछ के पन्ने कभी ना पलटे ,
हमें रूचि है विज्ञानं पढ़ने में ,इतिहास भी मनोरंजक लगता ,
मस्तिष्क को आराम देने में ,कविता ,कहानी का साथ लगता |

प्यार बसा है लाइब्रेरी में ,हम वहाँ बैठ प्यार हैं पाते ,
विभिन्न लेखकों ,कवियों का ,मस्तिष्क वहाँ हम पढ़ पाते ,
पता नहीं लेखक क्या सोचें ? क्या सोचें कवियों के दिल ?
हम तो उनकी रचनाओं से मिलते ,नहीं उनसे पाए मिल |

लाइब्रेरी में खुशबु फ़ैली रहती ,चहुँ ओर ज्ञान की ,
खोजें हैं विज्ञानं की ,कविताओं की तान की ,
दिल, दिमाग सारे में घूमें ,वैज्ञानिकों महान की ,
इतिहास की सदियाँ घूमें ,किताबों के लिखान की |

प्यार हमें है सबसे ,वैज्ञानिक हो या लेखक ,
वीर रस के कवि हों ,या हों छायावादी कवयित्री ,
हमें प्यार हुआ लाइब्रेरी में ,
हमें प्यार हुआ लाइब्रेरी से |

Thursday, July 23, 2020

AAG KA DEVTA ( SHO STO )

   आग का देवता 

ये कहानी आदि मानव की ,
गुफा में जब वह रहता था ,
कैसे बचें खूंखार पशु से ?
ये सब नहीं जानता था ,
तभी अचानक कहीं जंगल में ,
आग लगी भई आग लगी ,
दूर आग से पशु सभी भागे ,
मानव बुद्धि जाग पड़ी |

समझ में मानव की आया ,
आग से डरते सभी पशु ,
आग इकट्ठी कर मानव ने ,
पशुओं को दूर भगाया ,
सूखी पत्तियों ,लकड़ी से ,
उसने आग को भड़काया ,
ऐसे ही अचानक मानव ने ,
नई आग को जलाया |

संगी -साथी बनी आग फिर ,
मानव ने आग के आगे शीश झुकाया ,
धीरे -धीरे मानव ने फिर ,
पका के खाना खाया ,
अब तो मानव ने आग को ,
ईश्वर अपना बनाया ,
अलग -अलग विधि से मानव ने ,
पूजा - पाठ कराया |

मंत्र ,प्रार्थना धीरे -धीरे उपजे ,
हवन  ,पाठ भी जाग गए ,
मंदिर बने तो मानव ने उसमें ,
दीपक खूब जलाए ,
कभी हुआ नुकसान आग से ,
मानव ने ये सोचा ,
कुछ गलती हुई है उससे ,
तभी तो अग्निदेव क्रोधित हुए |

आज भी जारी अग्निदेव की ,
पूजा ,अर्चना ,मंत्र ,
आगे भी ऐसा ही होगा ,
जब तक शुद्ध न होगा तंत्र |

TITLEE ( JIVAN )

 तितली 

बन के तितली ,दिल मेरा उड़ा ,
उड़ के वो पहुँचा ,फूलों के गाँव में ,
बादलों की छाँव में ,नदिया की नाव में |

फूल खिले थे रंग -बिरंगे,दिल मेरा पहुँचा वहाँ ,
बच्चों की एक टोली भी ,आ पहुँची खेलने वहाँ ,
देखी रंग -बिरंगी तितली ,बच्चे उसे पकड़ने दौड़े ,
जब वो तितली हाथ ना आई ,बच्चे हुए उदास |

उड़ के वो तितली पहुँची ,एक बच्चे के हाथ पे ,
वो मुस्काया तो ,दूसरों ने भी अपना हाथ फैलाया ,
उड़ -उड़ कर के तितली ,बारी -बारी बैठी सबके हाथ पर ,
सभी खिलखिलाए , नहीं रहा कोई उदास |

बादलों की छाँव में ,दिल मेरा पहुँचा तो ,
रंग -बिरंगी देख के तितली ,दामिनी चमकी ,
कड़क दामिनी की सुनकर ,तितली तो घबरा गई ,
छिपने का स्थान ढूँढ़ते देख ,बादल समझ गए ,
दामिनी को रोका ,पवन संग की अठखेलि ,
नन्हीं तितली समझ गई ,बदरा ,दामिनी संग खेली |

नदिया में तैरती नाव में ,अब तितली आई ,
नाव तो तैर रही थी , तितली उड़ -उड़ कर आई ,
नाव में बैठा प्रेमी जोड़ा ,उनको तितली भायी ,
अपनी बातें भूलकर,तितली संग खेले दोनों ,
तितली को तो बड़ा मज़ा ,आया इन सब खेलों में ,
मेरा दिल भी खुशी से ,फूला नहीं समाया |

JUDVAN BAHANEN ( SHORT STORY )


Tuesday, July 21, 2020

EK PLAIN CRASH ME BACHA AAKHIREE JINDA INSAN ( SHORT STORY )

 
  एक प्लेन क्रैश में बचा आख़िरी जिन्दा इंसान

एक सुबह ऐसी आई ,साथ में बुरी खबर लाई ,
रात 11:50pm पर उड़ा,प्लेन हो गया क्रैश ,
हम हुए शोक मग्न,था अपना दोस्त उसी में,
अब हम लगे ढूँढने न्यूज,क्या सच में हुआ क्रैश?

न्यूज सच्ची थी दोस्तों,पूरी अभी थी नहीं पता,
बेचैनी से समय बिताया,ढाँढस सब को बँधाया,
घंटों बाद जो मिली बुरी,खबर उसने हमें हिलाया,
उस प्लेन में दोस्तों ,कोई भी नहीं बच पाया |

उसका परिवार,रिश्तेदार, दोस्त,संगी-साथी,
परेशान थे,दुःखी थे,मगर क्या कर सकते थे?
बस ऐसे में सभी,ईश्वर से दुआ माँग सकते थे,
काश ऐसा हो सकता,उसकी साँसें लौट आतीं |

पता नहीं तीन दिन बाद ,क्या चमत्कार हुआ ,
 उसके परिवार को,शिनाख्त के लिए बुलाया,
किसी इंसान के जिन्दा,होने की खबर मिली,
एक उम्मीद ,आशा ले साथ , वो लोग गए |

देखने पर पता चला ,वही था जिन्दा ,
प्लेन क्रैश में बचा ,अकेला इंसान ,
मौत को उसने ,करीब से था देखा,
मगर शायद सब की ,दुआओं से बचा ,
वह था मेरा दोस्त,भाग्यवान इंसान ,
शुक्रिया भगवान ,शुक्रिया भगवान |

EK RISARCHAR KEE DAIREE ( SHORT STORY )

       एक रिसर्चर की डायरी

एक रिसर्चर की डायरी ,आज हमारे हाथ लगी ,
उत्सुकता वश हमने ,उसे खोल कर पढ़ी ,
उसमें था रिसर्च का विषय ,'प्रेम एक खोज '|

उद्देश्य लिखा था ---- प्रेम एक खोज |

सामग्री का कॉलम था ---- दो जोड़ी आँखें ,
                                दो दिल , दो जुबानें |      
 
विधि के कॉलम में लिखा था ----
           एक जोड़ी आँखों ने देखा ,
           दूसरी जोड़ी आँखों को ,
           आँखों की प्रतिक्रिया ,
           दिलों में पहुँची ,
           दिलों की धड़कनों में ,
            बदलाव आया ,तेज हुई |

अनुभव का कॉलम था ----
             दोनों ही दिलों में ,
             मिलने की इच्छा जगी ,
             जिससे कदम बढ़े ,
             पास आए तो ,
             कुछ बोलने की हिम्मत आई |

परिणाम हुआ ---- जुबानें बोल उठीं ,
                           मुझे तुमसे प्रेम है ,
                           आई लव यू |

                    खोज सम्पन्न हुई |  

Sunday, July 19, 2020

DANCE PE CHANCE (SHORT STORY )

 
    डांस पे चांस


संगीत हमारी रग -रग में था ,
पैर हमारे थिरकते थे ,
मंच पे नृत्य देखते ही ,
हम भी करने को मचलते थे |

छोटे शहर की छोटी सोच ,
गाना  , नाचना बात बुरी ,
पर हमने जब पापा से पूछा ,
उन्होंने की इच्छा पूरी |

हमने सीखा नृत्य कुछ समय ,
कॉलेज में थिरके कई बार ,
हर कार्यक्रम बिता दिया ,
संगीत ,नृत्य में कई बार |

फिर मंच मिला हमको दोस्तों ,
दिल जीता हमने सबका ,
अब पैर थिरकते हैं दोस्तों ,
हम भी खुश हैं ,बाकि सब भी |

आगे भी जब जैसा होगा ,
हम कहेंगे सबको एक बात ,
'डांस पे चांस मारले ',
मौका मिले तो छोडो मत |

संगीत हमारी रग -रग में था ,
पैर हमारे थिरकते थे ,
मंच पे नृत्य देखते ही ,
हम भी करने को मचलते थे |

छोटे शहर की छोटी सोच ,
गाना  , नाचना बात बुरी ,
पर हमने जब पापा से पूछा ,
उन्होंने की इच्छा पूरी |

हमने सीखा नृत्य कुछ समय ,
कॉलेज में थिरके कई बार ,
हर कार्यक्रम बिता दिया ,
संगीत ,नृत्य में कई बार |

फिर मंच मिला हमको दोस्तों ,
दिल जीता हमने सबका ,
अब पैर थिरकते हैं दोस्तों ,
हम भी खुश हैं ,बाकि सब भी |

आगे भी जब जैसा होगा ,
हम कहेंगे सबको एक बात ,
'डांस पे चांस मारले ',
मौका मिले तो छोडो मत |

NALA -NALA JINDGEE (SHORT STORY ) MAU FES

नाला - नाला जिंदगी

बदरा कुछ ऐसे बरसे हैं आज ,
मानों बदरा की चारदीवारी टूटी है आज ,
पानी की रफ़्तार ऐसी बढ़ी ,
नदिया उफन कर शहरों में घुसी |

सड़कों पे पानी बहने लगा ऐसे ,
गाड़ियाँ नहीं चल पाएंगी जैसे ,
पैदल भी जनता चलेगी फिर कैसे ?
नावों की ही जरूरत है जैसे |

लगता नहीं है ये शहर के जैसा ,
पानी घुसा है घरों में ये ऐसा ,
सामान सारा पानी में डूबा ,
हुआ ये अचानक नुकसान कैसा ?

शहर का सारा कचरा पानी में घुला है ,
लगता है जैसे नाला ही बह  रहा है ,
कोई सूखी जगह तो घर में नहीं है ,
हरेक जन तो जैसे नाले में रह रहा है |

डूब गई जैसे जिंदगी नाले में ,
रोक नहीं सकते पानी को ताले में ,
कैसे रोकें नदिया के इस उफान को हम ?
जीना पड़ रहा है हम सभी को नाले में |


COLLEGE HOSTEL KA MAUNSOON ( SHORT STORY ) MAU FES

 
कॉलेज हॉस्टल का मॉनसून

आज क्या याद दिलाया आपने ?
कॉलेज का जमाना आया सामने ,
आँखों में उतर आए वो कॉलेज के दिन ,
मस्ती भरे वो हॉस्टल के दिन |

पढ़ाई के संग -संग वो मस्ती भी होती ,
कभी डट के पढ़ते ,कभी मस्ती में खोते ,
जगते कभी रातभर हम ना सोते ,
पढ़ाई के सागर में लगाते थे गोते |

हॉस्टल के दिन और मॉनसून का आना ,
ऐसे में लगता अच्छा पकौड़े खाना ,
मैट्रन दीदी का प्यार ,पकौड़े बनवाना ,
धन्यवाद सहित हमारा पकौड़े खाना |

वॉर्डन दीदी थीं मानो  सहेली ,
मॉनसून में ना चाय पीतीं अकेली ,
उनका वो साथ और मीठी सी बातें ,
मिला तो मीठी नींद से सजतीं थीं रातें |

चाय के समय जब बारिश थी आती ,
बालकनी हमारी चायघर बन जाती ,
सभी साथिनें ,मैट्रन ,वॉर्डन ,
मिलकर चाय का लुत्फ़ थीं उठातीं |

काश वो दिन एक बार फिर आते ,
हम फिर वही मॉनसून फिर मनाते ,
            मॉनसून फिर मनाते | 
 

YUDDH KEE KAHANEE , GHODE KEE JUBANEE (SHORT STORY )

  
  युद्ध की कहानी ,घोड़े की जुबानी

सुनो ,सुनो -ए -सुनने वालों ,
एक युद्ध की कहानी ,
हल्दी घाटी में लड़े गए ,
बड़े युद्ध की कहानी |

महाराणा प्रताप और अकबर का युद्ध ,
राजपूतों और मुगलों का युद्ध ,
अपनी आन को बचने का युद्ध ,
अपनी मातृभूमि को बचाने का युद्ध ,
दूसरों की धरती और ,
उनके जीवन को नष्ट करने का युद्ध |

मैं हूँ राणा जी का प्यारा घोडा ,
चेतक नाम है मेरा ,
सदा मैं उनके साथ रहा ,
उनका साथ निभाया ,
प्यार मुझे वो करते थे ,
मैं भी उन पर जान छिड़कता था ,
वो मेरे राणा जी थे ,
मैं भी उनका चहेता था |

युद्ध के मैदान में ,राणा जी लड़े वीरता से ,
सेना भी सारी खूब लड़ी ,
मुगलों को सबने खूब खदेड़ा ,
हल्दी घाटी थी अपनी भूमि ,
हम सब उसके बच्चे ,
उसके रस्ते हम जानें |

राणा जी का हरेक इशारा ,
मैं जानता था ,पहचानता था ,
उनके आदेश से पहले ही ,
मैं पूरा उसको करता था |

पूरी वफ़ा से मैंने तो ,
राणा जी का साथ निभाया ,
उनके ऊपर होने वाला वार ,
मैंने अपने ऊपर बुलाया ,
उनसे पहले चेतक गिरा ,
राणा जी को चेतक ने बचाया ,
पर चेतक की यादों ने ,
राणा जी को खूब रुलाया |

तभी तो चेतक के बारे में ,
लिखा गया है बहुत खूब ,
'जो तनिक हवा से बाग हिली ,
लेकर सवार उड़ जाता था ,
राणा की पुतली फिरी नहीं ,
तब तक चेतक मुड़ जाता था '| 


Saturday, July 18, 2020

KISAN KEE BAARISH ( SHORT STORY ) MAU FES

किसान की बारिश

गर्मी में धरती तपती ,
सूखी मिट्टी उड़ती जाती है ,
जोता  खेत किसानों ने ,
गर्मी पसीना बहाती है,
पोंछ पसीना ,करता मेहनत ,
मिट्टी करे मुलायम वो ,
घटे  नहीं मुस्कान होंठों की ,
उम्मीद का दामन थामे वो |

बदरा का रस्ता वो देखे ,
 दे आवाज बुलाता है ,
पवन जब आए तब उसको ,
अपना संदेस सुनाता है ,
पवन भी आती -जाती रहती ,
बदरा तक पहुँचाती संदेसा ,
बदरा भी अपना संदेसा ,
किसानों तक पहुँचाता है |

बदरा भी झुंडों में आकर ,
खुशी बिखराते हैं ,
किसानों के खेतों में ,
रिमझिम फुहारें लाते हैं,
तब किसान बोते खेतों में ,
उम्मीदों के बीज नए ,
जिससे हरियाली छाए खेतों में ,
खूब सुनहरी फसल उगे |

छाया बदरा की मिले खेत को ,
पानी भी भरपूर मिला ,
अंकुर फूटे बीजों से ,
तेजी से पौधे खूब बढ़े ,
मेहनतकश किसान ने ,
देखा अपने खेतों को ,
बढ़ती फसलों को देखा ,
तो होंठों पे मुस्कान बढ़े |

हरियाली के बीच फसल में ,
निकलीं सुनहरी बालियाँ ,
देख बालियाँ दिल किसान का ,
खूब बजाए तालियाँ ,
सफल हुई मेहनत किसान की ,
फसल तो भरपूर हुई ,
कहा शुक्रिया बदरा से ,
तुमसे ही बरसात हुई |

हर साल इसी तरह बदरा ,
तुम बारिश ले आ जाना ,
मेरे खाली खेतों में ,
सुनहरा अन्न उपजा जाना ,
मेहनत तो तुम्हारी है किसान ,
मैं तो बस पानी लाता हूँ ,
साड़ी मेहनत से ही तो तुम ,
अन्नदाता कहलाते हो |

PAHAADON MEIN KAID EK ROOH ( SHORT POEM )

 
 
पहाड़ों में कैद एक रूह

आजकल बरसात में ,बातों ही बात में ,
खिड़की से झाँका हमने,पहाड़ों को देखा,
सागर का पानी भी था ,पीछे थे पहाड़,
पेड़ों की चादर ओढ़े ,खड़े थे पहाड़ |

कभी बदरा की छाया थी,कभी होती धूप,
कभी छाया चलती जाती,बदरा के उड़ने से,
धूप तो बनती जाती ,पहाड़ों को हरा -भरा |

मेरा दिल,मेरी रूह, पहाड़ों  में जा बसे ,
कैद थे  दोनों के दोनों ,उन्हीं के बीच में ,
दोनों उन्हीं पहाड़ों के ,सौंदर्य में खो गए ,
लौट आने का उनका,रास्ता भी खो गया,

कैद हैं दोनों वहाँ पर ,कोई कष्ट करेगा क्या ?
वहाँ रास्ता ढूँढ कर ,लौटा के लाएगा क्या ? 
 
 

Thursday, July 16, 2020

SHADEE KA PAHALA SAVAN (SHORT STORY ) MAU. FES .

         शादी का पहला सावन

शादी का पहला सावन था, भीगा-भीगा प्यार भरा,
सब कुछ प्यार में डूबा था,उभरा था लेकिन जरा-जरा।

पहले सावन के झूले में,हम साजन के संग झूले थे,
झूले की पींगे थी प्यार भरी,हम लंबी पींगें झूले थे।

रिमझिम बारिश थी सावन की, बारिश में सब भीगा-भागा,
गर्मागर्म पकौड़ों के संग, चाय का कप भी गर्म ही था।

गुंझिया,घेवर मिले साथ में,जब तीज का आया सिंधारा,
सभी का आशीर्वाद मिला तो, आनंद मिला था सावन का।

वर्षा की बूंदों में भीगे, छतरी बंद हमारी थी,
इस सावन से पहले तो,अपनी प्रीत कुंवारी थी।

बदरा ने भी उस सावन में,प्यार अधिक सा दर्शाया,
लगातार रिमझिम बारिश दे,प्यार यूं हम पर बरसाया।

शादी का पहला सावन था, भीगा-भीगा प्यार भरा,
सब कुछ प्यार में डूबा था,उभरा था लेकिन जरा-जरा।

पहले सावन के झूले में,हम साजन के संग झूले थे,
झूले की पींगे थी प्यार भरी,हम लंबी पींगें झूले थे।

रिमझिम बारिश थी सावन की, बारिश में सब भीगा-भागा,
गर्मागर्म पकौड़ों के संग, चाय का कप भी गर्म ही था।

गुंझिया,घेवर मिले साथ में,जब तीज का आया सिंधारा,
सभी का आशीर्वाद मिला तो, आनंद मिला था सावन का।

वर्षा की बूंदों में भीगे, छतरी बंद हमारी थी,
इस सावन से पहले तो,अपनी प्रीत कुंवारी थी।

बदरा ने भी उस सावन में,प्यार अधिक सा दर्शाया,
लगातार रिमझिम बारिश दे,प्यार यूं हम पर बरसाया।

EK RAHASYAMAYEE BANDAR ( SAAMAJIK )

 
              एक रहस्यमयी बंदर

रहस्यमयी इस दुनिया में ,रहस्य बंद हैं परतों में ,
अंबर की ऊँचाई में ,सागर की गहराई में |

जीव - जंतु मानव जाति ,सभी रहस्य में डूबे हैं ,
कैसे हम खोलें परतों को ,सभी सोच में डूबे हैं ?

मानव के पूर्वज बंदर थे ,ये बात सभी ने पढ़ ली है ,
बन्दर से उपजा मानव है ,तो बाकि क्यों ये बंदर हैं ?

कुछ क्यों मानव बन पाए , क्या इसमें भी छिपा रहस्य है ,
बाकि क्यों बंदर रह गए ,क्या उन्होंने मना किया है ?

क्या वो बंदर रहना चाहते ,मानव नहीं बनना चाहते ,
ये भी तो उनका रहस्य है ,वो बंदर ही क्यों रह गए ?

प्रकृति के रहस्य ,प्रकृति जाने ,
हम क्या समझें ,हम क्या जानें ,
क्या बंदर का ,क्या मानव का ?
रहस्य छिपा है ,गर्भ के अंदर ,
क्यों बंदर हैं , अब भी बंदर ?

BACHPAN KEE BARISH AUR KAGAJ KEE NAAV ( SHORT STORY ) MAU. FES .

     
 
    बचपन की बारिश और कागज की नाव

जब हम छोटे बच्चे थे ,और छम - छम बारिश आती थी ,
पानी भर जाता सारे में ,हम कागज की नाव चलते थे |

ऊपर से बारिश आने पर , नावों में पानी भर जाता ,
पानी भर जाने से दोस्तों , नावों का कारवां डूब जाता |

नावों को बचाने की खातिर ,हम घर से छतरी लाते थे ,
छतरी को नावों के ऊपर खोल ,डूबने से उन्हें बचाते थे |

छतरी को नावों के ऊपर ही ,लेकर हम चलते जाते थे ,
ऐसी बारिश में हम दोस्तों ,भीगते ही चले जाते थे |

हम भीगें -भागें जो कुछ हो ,नाव हमारी बची रहे ,
उस बारिश के पानी में , नाव हमारी चलती रहे |

वो कागज़ की कश्ती ,वो बारिश का पानी ,
हमेशा याद आएगी ,वो हमको कहानी |

आज तो कागज़ की कश्तियाँ ही नहीं हैं ,
सब कुछ है लेकिन , वो बचपन नहीं है |

काश कोई बरसात ,ऐसी भी आती ,
हमको हमारा ,बचपन लौटाती |

Wednesday, July 15, 2020

PADOS VALEE LOVE STORY ( SHORT STORY )

पड़ोस वाली लव स्टोरी

मेरी एक प्यारी सहेली ,मेरा एक प्यारा दोस्त ,
आस - पास रहते थे ,थे वो भी एक दूजे के दोस्त |

नाम मैं नहीं लूँगी उनका , नए नाम रख लेते हैं ,
हम उन दोनों को ,सखि और सखा बुला लेते हैं |

मिलते - जुलते बातें करते ,ना जाने कब और कैसे ?
दोस्ती से आगे बढ़ने लगे ,वो दोनों कैसे ?

कमरे की खिड़कियाँ उनकी , बनीं जरिया देखने का ,
बोले बिना ही , आँखों से बातें करने का |

 पुस्तकों का एक पृष्ठ ,खुला रह जाता ,
दोनों का मन ,एक दूजे को पढ़ जाता |

एक दिन भी गर ,ना देखें इक दूजे को ,
बेचैन से रहते थे , देखने को |

सखि ने एक दिन , मुझ को बताया ,
उसी दिन सखा ने भी ,हाल अपना सुनाया |

बनी मैं बिचौलिया दोस्तों ,पार्क में बुला लिया दोस्तों ,
दोनों ने बातें की घुमते ,वापिसी में चेहरे पे मुस्कान थी दोस्तों |

चलती रही ये लव स्टोरी यूँ ही ,वक्त के साथ ही ,
अपने पैरों पे दोनों खड़े हुए , वक्त के साथ ही ,
उनके परिवार को ,बताने की ,मानाने की ,
जिम्मेदारी भी मेरी थी ,जो पूरी हुई दोस्तों ,वक्त के साथ ही |

EK LADKI BHEEGEE - BHAGEE SEE ( SHORT STORY ) MAU FES

     एक लड़की भीगी - भागी सी

क्लास खत्म हुई  तो ,शोर के साथ सभी निकले ,
कॉलेज के छात्र - छात्राओं में ,झुंड से बनने लगे ,
आवाजें तेज होने लगीं ,तभी बादलों की गर्जना हुई ,
रिमझिम फुहारें सभी सभी को भिगोने लगीं |

सभी तेजी से गेट से निकलते चले गए ,
पीछे वाले तो ,भीगते - भागते चलते चले गए ,
किसी को सवारी मिली ,कोई पैदल चला ,
बिना छतरी कोई ,यूँ ही चलता चला |

उन्हीं में एक लड़की , सीधी - सादी , प्यारी सी ,
बादलों की छाँव में ,ठंडी बरसात में ,
उलझी -उलझी सी ,लटें संवारती हाथों से ,
पलकें झपकती धीरे -धीरे से ,चली जा रही थी |
विचार दौड़ रहे थे इधर -उधर ,
कुछ सोचते हुए ,मुस्कुरा रही थी |

लंबा था रास्ता ,हौले से कदम ,
अकेले ही अकेले ,विचार पूर्ण मुद्रा ,
होंठों पर मुस्कान ,तभी कहीं से रेडियो बजा ,
गाना सुनाई दिया -- एक लड़की भीगी -भागी सी --,
अब वह खिलखिलाकर हँस पडी |

Monday, July 13, 2020

MERI GUDIYAA ( JIVAN )

          मेरी गुड़िया

खिलौनों में सबसे प्यारी ,एक गुड़िया थी भाई ,
कपड़े की गुड़िया ,जो माँ ने बनाई ,   
फूलों वाले कपड़े का ,फ्रॉक था पहनाया ,
लंबे बालों की ,छोटी थी बनाई |

हमने तो दोस्तों उसे , बोलना सिखाया ,
अँगुली पकड़ कर ,चलना सिखाया ,
खाना सिखाया ,पीना सिखाया ,
घर में कोई आए ,तो नमस्ते करना सिखाया |

कभी -कभी मैं उसे,स्कूल भी ले जाती ,
वहाँ कभी -कभी अपने ,दोस्तों को दिखाती ,
चुपके से सब काम ,था ये अपना ,
नहीं तो अध्यापक कहते , स्कूल में क्यों लाती ?

बातें हम करते ,दोनों ही हँसते -बोलते ,
वो अपना हाल बताती ,मैं अपना कहती जाती ,
वो थी मेरी प्यारी सहेली ,उसे अपने साथ सुलाती |

ना जाने क्या फिर हुआ दोस्तों ,
मैं तो बड़ी हो गई दोस्तों ,
ना जाने वो कहाँ ,खो गई दोस्तों ,
बहुत याद आती है ,वो दोस्तों ,
कहीं वो मिले,तो बताना दोस्तों |


BARSAAT KEE EK RAAT ( SHORT STORY ) MAU. FES.

                  बरसात की एक रात

निकल पड़े हैं आज हम ,
दोस्तों को साथ लेकर LONG DRIVE पर ,
दो गाड़ियों का कारवां ,चल पड़ा खिलखिलाता |

बदरा का कारवां भी ,साथ चल रहा था ,
रिमझिम बरसात हुई ,धीरे -धीरे जो मूसलाधार हुई |

कारों में बैठे दोस्तों का दिल मचला ,
दोस्तों का कारवां बाहर निकला ,
शहर की भीड़ न थी वहाँ ,हम सब पहुँच गए थे जहाँ |

संगीत बजने लगा ,होंठ गाने लगे ,
धीरे -धीरे सभी के पाँव थिरकने लगे ,
भीगने से कोई डरता नहीं था ,
इसीलिए तो कोई कार में नहीं था |

मस्ती में डूबे सभी गा रहे थे ,
डाल हाथों में हाथ थिरक रहे थे ,
ऐसी बरसात यूँ ही चलती रहे ,
मौसम की मेहरबानी बरसती रहे |

लंबा समय वहाँ सबने बिताया ,
वापस चलने का फिर मन बनाया ,
बैठकर सभी ने गर्मागर्म चाय का कप ,
मुँह से जो लगाया ,
फेस्टिवल मॉनसून का सबने मनाया |

EK SHAPIT AAINAA (SHORT STORY )

             एक शापित आइना

शाप हम कहते हैं किसे ?किसी की दी बद्दुआ को ?
कहानियों में ही पढ़ा था,ऋषि,मुनि ने शाप दिया था,
दुर्वासा ऋषि ने शाप दिया था शकुंतला को ,
क्या ऋषि ,मुनि भी इतने कमजोर थे ?
अपने क्रोध को वश में नहीं कर सकते थे ?

छोड़िए इस बात को ,पकड़ते हैं अब आइने को ,
क्या आइना शापित हो सकता है ?
उसको कौन शाप या बद्दुआ दे सकता है ?
क्योंकि आइना तो सच बोलता है ,
सच के सिवा कुछ नहीं बोलता है जज साहब |

आइना तो सच की मूरत है ,
दिखती उसमे उसी की सूरत है,
जो खड़ा है सामने , निहार रहा है आइने को ,
खुशी या दुःखी, जो भी भाव हैं उसके ,
वही आइना भी दर्शाता है ,
फिर आइने को शाप कौन देगा ?
यदि देगा भी तो आइना क्या कर लेगा ?
ख़ूबसूरती को नहीं, बदल सकता वह बदसूरती में ,
तो दोस्तों बेफिक्र होकर ,मुस्कुरा कर ,
आइने को देखो ,और खुश रहो ,आबाद रहो |

 

DUNIYA KEE AAKHIREE SHAAM ( SHORT STORY )

दुनिया की आख़िरी शाम

शामें रोज गुजरती हैं ,कुछ मीठी सी ,कुछ खट्टी सी ,
कुछ की यादें रह जाती हैं ,कुछ मीठी सी ,कुछ खट्टी सी |

वक्त बीतता जाता है ,उम्र भी बीत जाती है ,
कब ,कैसे वक्त बीता ? कब ,कैसे उम्र बीती ?
कुछ याद रह जाती हैं , कुछ भूलती सी हैं |

अच्छा हो या बुरा ,वक्त तो ठहरता नहीं ,
मुट्ठी में बंद रेत की ,मानिंद फिसलता यहीं ,
कुछ याद रह जाती हैं , कुछ भूलती सी हैं |

जब उम्र बीत जाएगी ,एक ऐसी शाम आएगी ,
हम नहीं जान पाएंगे ,ये शाम आख़िरी है ,
ये वक्त आख़िरी है ,ये बोल आख़िरी हैं ,
उसकी तो कुछ याद ना रह जाएगी ,
याद करने वाले ,जब हम ही नहीं होंगे ,
तो किसको याद आएगी ?
हाँ ,भाई हाँ , अपने तो होंगे ,जो याद हमें करेंगे |

ये थी जिंदगी की ,आख़िरी शाम की कहानी ,
कुछ की जिंदगी में आयी थी ,
दूसरों की जिंदगी में भी आएगी दोस्तों ,
पर अपनी ये दुआ है , नीली छतरी वाले से ,
दुनिया की आख़िरी शाम,कभी ना आए दोस्तों ,
हम सभी जब भी दुनिया छोड़ें ,
दुनिया विकसित ,पुलकित हो ,
स्वस्थ हो ,हरी -भरी हो ,सभी मानव ,
मस्त रहें ,हँसते रहें ,कहकहे लगाते रहें |


MERII DHARATII ( DESH )

               मेरी धरती

मेरा देश ,मेरी धरा , इसको गर छू लो जरा ,
इसी के हो जाओगे ,इसी में खो जाओगे |

इसकी हवाओं में प्यार है , सनसनाता इसरार है ,
गौर से जो तुम सुनो ,तुम भी सुन पाओगे  |

इसकी वादियों में गीत हैं ,गूँजता जीवन संगीत है ,
गौर से सुन लो जरा , तुम भी गुनगुनाओगे |

बर्फीली चोटियों से जो सरिताएँ बहती हैं ,
उनकी कल - कल में तो ,तुम भी बह जाओगे |

मेरी धरा के सीने से ,फसलें जो उगती हैं ,
उनको गर तुम चखो ,तुम भी पनप जाओगे |

लहराता सागर यहाँ ,खुद तो बहुत शांत है ,
पर उसकी लहरों को तो ,शैतान बच्चियाँ पाओगे |

कितने गुण हैं ,मेरे देश की धरती में ?
मैं तो नहीं जानती ,ना ही तुम जान पाओगे |

Friday, July 10, 2020

MADIRAA

    मदिरा

नशा मदिरा में तो नहीं यारों ,
थोड़ी सी जो पी ली है ,
तो चढ़ गया है जो ,
मेरे ही पेट का कुछ ,
खलल है यारों |

नशा जो होता मय में ,
प्याला भी घूम जाता ,
नशे के जोर से तो ,
वह भी नशे में झूम जाता ,
भरी हुई बोतल भी ,
क्यों सीधी खड़ी है यारों ?

ये तर्क तो है उनका ,
जो पीते हैं बेतहाशा ,
बोतलें चढ़ाकर ,
दिखाते  हैं वो तमाशा ,
दो चम्मचें लें इसकी तो ,
करती है ये लाभ ,
चार बूँद दो बच्चों को ,
तो ये दवा है यारों |

शरबत का काम करती ,
मदिरा से भरी बोतल ,
ताकत सभी को देती ,
शक्तिवर्धक होती ,
ना चोरी - छिपे ,
ये पीने वाले यारों |

परिवार वाले देते ,
बच्चों को मदिरा पीने ,
सब बैठकर एक साथ में ,
पी जाते इस मदिरा को ,
चाय की जगह पर ,
मदिरा ले लेती यारों |

Thursday, July 9, 2020

MUSKAAN HUI

मुस्कान हुई

पवनी तू बदरा लाई है ,
घनघोर घटाएं छाईं हैं ,
ये लो घनी बरसात हुई ,
जैसी हम दोनों की बात हुई |

गरज दामिनी की गूँजी ,
कड़क दामिनी की गूँजी ,
बदरा की मोटी बूँदों में ,
दामिनी की चमकार हुई |

दूर नहीं कुछ दिखता है ,
सब पानी पीछे छिपता है ,
पानी की चादर हो जैसे ,
वैसे ही पर्दादार हुई |

गर्मी से धरा ने राहत पाई ,
ऋतु भी तो बरसात की आई ,
सभी जनों के साथ -साथ ,
पवनी तू भी तो मुस्कान हुई |

पवनी भीगी -भीगी सी ,
रुकती -रुकती ,चलती -चलती ,
बारिश की बूँदें पवनी संग ,
मिलकर पानी की धार हुई |

TOTA SAB JAANTAA HAI ( SHORT STORY )

                  तोता सब जानता है

मेरा तोता मिट्ठू राम , सब जानना उसका काम ,
राम नाम की धुन गाता है ,सबको करता है परनाम |

कभी नहीं पिंजरे में रहता ,पूरे घर में घूमा करता ,
खाता -पीता सबके साथ ,कभी नहीं नखरे वो करता |

घर में सबकी बात वो माने ,सबके दिल की बातें जाने ,
गर देखे वो किसी को उदास ,राम धुन लग जाए सुनाने |

खेल दिखाए सबको घर में ,बिखराए मस्ती वो घर में ,
देख के उसके प्यारे खेल ,हँसते रहते हैं सब घर में |

कोई क्या खाता है घर में ? कहाँ रखा कोई सामान ?
किसका फ़ोन ,कब आया ? सब कुछ जाने मिट्ठू राम |

EK DULHAN KEE MAUT ( SHORT STORY )

एक दुल्हन की मौत

एक लड़की मुस्कुराती सी ,हँसती सी ,
जिंदगी को खुशियों से जीती सी ,
कदम रखे तो लगे ,उड़ती सी ,
हवा के हिंडोले में ,झूलती सी  |

बड़ी हो रही है ,उम्र बढ़ रही है ,
माता -पिता की सोचों में आया ,
लड़की दुल्हन बने,प्यारी सी लड़की ,
शिक्षिता , बेरोज़गार ,जल्दी ही शगुन आया |

सभी खुश ,लड़की ,सारा परिवार ,
दोस्त ,सखि ,नाते रिश्तेदार ,
तभी फ़ैली महामारी ,कोरोना बीमारी ,
तय किया गया ,हो जाए शादी  |

बनी वो दुल्हन ,रची मेंहदी ,
चढ़ा चूड़ा ,श्रृंगार हुआ ,
सभी को दूल्हा ,दुल्हन का ,
वीडियो पर ही दर्शन हुआ |

दुल्हन विदा होकर आई ससुराल ,
मुँह दिखाई हुई ,मगर वीडियो पर ,
दूसरे ही दिन ,उतरा चूड़ा ,
संभाला गया ,रसोई घर का चूल्हा  |

हुई एक दुल्हन की मौत ,
हुआ एक गृहणी का जन्म ,
बस एक बात अच्छी है दोस्तों ,
गृहणी समझदार है ,मुस्कान बरक़रार है |

MAUDERN BANJARE ( SHORT STORY )

        मॉडर्न बंजारे

बंजारे यानि घुमक्कड़ ,हर दिन जो ,
देखते हैं नये स्थानों को ,
पर रुकते नहींहैं जो , लंबे समय  |

प्यार है उन्हें नये पन से ,
प्यार है उन्हें नये स्थानों से ,
नयी भाषा , नये लोगों से ,
पर बदलाव ही बसा है दिल में |

रुक कैसे जाएं वो ?
कदम मचल जाते हैं चलने को ,
दिल मचल जाता है उड़ने को ,
नये लोगों से मिलने को  |

नयी वेशभूषा ,नये स्वाद तो जैसे ,
उनकी आँखों और जिव्हा पे बस गए जैसे ,
तभी तो वो रुकना नहीं जानते ,
पुराने को नहीं अपनाते  |

बंजारे शब्द से ही दोस्तों ,
एक गीत याद आया ,
उस गीत के दर्शन शास्त्र ने ,
हमें जीने का रास्ता दिखाया ,
वही गीत तो हमारे दिल में समाया ,
और खुशियों में डूबकर जीवन बिताया  |

Wednesday, July 8, 2020

JEETEGEE JINDGEE

             जीतेगी जिंदगी

महामारी के प्रकोप ने ,दुनिया को है रुलाया ,
नन्हें से वायरस ने ,कोहराम है मचाया  |

इक से दूजे में फैला,किया शरीर को नाकारा,
ऐसे में हर किसी ने ,ईश्वर को है पुकारा |

राही हैं सब यहाँ पर ,चले जा रहे हैं ,
रस्ता पता नहीं है,मंजिल पता नहीं है |

नन्हा सा वायरस है ,पर वार है इसका तीखा,
दुनिया के हर कोने में ,इसने वार है किया |

देता नहीं दिखाई ,पर जगमगा रहा है ,
हर किसी को ये तो ,बीमार बना रहा है |

जिंदगी हुई है छोटी ,इसके वार से ए -दोस्त ,
कशमकश में हैं सब ,कल क्या होगा ए -दोस्त |

हर कोई है परेशां ,हर कोई है चिंता में ,
कल किसका,क्या होगा?कौन जाएगा चिता में?

क्या होगा जिंदगी का?क्या होगा हर खुशी का ?
कितनों के घर उजड़े हैं ?कितनों के हैं उजड़ने ?

अस्पतालों में तो ,लंबा तांता है लगा ,
डॉक्टर भी अब मरीज हैं ,कौन दे दवा ?

जीवन अजीर्ण किया है, वायरस की नज़र ने ,
जिस को ये लग जाए,उसका जीवन है अधर में |

रुकता नहीं है दिखता ,ये चक्र वायरस का ,
अभिमन्यु कौन होगा , इसके चक्रव्यूह का ?

कोशिश में सब लगे हैं ,सब उम्मीद हैं रखे ,
ये विजय चक्र किसके ,हाथ है लगे ?

संक्रमण रुक जाए ,और कोशिशें सफल हों ,
तभी तो वायरस का ,वार सब विफल हो |

जिंदगी जीतेगी ,और मौत ही हारेगी ,
पर अभी पता नहीं ये ,कितनों को मारेगी ?

मौत की मौत ही तो , जिंदगी को जन्म देगी ,
नये युग का आविर्भाव,तब धरा पे जन्म लेगा |

नया युग आएगा ,तो कल उसे छुएगा ,
आज की समाधि पर,ही नया गुल खिलेगा |

रंज ना कर तू इंसान ,तू भी नया बनेगा ,
अपना आज सुधार ,कल भी सुधरेगा |

तू ही है भागीरथ ,तू ही तो मनु है ,
तू ही इस दुनिया का,तपस्वी,ऋषि,मुनि है |

DIL KE TUKDE ( KSHANIKA )

 
दिल के टुकड़े

भारत भूमि ---
 जहाँ पूजा जाता पत्थर की मूर्ति को ,
जहाँ पूजा जाता नदियों को ,
वहाँ नहीं है उचित ये कहना ,
मेरी लाडो इस देस ना आना  |

निर्भया जैसे केस देखकर ,लगा क्या सभी वहशी दरिंदे हैं ,
नहीं ऐसा नहीं है मेरे देश में ,अधिक तो प्यार के परिंदे हैं  |

जब तक माँ अपना सारा प्यार ,लाडलों पर लुटाती रहेंगीं ,
तब तक लाडो की चाहें ,तो धुंधली ही होती रहेंगीं  |

बनाओ ऐसा भारत कि ,हर माँ ये कहे ,
तू फिर से आना , इस देस मेरी लाडो  |

हमारी तो चाह थी लाडो की , पूरी हुई वही चाह ,
नन्हीं परी किलके अँगना में ,क्या नहीं हो हर माँ की चाह  ?

लाडले का जो स्थान है ,वो लाडो का नहीं ,
तो फिर लाडो का स्थान , लाडले को क्यों मिले  ?
दोनों ही तो अपने बच्चे हैं , दिल के टुकड़े हैं  | 
 
 

Monday, July 6, 2020

EK LADKI KO DEKHA TO EISA LAGA ( SHORT STORY )

एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा

आज की कहानी का शीर्षक पढ़कर ,
वो गीत याद आ गया साहब ,
खूबसूरत शब्दों के मोती लेकर ,
कर्णप्रिय संगीत का धागा पिरोकर ,
मधुर आवाज से उसको सजाकर ,
पर्दे पर जिस अंदाज से उतारकर ,
हमें पेश किया गया तो हम झूम उठे  |

उस समय तो लगता था साहब ,
ये गीत हमारे लिए ही बनाया है ,
और आज  भी यही लगता है ,
आज इस शीर्षक को पढ़कर झूम उठे  |

आज हम एक माँ हैं , पहली बार ,
जब अपनी बिटिया को देखा तो लगा हमें ,
जैसे प्रसाद ईश्वर का , आशीर्वाद ईश्वर का ,
जैसे कोयल की कूक ,जैसे रेशमी धूप ,
जैसे कोमल कली ,जैसे तितली उड़ी ,
उसका पहला कदम , उसका पहला वो शब्द ,
उसका पहला वो खेल ,हमारे हाथों का मेल ,
याद करा गया हमें , अपने बचपन की कथा  |

Sunday, July 5, 2020

HAR FIKRA KO DHUEN MEIN ( SHORT STORY )

              हर फिक्र को धुएं में

हर फिक्र के लिए अपना , द्वार बंद किया है यारों ,
फ़िक्रों के लिए खिड़कियाँ भी ,बंद हैं यारों |

ये जिंदगी है एक ,और दिन हैं यारों चार ,
क्यों इसको फ़िक्रों में , तुम बिताओ यारों  |

रिश्तों की एक डोर , तो खुदा ने बाँधी ,
यहाँ दिलों के रिश्ते हमने ,दोस्तों से हैं बनाए ,
सारे ही रिश्तों को तो , दिल से निभाओ यारों |

कल होगा जो होगा , क्या फिक्र है कल की ?
आज तो खुल के , मुस्कुराओ यारों  |



जिंदगी को हमने तो , मुस्कानों में डूबा दिया यारों ,
आओ तुम भी साथ हमारे , कहकहा लगाओ यारों  |

शब्दों को पहले तोलो , फिर मुँह से उनको बोलो ,
प्यार का एक नगमा , जग में फैलाओ यारों  |

CHAI VAALII ( KSHANIKA )

                   चाय वाली

सुबह चाय की चुस्की संग ,खोला जब प्रतिलिपि को ,
देखा शीर्षक जो कहानी का , ---- एक चाय वाला  |

वाला क्या और वाली क्या ? चलिए आज हम आपको ,
चाय वाली की कथा सुनाते हैं  |

मैं हूँ एक चाय वाली , मैं हूँ एक चाय वाली ,
कैसी पियोगे साहब ? कैसी पियोगी साहबी  ?

कड़क चाय गर चाहो ,तो कड़क मैं चाय बनाऊँ ,
तुलसी ,अदरक ,काली मिर्च का , छौंका उसे लगाऊँ ,
जो लोगे उसकी चुस्की , तो भाग जाएगी सुस्ती ,
आ जाएगी चुस्ती  |

अरे अधिक दूध की चाय बनाऊँ ,
खालिस दूध की पीजे फिर ,
ताकत को देने वाली है ,
बच्चों के भी लिए निराली है  |

सारे  दिन में खूब चाय पिलाई ,
पर मैं तो ना इक चुस्की ले पाई ,
अब साँझ ढली अब जाने दो ,
मेरे अंदर भी तो दोस्तों ,
एक चुस्की को आने दो  |

Friday, July 3, 2020

PREM EK KRANTI ( SHORT STORY )

      प्रेम एक क्रांति

प्रेम को आज सभी जन देखें ,
एक लड़का , एक लड़की का प्रेम |

क्या यही प्रेम की भाषा है ?
क्या यही प्रेम की परिभाषा है ?

प्रेम तो माँ - बच्चों का होता ,
भाई - बहिन का होता प्रेम ,
दादा - दादी , नाना - नानी सभी के ,
दिलों में खूब पनपता प्रेम  |

दोस्त , सखा , मित्र और सहेली ,
सभी के रिश्ते का आधार है प्रेम |

प्रकृति तो है सच्ची सखी हमारी ,
उससे तो दोस्तों है अनंत प्रेम |

उससे भी ऊपर को देखो ,
परमात्मा की प्रीत - प्रेम |

JUNGLE KI SAIR ( JIVAN )

 
    जंगल की सैर

एक दिन तो दोस्तों ,निकल पड़े ,
जंगल की सैर के लिए ,
जंगल सीमा में प्रवेश किया , खुला - खुला मैदान ,
बड़े - बड़े कुछ पेड़ , कच्चा रास्ता ,
कुछ आगे जाने पर , पेड़ों की संख्या बढ़ी ,
जंगल घना होने लगा , धूप कम होने लगी  |

पेड़ों से छनती धूप ,कम थी ,
मगर हवा में गर्मी भी कम थी |

पक्षियों की चहचहाहट बढ़ी ,
तो उन आवाजों से ,दिल की खुशी बढ़ी  |

थोड़ी दूर चलने के बाद , जंगल सफारी मिली ,
उसमें चढ़े तो , दरवाजे बंद हो गए ,
सफारी चलने के बाद , हम तो व्यस्त हो गए |

तब हमने देखा , पानी का तालाब, बंदरों का उन्माद ,
हिरनों का झुंड़ , आसमान छूते पेड़ , बड़े -बड़े भालू ,
धीरे से आए हाथी ,
जो केले थे खाते , गन्नों को भी चबाते ,
अरे ये कैसी आवाज आई ,जंगल के राजा दिए दिखाई |

राजा और रानी के साथ , एक छोटा बच्चा था ,
मन किया बच्चे को उठाकर , अपने गले लगा लें ,
मगर ये ना था संभव, अरे भाई ,
जंगल के राजा का बच्चा था ,आम नहीं खास था |

इसी तरह घूमते - घामते ,हम वापस आए ,
आज याद करते हैं ,तो रोमांच हो जाता है ,
जंगल का रास्ता ,अब भी नजर आता है | 
 

Thursday, July 2, 2020

JIVAN SURAKSHIT ( JIVAN )

                   जीवन सुरक्षित

एक जादुई शेर बनाओ यारों ,
हर  वायरस को दूर भगाओ यारों ,
जीवन को सुरक्षित कर जाओ यारों |

अपने मन में विचारों का जंगल बनाओ यारों ,
उसमें ही हिम्मत का शेर बनाओ यारों ,
जीवन को  ------     |

 किसी भी  महामारी में अपने मन के जंगल में ,
नियमों के पेड़ लगाओ यारों ,
जीवन को  ------     |

पालन नियमों का करते जाओ ,
घर में रह सुरक्षा पाओ ,
हाथ जोड़ नमस्ते कर जाओ यारों ,
जीवन को  ------       |

परिवार जनों को ये पाठ पढ़ाओ ,
हो सके तो दूजों को भी समझाओ ,
बच्चों को इसमें नेता बनाओ यारों ,
जीवन को  ------         |

Wednesday, July 1, 2020

SAMUDRA KINARA (SHORT STORY )

          समुद्र किनारा
         

सागर तेरी लहरों ने ,मुझे बुलाया तेरे BEACH ,
मैं बैठी हूँ आकर , अब तू खोल दे अपना आगर  |

लहरें करती हैं किलोल ,भिगो - भिगो ही जातीं ,
ऐसे ही तो लहरें तेरी ,अपना प्यार जतातीं  |

खड़ी हुई हूँ तेरे किनारे , खोल तू अपना द्वार ,
आगे बढ़ के फिर सागर , देखूँ तेरा संसार  |

तू तो रत्नाकर है सागर , रत्नों का भंडार ,
तेरे अंदर ही तो सागर , छिपें हैं रहस्य अपार |

देख दोस्ती की कसम है तुझको , आने दे मुझे अंदर ,
नहीं तो दुनिया यही कहेगी ,तू तो रही किनारे पर ,
नहीं बुलाया तेरे दोस्त ने ,अपने द्वार के अंदर  |

फिर भी सागर तेरी ,मेरी है एक कहानी ,
तू मेरा है दोस्त और , मैं ही तेरी सखी हूँ ,
मिलते रहेंगे सदा यूँ ही , ले के प्यार हमारा |

सागर तेरी लहरों ने ,मुझे बुलाया तेरे BEACH ,
मैं बैठी हूँ आकर , अब तू खोल दे अपना आगर  |

लहरें करती हैं किलोल ,भिगो - भिगो ही जातीं ,
ऐसे ही तो लहरें तेरी ,अपना प्यार जतातीं  |

खड़ी हुई हूँ तेरे किनारे , खोल तू अपना द्वार ,
आगे बढ़ के फिर सागर , देखूँ तेरा संसार  |

तू तो रत्नाकर है सागर , रत्नों का भंडार ,
तेरे अंदर ही तो सागर , छिपें हैं रहस्य अपार |

देख दोस्ती की कसम है तुझको , आने दे मुझे अंदर ,
नहीं तो दुनिया यही कहेगी ,तू तो रही किनारे पर ,
नहीं बुलाया तेरे दोस्त ने ,अपने द्वार के अंदर  |

फिर भी सागर तेरी ,मेरी है एक कहानी ,
तू मेरा है दोस्त और , मैं ही तेरी सखी हूँ ,
मिलते रहेंगे सदा यूँ ही , ले के प्यार हमारा |

EK MELA (SHORT STORY )


                  एक मेला

संसार है एक मेला , यहाँ उम्र गुजारी है ,
ऊपर वाले की , हम पर ये उधारी है |

अपने कर्मों से ही , ये क़र्ज़ चुकाना है ,
अच्छे कर्मों का ही , लेखा लिख जाना है  |

संसार है एक सागर ,हमें तैर के जाना है ,
कहाँ पहुंचेंगे हम फिर , ये उसने जाना है  |

परमात्मा ही तो जाने , क्या आगे होना है ,
हम तो उसके बच्चे , उसका ही खिलौना हैं  |

सुख उसने हमें बख्शे , दुःख भी हैं हमको दिए ,
इन सबके साथ ही उसने , प्यारे परिवार दिए  |

अब आगे तो मित्रों , हमें आभार चुकाना है ,
अच्छे कर्मों का ही , लेखा लिख जाना है  |