Friday, July 3, 2020

JUNGLE KI SAIR ( JIVAN )

 
    जंगल की सैर

एक दिन तो दोस्तों ,निकल पड़े ,
जंगल की सैर के लिए ,
जंगल सीमा में प्रवेश किया , खुला - खुला मैदान ,
बड़े - बड़े कुछ पेड़ , कच्चा रास्ता ,
कुछ आगे जाने पर , पेड़ों की संख्या बढ़ी ,
जंगल घना होने लगा , धूप कम होने लगी  |

पेड़ों से छनती धूप ,कम थी ,
मगर हवा में गर्मी भी कम थी |

पक्षियों की चहचहाहट बढ़ी ,
तो उन आवाजों से ,दिल की खुशी बढ़ी  |

थोड़ी दूर चलने के बाद , जंगल सफारी मिली ,
उसमें चढ़े तो , दरवाजे बंद हो गए ,
सफारी चलने के बाद , हम तो व्यस्त हो गए |

तब हमने देखा , पानी का तालाब, बंदरों का उन्माद ,
हिरनों का झुंड़ , आसमान छूते पेड़ , बड़े -बड़े भालू ,
धीरे से आए हाथी ,
जो केले थे खाते , गन्नों को भी चबाते ,
अरे ये कैसी आवाज आई ,जंगल के राजा दिए दिखाई |

राजा और रानी के साथ , एक छोटा बच्चा था ,
मन किया बच्चे को उठाकर , अपने गले लगा लें ,
मगर ये ना था संभव, अरे भाई ,
जंगल के राजा का बच्चा था ,आम नहीं खास था |

इसी तरह घूमते - घामते ,हम वापस आए ,
आज याद करते हैं ,तो रोमांच हो जाता है ,
जंगल का रास्ता ,अब भी नजर आता है | 
 

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