प्यार हुआ
एक लाइब्रेरी कॉलेज की थी ,जिसमें हम जाते रहते थे ,
"शांत रहिए" सुन - सुन कर भी ,बातें हम करते रहते थे ,
आज लाइब्रेरी पब्लिक की ,हम सदस्य हैं उसके आज ,
आज शांत हम स्वयं बैठते , हमें किताबों से है प्यार |
हरेक विषय की किताबें रखीं , रहती हैं लाइब्रेरी में ,
कुछ विषय हमारी इच्छानुरूप ,कुछ के पन्ने कभी ना पलटे ,
हमें रूचि है विज्ञानं पढ़ने में ,इतिहास भी मनोरंजक लगता ,
मस्तिष्क को आराम देने में ,कविता ,कहानी का साथ लगता |
प्यार बसा है लाइब्रेरी में ,हम वहाँ बैठ प्यार हैं पाते ,
विभिन्न लेखकों ,कवियों का ,मस्तिष्क वहाँ हम पढ़ पाते ,
पता नहीं लेखक क्या सोचें ? क्या सोचें कवियों के दिल ?
हम तो उनकी रचनाओं से मिलते ,नहीं उनसे पाए मिल |
लाइब्रेरी में खुशबु फ़ैली रहती ,चहुँ ओर ज्ञान की ,
खोजें हैं विज्ञानं की ,कविताओं की तान की ,
दिल, दिमाग सारे में घूमें ,वैज्ञानिकों महान की ,
इतिहास की सदियाँ घूमें ,किताबों के लिखान की |
प्यार हमें है सबसे ,वैज्ञानिक हो या लेखक ,
वीर रस के कवि हों ,या हों छायावादी कवयित्री ,
हमें प्यार हुआ लाइब्रेरी में ,
हमें प्यार हुआ लाइब्रेरी से |
No comments:
Post a Comment