बचपन की बारिश और कागज की नाव
जब हम छोटे बच्चे थे ,और छम - छम बारिश आती थी ,
पानी भर जाता सारे में ,हम कागज की नाव चलते थे |
ऊपर से बारिश आने पर , नावों में पानी भर जाता ,
पानी भर जाने से दोस्तों , नावों का कारवां डूब जाता |
नावों को बचाने की खातिर ,हम घर से छतरी लाते थे ,
छतरी को नावों के ऊपर खोल ,डूबने से उन्हें बचाते थे |
छतरी को नावों के ऊपर ही ,लेकर हम चलते जाते थे ,
ऐसी बारिश में हम दोस्तों ,भीगते ही चले जाते थे |
हम भीगें -भागें जो कुछ हो ,नाव हमारी बची रहे ,
उस बारिश के पानी में , नाव हमारी चलती रहे |
वो कागज़ की कश्ती ,वो बारिश का पानी ,
हमेशा याद आएगी ,वो हमको कहानी |
आज तो कागज़ की कश्तियाँ ही नहीं हैं ,
सब कुछ है लेकिन , वो बचपन नहीं है |
काश कोई बरसात ,ऐसी भी आती ,
हमको हमारा ,बचपन लौटाती |
जब हम छोटे बच्चे थे ,और छम - छम बारिश आती थी ,
पानी भर जाता सारे में ,हम कागज की नाव चलते थे |
ऊपर से बारिश आने पर , नावों में पानी भर जाता ,
पानी भर जाने से दोस्तों , नावों का कारवां डूब जाता |
नावों को बचाने की खातिर ,हम घर से छतरी लाते थे ,
छतरी को नावों के ऊपर खोल ,डूबने से उन्हें बचाते थे |
छतरी को नावों के ऊपर ही ,लेकर हम चलते जाते थे ,
ऐसी बारिश में हम दोस्तों ,भीगते ही चले जाते थे |
हम भीगें -भागें जो कुछ हो ,नाव हमारी बची रहे ,
उस बारिश के पानी में , नाव हमारी चलती रहे |
वो कागज़ की कश्ती ,वो बारिश का पानी ,
हमेशा याद आएगी ,वो हमको कहानी |
आज तो कागज़ की कश्तियाँ ही नहीं हैं ,
सब कुछ है लेकिन , वो बचपन नहीं है |
काश कोई बरसात ,ऐसी भी आती ,
हमको हमारा ,बचपन लौटाती |
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