पड़ोस वाली लव स्टोरी
मेरी एक प्यारी सहेली ,मेरा एक प्यारा दोस्त ,
आस - पास रहते थे ,थे वो भी एक दूजे के दोस्त |
नाम मैं नहीं लूँगी उनका , नए नाम रख लेते हैं ,
हम उन दोनों को ,सखि और सखा बुला लेते हैं |
मिलते - जुलते बातें करते ,ना जाने कब और कैसे ?
दोस्ती से आगे बढ़ने लगे ,वो दोनों कैसे ?
कमरे की खिड़कियाँ उनकी , बनीं जरिया देखने का ,
बोले बिना ही , आँखों से बातें करने का |
पुस्तकों का एक पृष्ठ ,खुला रह जाता ,
दोनों का मन ,एक दूजे को पढ़ जाता |
एक दिन भी गर ,ना देखें इक दूजे को ,
बेचैन से रहते थे , देखने को |
सखि ने एक दिन , मुझ को बताया ,
उसी दिन सखा ने भी ,हाल अपना सुनाया |
बनी मैं बिचौलिया दोस्तों ,पार्क में बुला लिया दोस्तों ,
दोनों ने बातें की घुमते ,वापिसी में चेहरे पे मुस्कान थी दोस्तों |
चलती रही ये लव स्टोरी यूँ ही ,वक्त के साथ ही ,
अपने पैरों पे दोनों खड़े हुए , वक्त के साथ ही ,
उनके परिवार को ,बताने की ,मानाने की ,
जिम्मेदारी भी मेरी थी ,जो पूरी हुई दोस्तों ,वक्त के साथ ही |
मेरी एक प्यारी सहेली ,मेरा एक प्यारा दोस्त ,
आस - पास रहते थे ,थे वो भी एक दूजे के दोस्त |
नाम मैं नहीं लूँगी उनका , नए नाम रख लेते हैं ,
हम उन दोनों को ,सखि और सखा बुला लेते हैं |
मिलते - जुलते बातें करते ,ना जाने कब और कैसे ?
दोस्ती से आगे बढ़ने लगे ,वो दोनों कैसे ?
कमरे की खिड़कियाँ उनकी , बनीं जरिया देखने का ,
बोले बिना ही , आँखों से बातें करने का |
पुस्तकों का एक पृष्ठ ,खुला रह जाता ,
दोनों का मन ,एक दूजे को पढ़ जाता |
एक दिन भी गर ,ना देखें इक दूजे को ,
बेचैन से रहते थे , देखने को |
सखि ने एक दिन , मुझ को बताया ,
उसी दिन सखा ने भी ,हाल अपना सुनाया |
बनी मैं बिचौलिया दोस्तों ,पार्क में बुला लिया दोस्तों ,
दोनों ने बातें की घुमते ,वापिसी में चेहरे पे मुस्कान थी दोस्तों |
चलती रही ये लव स्टोरी यूँ ही ,वक्त के साथ ही ,
अपने पैरों पे दोनों खड़े हुए , वक्त के साथ ही ,
उनके परिवार को ,बताने की ,मानाने की ,
जिम्मेदारी भी मेरी थी ,जो पूरी हुई दोस्तों ,वक्त के साथ ही |
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