युद्ध की कहानी ,घोड़े की जुबानी
सुनो ,सुनो -ए -सुनने वालों ,
एक युद्ध की कहानी ,
हल्दी घाटी में लड़े गए ,
बड़े युद्ध की कहानी |
महाराणा प्रताप और अकबर का युद्ध ,
राजपूतों और मुगलों का युद्ध ,
अपनी आन को बचने का युद्ध ,
अपनी मातृभूमि को बचाने का युद्ध ,
दूसरों की धरती और ,
उनके जीवन को नष्ट करने का युद्ध |
मैं हूँ राणा जी का प्यारा घोडा ,
चेतक नाम है मेरा ,
सदा मैं उनके साथ रहा ,
उनका साथ निभाया ,
प्यार मुझे वो करते थे ,
मैं भी उन पर जान छिड़कता था ,
वो मेरे राणा जी थे ,
मैं भी उनका चहेता था |
युद्ध के मैदान में ,राणा जी लड़े वीरता से ,
सेना भी सारी खूब लड़ी ,
मुगलों को सबने खूब खदेड़ा ,
हल्दी घाटी थी अपनी भूमि ,
हम सब उसके बच्चे ,
उसके रस्ते हम जानें |
राणा जी का हरेक इशारा ,
मैं जानता था ,पहचानता था ,
उनके आदेश से पहले ही ,
मैं पूरा उसको करता था |
पूरी वफ़ा से मैंने तो ,
राणा जी का साथ निभाया ,
उनके ऊपर होने वाला वार ,
मैंने अपने ऊपर बुलाया ,
उनसे पहले चेतक गिरा ,
राणा जी को चेतक ने बचाया ,
पर चेतक की यादों ने ,
राणा जी को खूब रुलाया |
तभी तो चेतक के बारे में ,
लिखा गया है बहुत खूब ,
'जो तनिक हवा से बाग हिली ,
लेकर सवार उड़ जाता था ,
राणा की पुतली फिरी नहीं ,
तब तक चेतक मुड़ जाता था '|
No comments:
Post a Comment