मेरी गुड़िया
खिलौनों में सबसे प्यारी ,एक गुड़िया थी भाई ,
कपड़े की गुड़िया ,जो माँ ने बनाई ,
फूलों वाले कपड़े का ,फ्रॉक था पहनाया ,
लंबे बालों की ,छोटी थी बनाई |
हमने तो दोस्तों उसे , बोलना सिखाया ,
अँगुली पकड़ कर ,चलना सिखाया ,
खाना सिखाया ,पीना सिखाया ,
घर में कोई आए ,तो नमस्ते करना सिखाया |
कभी -कभी मैं उसे,स्कूल भी ले जाती ,
वहाँ कभी -कभी अपने ,दोस्तों को दिखाती ,
चुपके से सब काम ,था ये अपना ,
नहीं तो अध्यापक कहते , स्कूल में क्यों लाती ?
बातें हम करते ,दोनों ही हँसते -बोलते ,
वो अपना हाल बताती ,मैं अपना कहती जाती ,
वो थी मेरी प्यारी सहेली ,उसे अपने साथ सुलाती |
ना जाने क्या फिर हुआ दोस्तों ,
मैं तो बड़ी हो गई दोस्तों ,
ना जाने वो कहाँ ,खो गई दोस्तों ,
बहुत याद आती है ,वो दोस्तों ,
कहीं वो मिले,तो बताना दोस्तों |
खिलौनों में सबसे प्यारी ,एक गुड़िया थी भाई ,
कपड़े की गुड़िया ,जो माँ ने बनाई ,
फूलों वाले कपड़े का ,फ्रॉक था पहनाया ,
लंबे बालों की ,छोटी थी बनाई |
हमने तो दोस्तों उसे , बोलना सिखाया ,
अँगुली पकड़ कर ,चलना सिखाया ,
खाना सिखाया ,पीना सिखाया ,
घर में कोई आए ,तो नमस्ते करना सिखाया |
कभी -कभी मैं उसे,स्कूल भी ले जाती ,
वहाँ कभी -कभी अपने ,दोस्तों को दिखाती ,
चुपके से सब काम ,था ये अपना ,
नहीं तो अध्यापक कहते , स्कूल में क्यों लाती ?
बातें हम करते ,दोनों ही हँसते -बोलते ,
वो अपना हाल बताती ,मैं अपना कहती जाती ,
वो थी मेरी प्यारी सहेली ,उसे अपने साथ सुलाती |
ना जाने क्या फिर हुआ दोस्तों ,
मैं तो बड़ी हो गई दोस्तों ,
ना जाने वो कहाँ ,खो गई दोस्तों ,
बहुत याद आती है ,वो दोस्तों ,
कहीं वो मिले,तो बताना दोस्तों |
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