Sunday, July 5, 2020

CHAI VAALII ( KSHANIKA )

                   चाय वाली

सुबह चाय की चुस्की संग ,खोला जब प्रतिलिपि को ,
देखा शीर्षक जो कहानी का , ---- एक चाय वाला  |

वाला क्या और वाली क्या ? चलिए आज हम आपको ,
चाय वाली की कथा सुनाते हैं  |

मैं हूँ एक चाय वाली , मैं हूँ एक चाय वाली ,
कैसी पियोगे साहब ? कैसी पियोगी साहबी  ?

कड़क चाय गर चाहो ,तो कड़क मैं चाय बनाऊँ ,
तुलसी ,अदरक ,काली मिर्च का , छौंका उसे लगाऊँ ,
जो लोगे उसकी चुस्की , तो भाग जाएगी सुस्ती ,
आ जाएगी चुस्ती  |

अरे अधिक दूध की चाय बनाऊँ ,
खालिस दूध की पीजे फिर ,
ताकत को देने वाली है ,
बच्चों के भी लिए निराली है  |

सारे  दिन में खूब चाय पिलाई ,
पर मैं तो ना इक चुस्की ले पाई ,
अब साँझ ढली अब जाने दो ,
मेरे अंदर भी तो दोस्तों ,
एक चुस्की को आने दो  |

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