हीरे की परख
परखे जो हीरे को ,
जौहरी वह कहाता है ,
मानव को परखे दुनिया में ,
वह भगवान कहाता है ,
दूजे के दुःख से द्रवित हो जो ,
वह इंसान कहाता है |
हीरा तो एक सुंदर पत्थर ,
आभूषण में लगता है ,
उससे तो अच्छा लोहा है ,
जरूरतें पूरी करता है ,
उसके बिना घर का कोई ,
काम नहीं हो पाता है ,
बिना रसोईघर के तो कोई ,
घर ही नहीं चल पाता है ,
लोहे की कीलों के बिना तो ,
कोई द्वार नहीं लग पाता है |
फूल सभी सुंदरता देते ,
आँखों को खुश कर देते ,
खुशबु फैलाते सब ओर ,
दिल खुश हो जाते हैं ,
ये खुशियाँ हैं बिना मोल की ,
फिर भी हैं कितनी अनमोल ?
पेड़ों से हम पाते रहते ,
अनगिनत वस्तुएँ मोल बिना ,
देते हम क्या मोल स्वरुप ,
पानी ,खाद और सुरक्षा ,
उसी के बदले वो जीवन भर ,
भरण हमारा करते हैं ,
फिर भी हम हीरे को ,
क्यों अनमोल समझते हैं ?
प्रकृति हमें देती उपहार ,
भिन्न - भिन्न और सुंदर से ,
उपयोगी हैं जीवन में ,
और उनके बिना हम कुछ भी नहीं ,
वही हैं असली हीरे अपने ,
उनकी चमक बढ़ाओ तुम ,
मदद करो दूजों की मानव ,
और इंसान कहाओ तुम |
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