कॉलेज हॉस्टल का मॉनसून
आज क्या याद दिलाया आपने ?
कॉलेज का जमाना आया सामने ,
आँखों में उतर आए वो कॉलेज के दिन ,
मस्ती भरे वो हॉस्टल के दिन |
पढ़ाई के संग -संग वो मस्ती भी होती ,
कभी डट के पढ़ते ,कभी मस्ती में खोते ,
जगते कभी रातभर हम ना सोते ,
पढ़ाई के सागर में लगाते थे गोते |
हॉस्टल के दिन और मॉनसून का आना ,
ऐसे में लगता अच्छा पकौड़े खाना ,
मैट्रन दीदी का प्यार ,पकौड़े बनवाना ,
धन्यवाद सहित हमारा पकौड़े खाना |
वॉर्डन दीदी थीं मानो सहेली ,
मॉनसून में ना चाय पीतीं अकेली ,
उनका वो साथ और मीठी सी बातें ,
मिला तो मीठी नींद से सजतीं थीं रातें |
चाय के समय जब बारिश थी आती ,
बालकनी हमारी चायघर बन जाती ,
सभी साथिनें ,मैट्रन ,वॉर्डन ,
मिलकर चाय का लुत्फ़ थीं उठातीं |
काश वो दिन एक बार फिर आते ,
हम फिर वही मॉनसून फिर मनाते ,
मॉनसून फिर मनाते |
आज क्या याद दिलाया आपने ?
कॉलेज का जमाना आया सामने ,
आँखों में उतर आए वो कॉलेज के दिन ,
मस्ती भरे वो हॉस्टल के दिन |
पढ़ाई के संग -संग वो मस्ती भी होती ,
कभी डट के पढ़ते ,कभी मस्ती में खोते ,
जगते कभी रातभर हम ना सोते ,
पढ़ाई के सागर में लगाते थे गोते |
हॉस्टल के दिन और मॉनसून का आना ,
ऐसे में लगता अच्छा पकौड़े खाना ,
मैट्रन दीदी का प्यार ,पकौड़े बनवाना ,
धन्यवाद सहित हमारा पकौड़े खाना |
वॉर्डन दीदी थीं मानो सहेली ,
मॉनसून में ना चाय पीतीं अकेली ,
उनका वो साथ और मीठी सी बातें ,
मिला तो मीठी नींद से सजतीं थीं रातें |
चाय के समय जब बारिश थी आती ,
बालकनी हमारी चायघर बन जाती ,
सभी साथिनें ,मैट्रन ,वॉर्डन ,
मिलकर चाय का लुत्फ़ थीं उठातीं |
काश वो दिन एक बार फिर आते ,
हम फिर वही मॉनसून फिर मनाते ,
मॉनसून फिर मनाते |
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