Monday, July 13, 2020

DUNIYA KEE AAKHIREE SHAAM ( SHORT STORY )

दुनिया की आख़िरी शाम

शामें रोज गुजरती हैं ,कुछ मीठी सी ,कुछ खट्टी सी ,
कुछ की यादें रह जाती हैं ,कुछ मीठी सी ,कुछ खट्टी सी |

वक्त बीतता जाता है ,उम्र भी बीत जाती है ,
कब ,कैसे वक्त बीता ? कब ,कैसे उम्र बीती ?
कुछ याद रह जाती हैं , कुछ भूलती सी हैं |

अच्छा हो या बुरा ,वक्त तो ठहरता नहीं ,
मुट्ठी में बंद रेत की ,मानिंद फिसलता यहीं ,
कुछ याद रह जाती हैं , कुछ भूलती सी हैं |

जब उम्र बीत जाएगी ,एक ऐसी शाम आएगी ,
हम नहीं जान पाएंगे ,ये शाम आख़िरी है ,
ये वक्त आख़िरी है ,ये बोल आख़िरी हैं ,
उसकी तो कुछ याद ना रह जाएगी ,
याद करने वाले ,जब हम ही नहीं होंगे ,
तो किसको याद आएगी ?
हाँ ,भाई हाँ , अपने तो होंगे ,जो याद हमें करेंगे |

ये थी जिंदगी की ,आख़िरी शाम की कहानी ,
कुछ की जिंदगी में आयी थी ,
दूसरों की जिंदगी में भी आएगी दोस्तों ,
पर अपनी ये दुआ है , नीली छतरी वाले से ,
दुनिया की आख़िरी शाम,कभी ना आए दोस्तों ,
हम सभी जब भी दुनिया छोड़ें ,
दुनिया विकसित ,पुलकित हो ,
स्वस्थ हो ,हरी -भरी हो ,सभी मानव ,
मस्त रहें ,हँसते रहें ,कहकहे लगाते रहें |


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