जीतेगी जिंदगी
महामारी के प्रकोप ने ,दुनिया को है रुलाया ,
नन्हें से वायरस ने ,कोहराम है मचाया |
इक से दूजे में फैला,किया शरीर को नाकारा,
ऐसे में हर किसी ने ,ईश्वर को है पुकारा |
राही हैं सब यहाँ पर ,चले जा रहे हैं ,
रस्ता पता नहीं है,मंजिल पता नहीं है |
नन्हा सा वायरस है ,पर वार है इसका तीखा,
दुनिया के हर कोने में ,इसने वार है किया |
देता नहीं दिखाई ,पर जगमगा रहा है ,
हर किसी को ये तो ,बीमार बना रहा है |
जिंदगी हुई है छोटी ,इसके वार से ए -दोस्त ,
कशमकश में हैं सब ,कल क्या होगा ए -दोस्त |
हर कोई है परेशां ,हर कोई है चिंता में ,
कल किसका,क्या होगा?कौन जाएगा चिता में?
क्या होगा जिंदगी का?क्या होगा हर खुशी का ?
कितनों के घर उजड़े हैं ?कितनों के हैं उजड़ने ?
अस्पतालों में तो ,लंबा तांता है लगा ,
डॉक्टर भी अब मरीज हैं ,कौन दे दवा ?
जीवन अजीर्ण किया है, वायरस की नज़र ने ,
जिस को ये लग जाए,उसका जीवन है अधर में |
रुकता नहीं है दिखता ,ये चक्र वायरस का ,
अभिमन्यु कौन होगा , इसके चक्रव्यूह का ?
कोशिश में सब लगे हैं ,सब उम्मीद हैं रखे ,
ये विजय चक्र किसके ,हाथ है लगे ?
संक्रमण रुक जाए ,और कोशिशें सफल हों ,
तभी तो वायरस का ,वार सब विफल हो |
जिंदगी जीतेगी ,और मौत ही हारेगी ,
पर अभी पता नहीं ये ,कितनों को मारेगी ?
मौत की मौत ही तो , जिंदगी को जन्म देगी ,
नये युग का आविर्भाव,तब धरा पे जन्म लेगा |
नया युग आएगा ,तो कल उसे छुएगा ,
आज की समाधि पर,ही नया गुल खिलेगा |
रंज ना कर तू इंसान ,तू भी नया बनेगा ,
अपना आज सुधार ,कल भी सुधरेगा |
तू ही है भागीरथ ,तू ही तो मनु है ,
तू ही इस दुनिया का,तपस्वी,ऋषि,मुनि है |
महामारी के प्रकोप ने ,दुनिया को है रुलाया ,
नन्हें से वायरस ने ,कोहराम है मचाया |
इक से दूजे में फैला,किया शरीर को नाकारा,
ऐसे में हर किसी ने ,ईश्वर को है पुकारा |
राही हैं सब यहाँ पर ,चले जा रहे हैं ,
रस्ता पता नहीं है,मंजिल पता नहीं है |
नन्हा सा वायरस है ,पर वार है इसका तीखा,
दुनिया के हर कोने में ,इसने वार है किया |
देता नहीं दिखाई ,पर जगमगा रहा है ,
हर किसी को ये तो ,बीमार बना रहा है |
जिंदगी हुई है छोटी ,इसके वार से ए -दोस्त ,
कशमकश में हैं सब ,कल क्या होगा ए -दोस्त |
हर कोई है परेशां ,हर कोई है चिंता में ,
कल किसका,क्या होगा?कौन जाएगा चिता में?
क्या होगा जिंदगी का?क्या होगा हर खुशी का ?
कितनों के घर उजड़े हैं ?कितनों के हैं उजड़ने ?
अस्पतालों में तो ,लंबा तांता है लगा ,
डॉक्टर भी अब मरीज हैं ,कौन दे दवा ?
जीवन अजीर्ण किया है, वायरस की नज़र ने ,
जिस को ये लग जाए,उसका जीवन है अधर में |
रुकता नहीं है दिखता ,ये चक्र वायरस का ,
अभिमन्यु कौन होगा , इसके चक्रव्यूह का ?
कोशिश में सब लगे हैं ,सब उम्मीद हैं रखे ,
ये विजय चक्र किसके ,हाथ है लगे ?
संक्रमण रुक जाए ,और कोशिशें सफल हों ,
तभी तो वायरस का ,वार सब विफल हो |
जिंदगी जीतेगी ,और मौत ही हारेगी ,
पर अभी पता नहीं ये ,कितनों को मारेगी ?
मौत की मौत ही तो , जिंदगी को जन्म देगी ,
नये युग का आविर्भाव,तब धरा पे जन्म लेगा |
नया युग आएगा ,तो कल उसे छुएगा ,
आज की समाधि पर,ही नया गुल खिलेगा |
रंज ना कर तू इंसान ,तू भी नया बनेगा ,
अपना आज सुधार ,कल भी सुधरेगा |
तू ही है भागीरथ ,तू ही तो मनु है ,
तू ही इस दुनिया का,तपस्वी,ऋषि,मुनि है |
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