शादी का पहला सावन
शादी का पहला सावन था, भीगा-भीगा प्यार भरा,
सब कुछ प्यार में डूबा था,उभरा था लेकिन जरा-जरा।
पहले सावन के झूले में,हम साजन के संग झूले थे,
झूले की पींगे थी प्यार भरी,हम लंबी पींगें झूले थे।
रिमझिम बारिश थी सावन की, बारिश में सब भीगा-भागा,
गर्मागर्म पकौड़ों के संग, चाय का कप भी गर्म ही था।
गुंझिया,घेवर मिले साथ में,जब तीज का आया सिंधारा,
सभी का आशीर्वाद मिला तो, आनंद मिला था सावन का।
वर्षा की बूंदों में भीगे, छतरी बंद हमारी थी,
इस सावन से पहले तो,अपनी प्रीत कुंवारी थी।
बदरा ने भी उस सावन में,प्यार अधिक सा दर्शाया,
लगातार रिमझिम बारिश दे,प्यार यूं हम पर बरसाया।
शादी का पहला सावन था, भीगा-भीगा प्यार भरा,
सब कुछ प्यार में डूबा था,उभरा था लेकिन जरा-जरा।
पहले सावन के झूले में,हम साजन के संग झूले थे,
झूले की पींगे थी प्यार भरी,हम लंबी पींगें झूले थे।
रिमझिम बारिश थी सावन की, बारिश में सब भीगा-भागा,
गर्मागर्म पकौड़ों के संग, चाय का कप भी गर्म ही था।
गुंझिया,घेवर मिले साथ में,जब तीज का आया सिंधारा,
सभी का आशीर्वाद मिला तो, आनंद मिला था सावन का।
वर्षा की बूंदों में भीगे, छतरी बंद हमारी थी,
इस सावन से पहले तो,अपनी प्रीत कुंवारी थी।
बदरा ने भी उस सावन में,प्यार अधिक सा दर्शाया,
लगातार रिमझिम बारिश दे,प्यार यूं हम पर बरसाया।
शादी का पहला सावन था, भीगा-भीगा प्यार भरा,
सब कुछ प्यार में डूबा था,उभरा था लेकिन जरा-जरा।
पहले सावन के झूले में,हम साजन के संग झूले थे,
झूले की पींगे थी प्यार भरी,हम लंबी पींगें झूले थे।
रिमझिम बारिश थी सावन की, बारिश में सब भीगा-भागा,
गर्मागर्म पकौड़ों के संग, चाय का कप भी गर्म ही था।
गुंझिया,घेवर मिले साथ में,जब तीज का आया सिंधारा,
सभी का आशीर्वाद मिला तो, आनंद मिला था सावन का।
वर्षा की बूंदों में भीगे, छतरी बंद हमारी थी,
इस सावन से पहले तो,अपनी प्रीत कुंवारी थी।
बदरा ने भी उस सावन में,प्यार अधिक सा दर्शाया,
लगातार रिमझिम बारिश दे,प्यार यूं हम पर बरसाया।
शादी का पहला सावन था, भीगा-भीगा प्यार भरा,
सब कुछ प्यार में डूबा था,उभरा था लेकिन जरा-जरा।
पहले सावन के झूले में,हम साजन के संग झूले थे,
झूले की पींगे थी प्यार भरी,हम लंबी पींगें झूले थे।
रिमझिम बारिश थी सावन की, बारिश में सब भीगा-भागा,
गर्मागर्म पकौड़ों के संग, चाय का कप भी गर्म ही था।
गुंझिया,घेवर मिले साथ में,जब तीज का आया सिंधारा,
सभी का आशीर्वाद मिला तो, आनंद मिला था सावन का।
वर्षा की बूंदों में भीगे, छतरी बंद हमारी थी,
इस सावन से पहले तो,अपनी प्रीत कुंवारी थी।
बदरा ने भी उस सावन में,प्यार अधिक सा दर्शाया,
लगातार रिमझिम बारिश दे,प्यार यूं हम पर बरसाया।
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