Thursday, July 9, 2020

MUSKAAN HUI

मुस्कान हुई

पवनी तू बदरा लाई है ,
घनघोर घटाएं छाईं हैं ,
ये लो घनी बरसात हुई ,
जैसी हम दोनों की बात हुई |

गरज दामिनी की गूँजी ,
कड़क दामिनी की गूँजी ,
बदरा की मोटी बूँदों में ,
दामिनी की चमकार हुई |

दूर नहीं कुछ दिखता है ,
सब पानी पीछे छिपता है ,
पानी की चादर हो जैसे ,
वैसे ही पर्दादार हुई |

गर्मी से धरा ने राहत पाई ,
ऋतु भी तो बरसात की आई ,
सभी जनों के साथ -साथ ,
पवनी तू भी तो मुस्कान हुई |

पवनी भीगी -भीगी सी ,
रुकती -रुकती ,चलती -चलती ,
बारिश की बूँदें पवनी संग ,
मिलकर पानी की धार हुई |

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