Sunday, July 5, 2020

HAR FIKRA KO DHUEN MEIN ( SHORT STORY )

              हर फिक्र को धुएं में

हर फिक्र के लिए अपना , द्वार बंद किया है यारों ,
फ़िक्रों के लिए खिड़कियाँ भी ,बंद हैं यारों |

ये जिंदगी है एक ,और दिन हैं यारों चार ,
क्यों इसको फ़िक्रों में , तुम बिताओ यारों  |

रिश्तों की एक डोर , तो खुदा ने बाँधी ,
यहाँ दिलों के रिश्ते हमने ,दोस्तों से हैं बनाए ,
सारे ही रिश्तों को तो , दिल से निभाओ यारों |

कल होगा जो होगा , क्या फिक्र है कल की ?
आज तो खुल के , मुस्कुराओ यारों  |



जिंदगी को हमने तो , मुस्कानों में डूबा दिया यारों ,
आओ तुम भी साथ हमारे , कहकहा लगाओ यारों  |

शब्दों को पहले तोलो , फिर मुँह से उनको बोलो ,
प्यार का एक नगमा , जग में फैलाओ यारों  |

No comments:

Post a Comment