Saturday, December 31, 2022

LAMHAA ( JIVAN )

 

 

                      लम्हा 


आता है लम्हा जाता है ,वक़्त गुजरता जाता है ,   

हर लम्हा तो दोस्तों हमारी ,यादों में बस जाता है | 


हर लम्हा दिल धड़काता है ,नए जज़्बात जगाता है ,

हमारी सारी सोच को ,लम्हा ही आगे बढ़ाता है | 


जिस लम्हे मुस्कान जगती है ,लम्हा भी मुस्काता है ,

प्यार के पौधे को ,लम्हा ही वटवृक्ष बनाता है | 


मुस्कानों की लड़ियाँ ,टाँग दो हर तरफ दोस्तों ,

मुस्कानें बिखर जाएँगी ,हर लम्हे में दोस्तों | 


मत गिनो कि कितने ,लम्हे हैं हमारे जीवन में ? 

गिन डालो दोस्तों ,लम्हों में कितना जीवन है ? 


KAARVAN DOSTI KAA ( JIVAN )

 

                            कारवां दोस्ती का 


बीत रहा है ये वर्ष भी ,कुछ घंटों के बाद तो ,

ये वर्ष भी बस जाएगा यादों में ,

जैसे अभी तक के वर्ष बसे हैं ,यादों में | 


एक -एक करके ,कितने ही वर्ष बीत गए हैं ?

ऐसे ही तो दोस्तों ,लंबी उम्र भी बीत गई है ,

सारी यादें बस गईं हैं दिल में | 


कुछ खट्टी ,कुछ मीठी यादें ,

कुछ उलझी , कुछ सुलझी यादें ,

कुछ याद रहीं , कुछ भूली यादें ,

कुछ अपनी ,कुछ अपनों की यादें | 


प्रतिलिपि के जरिए , आप सब से जुड़ने की यादें ,

कुछ नए दोस्त बनते गए ,मिलते गए ,

और ये दोस्ती का कारवां ,बढ़ता गया ,बढ़ता गया | 


Thursday, December 29, 2022

DHAARA JIVAN KI ( JIVAN )

 

                धारा जीवन की 


जीवन की राहें टेढ़ी -मेढ़ी ,ऊँची - नीची ,

कभी लगें सरल ,फिसलते हुए पार कर लो ,

मगर कभी लगता ,राहें पार करना कठिन | 


समय कभी दुःख देता तो लगता ,

हम कभी उस समय को ,पार ना कर पाएँगे ,

उलझ कर समय के ,चक्रव्यूह में रह जाएँगे | 


परिस्थितियों में फँसे ,हम कैसे निकलेंगे ? 

अपने ही दिल में ,चलते चक्रवात से ,

उसी चक्रवात का ,रास्ता बहुत कठिन है | 


मगर अचानक ,एक उजली किरन ,

एक ठंडी बयार ,कानों में मानो गुनगुनाई ,

होंठों पर मुस्कान उभर आई ,राहें बदल गईं | 


ये क्या हुआ ? किसने  किया ये सब ?

है ना एक अदृश्य शक्ति दोस्तों ? 

जो बदल गई जीवन - धारा | 


Tuesday, December 27, 2022

RAG - RAG MEIN ( JIVAN )

 

                            रग -रग में 


आज तो हम खो गए हैं दोस्तों ,

पता नहीं हम कहाँ हैं दोस्तों ? 


ढूँढो तो जरा हम हैं कहाँ ? 

क्या तुम्हारे दिल में बसे हैं हम ? 

क्या तुम्हारे विचारों में रचे हैं हम ? 


क्या कहा आपने दोस्तों ? 

तुम्हारे प्यार में बसे हैं हम ,

तुम्हारी मुस्कानों में बसे हैं हम ,

तुम्हारी दुआओं में बसे हैं हम | 


धन्यवाद दोस्तों ! हमारा पता बताने के लिए ,

बिना पते वाले हम ,

खोज में जुटे थे ईश्वर की ,

उसी का ठिकाना ढूँढ रहे थे ,

जब की वह तो हमारी रग - रग में रहता है | 


PRASAAD ( AADHYATMIK )

 

                                प्रसाद 


घटती रहती हैं घटनाएँ ,कुछ ख़ुशी देने वाली ,

और कुछ दुःखद ,करो तुम इतना ,

कि बदल दो ,दुःखद घटनाओं को | 


बदल सकने वाली तो ,बदल जाएँगी ,

मगर कुछ घटनाएँ ,नहीं बदलेंगी ,

दुःख ना मनाओ ,तुमने कोशिश तो की | 


ख़ुशी देने वाली घटनाएँ ,तो स्वीकार हैं तुम्हें ,

खुश हैं ना आप ,तो खुश रहो ,

जिंदगी खुशियों में डूब जाएगी | 


सब कुछ तो ,ऊपर वाले के हाथ में है ,

वही सारा ,घटना - चक्र चलाता है ,

तुम नहीं कर सकते  कुछ भी ,

कोशिशें तो ,तुमने कर ही लीं ना ? 

बस तो जो मिला ,वह प्रसाद है ,

वह प्रसाद है ,उसे माथे लगाओ | 

 

Monday, December 26, 2022

MUSKAAO ( GEET )

 

                            मुस्काओ 


खिला दो कण -कण में मुस्कान ,

प्यार की कलियाँ महकाओ ,

जीवन भर जाएगा खुशियों से ,

सभी को तुम जो हँसाओ | 


ये जग सारा रंगीं हो जाएगा ,

रंगों को तुम जो बिखराओ ,

चहक से दिल भी चहकेगा ,

तुम जो चहको और चहकाओ | 


मुस्काते तुम भी रहो दोस्तों ,

होंठों पे  मुस्कान तुम लाओ ,

मीठे संगीत से दिल भर जाएगा ,

अगर तुम कोई गीत गुनगुनाओ | 


राहों को गर जगमगाना हो ,

कोई तो दीप तुम जलाओ ,

गगन के तारों जैसे ही तुम ,

इस दुनिया में खूब जगमगाओ | 


Saturday, December 24, 2022

RUMM JAO ( AADHYATMIK )

 रम जाओ 


 रचनाकार ने ,जिंदगी दी अपनी रचनाओं को ,

तीन दिन दिए ,पहला दिन जन्म का ,तीसरा दिन मृत्यु का ,

बीच में था दूसरा दिन ,जो लंबा था ,

  उसकी रचनाएँ कुछ भी करके ,अच्छा या बुरा ,

कैसे भी उसे बिता सकती हैं ?

 

सब कुछ चुनना उन रचनाओं को है ,

प्यार ,विश्वास ,मुस्कानें बाँटें सभी को ,

या नफरत ,धोखा और आँसू बाँटें | 


सत्कर्म करके ,रचनाकार की मेहनत को ,

सफल करें और उसे धन्यवाद दें ,

या दुष्कर्म कर ,रचनाकार की मेहनत को ,

असफल करें और उसको दुःखी करें | 


रचनाकार का विश्वास जीत लो बंधु ,

उसकी  मेहनत सफल करो ,

दुनिया में प्यार ही प्यार फैलाओ ,

मुस्कानें फैलाओ ,

" वसुधैव कुटुंबकम " में रम जाओ || 


 

      

 

                                     



Friday, December 23, 2022

BHORR ( GEET )

 

                भोर 


नींद में डूबे तो ,सपनों की दुनिया ,

जिसका कोई ओर ना छोर ,

मन - मयूर उसमें उड़े ,

खिलखिलाता हुआ चहुँ ओर | 


अनजानी सी वह दुनिया ,

फैली है बिन डोर चहुँ ओर ,

अंतर्मन उड़ता जाता है ,

जैसे बँधी हो कोई अदृश्य डोर | 


सपने खट्टे - मीठे मिलते ,

कुछ मन को याद हैं रहते ,

कुछ को भूल जाते हैं हम ,

कुछ को याद कर नाचे मन का मोर | 


उस दुनिया में नई जगह हैं ,

कुछ जाने ,कुछ अनजाने चेहरे,

घूम - घूम कर ,देख -देख कर ,

आ जाती है सुंदर सी भोर | 

 

LABAALAB ( KSHANIKA )

  

                        लबालब

 

धन चाहे जितना भी कमाओ , 

मत उस धन के दरिया में डूब जाओ ,

सब अपनों का मान बढ़ाओ ,

सब अपनों के अपने बन जाओ | 


प्यार करो और प्यार ही बाँटो ,

डूबना है तो प्यार में डूब जाओ ,

प्यार से दूसरों की तकलीफें खरीद लाओ ,

और प्यार से दूसरों को सुकूं दे आओ | 


फिर देखो दोस्तों ,सभी अपने हैं ,

और तुम्हारा जीवन ,कितना सुकूं में डूबा है ,

इसी धन को जोड़कर दोस्तों ,

अपना अकाउंट लबालब कर लो |  


Wednesday, December 21, 2022

PAATH PREM KAA ( PREM )

 

                           पाठ प्रेम का 


एक - एक बूँद प्रेम की ,संचित कर लो बंधु ,

गिनती ना उन बूँदों की ,तुम करना बंधु ,

असंख्य बूँदें जब हों संचित ,परमात्मा मुस्कुराएगा | 


दोगे प्रेम दूजों को तो ,पाओगे प्रेम तुम भी ,

अपनों का प्रेम तो ,बसा है मुस्कुराहटों में ,

उनकी मुस्कुराहटें बढ़ा दो तो ,परमात्मा मुस्कुराएगा | 


नाता जग में प्रेम का ,है सबसे प्यारा ,

जिसने यह नाता निभा लिया ,वह बना सबका दुलारा ,

उसी को तो देखकर बंधु ,परमात्मा मुस्कुराएगा | 


आज ही ये नाता जोड़ो ,ना सोचो समय बहुत है ,

ना जाने क्या और कब ,कुछ बदले ? 

जो समय निकल गया तो ,परमात्मा कैसे मुस्कुराएगा ? 


Tuesday, December 20, 2022

SHISHY GURU KE ( KSHANIKA )

 

                 शिष्य  गुरु के 


कलम पकड़नी सिखाई गुरु ने ,

कलम से लिखना सिखाया गुरु ने ,

लिखे हुए को पढ़ना सिखाया गुरु ने ,

पढ़े हुए का अर्थ सिखाया गुरु ने | 


एक इमारत को विद्यालय बनाया गुरु ने ,

कुम्हार जैसे मिट्टी के मटके बनाता ,

बच्चों को विद्यार्थी बनाया गुरु ने ,

प्रणाम का अर्थ भी सिखाया गुरु ने | 


विद्यालय की फीस को ,

गुरु - दक्षिणा समझते थे सब ,

दक्षिणा का सही अर्थ बताया गुरु ने ,

जीवन को जिंदगी बनाया गुरु ने | 


काश ! आज वो गुरु फिर मिल जाते ,

तो हम कितना कुछ सीख जाते ? 

गीली मिट्टी के लोंदे से मटका बन जाते ,

गुरु के हम प्रिय शिष्य बन जाते | 


SANSKAAR ( KSHANIKA )

 

                  संस्कार 


बचपन के खेलों में ,लिया आनंद ,

बचपन के खेलों में ,जिया आनंद ,

बचपन के खेल अब ,हुए ख़त्म ,

शुरु हुआ अब ,किस्मत का खेल |

 

बचपन में मिले ,जो संस्कार ,

उनकी तो है , सबको दरकार ,

ईमानदारी ,सत्यवचन ,

भाईचारा और प्रेम -प्यार | 


कभी ना मिटने देना इनको ,

कभी ना अपनाना अहंकार ,

नहीं तो टूटेगा अपनापन ,

और छूट जाएँगे ,सभी संस्कार | 


Sunday, December 18, 2022

KHAATA PREM KAA ( PREM )

 

               खाता  प्रेम का 


बीज डालो प्रेम का ,पौधा नन्हा उग जाय ,

धीरे - धीरे वही पौधा ,बड़ा पेड़ बन जाय | 


भरा रहे पत्तों से ,फूल भी खूब खिलाय ,

फूल लग जाएँ जब बहुत ,पेड़ ही झुकता जाय | 


फैले खुश्बु चहुँ ओर ,मस्त सभी हो जाएँ ,

प्रेम भावना का खाता ,लबालब भर जाय | 


भरा रहे ये खाता ,प्रेम और प्यार से ,

खाली ना हो ये खाता ,खाद प्रेम की डाली जाय | 


Saturday, December 17, 2022

GAAGAR MEIN SAAGAR ( JIVAN )

 

             

    गागर  में सागर 


ना कुंडली का किया  मिलान ,

ना रक्त का बना संबंध ,

मगर चला ता उम्र ये रिश्ता ,

दोस्ती का भई दोस्ती का | 


ना दिन गिने दोस्ती में ,

ना महीने और ना ही साल ,

बीतता चला समय दोस्तों ,

अपने ही रास्ते और अपनी ही चाल | 


कोई भी समस्या अगर आई ,

याद हमें आई दोस्तों की ,

किसी  भी ख़ुशी ने प्रवेश किया जब ,

हुड़क उठी दिल से दोस्तों मिलन की | 


दोस्तों के प्रेम से तो ,

गागर भरी है अपनी ,

मगर ऐसा लगता है जैसे ,

सागर समाया  गागर में अपनी | 


Thursday, December 15, 2022

DAUDII JAATI ( GEET )

      

           दौड़ी जाती 


चली है नदिया बलखाती ,संगीत सुनाती ,इठलाती ,

तेज धार का रूप लिए ,प्यार सभी से जतलाती | 


सभी को प्यार से दे आवाज़ ,पास बुलाकर प्यार जताए ,

अपने जल से सभी को वह ,झर -झर कर भिगो ही जाती | 


धरा तेज है नदिया की ,साथ नहीं हम चल सकते ,

दौड़ -दौड़ कर भी हम तो पीछे ,वो आगे ही दौड़ी जाती | 


पकड़ नापाएँ उसको हम ,वो तो सरपट दौड़ लगाए ,

ऐसा हमें तो लगता है ,वो ओलिम्पिक में गोल्ड जिताती | 

 

Wednesday, December 14, 2022

SARAL ( AADHYAATMIK )

 

 

               सरल 


स्वभाव सबका अलग -अलग ,

किसी का है कठिन ,तो किसी का सरल ,

कोई  कठोर है दिल का ,

तो दूसरा है बहता हुआ तरल | 


तरल को रास्ता मिले तो ,

उधर ही बहता जाएगा ,

रास्ते में मिलने वालों को ,

अपने साथ में लेता जाएगा | 


जो कठोर है दिल का ,

वह तो दूजों का दिल दुखाएगा ,

मगर जो है सरल वह तो ,

दूजों के हिस्से का भी पी जाएगा गरल | 


जो पिएगा गरल वह तो ,

फिर भी जीवंत होगा ,

पी के गरल वह तो ,

शिव का अवतार कहलाएगा |  


Sunday, December 11, 2022

SANSAAR ( JIVAN )

   

 

                           संसार 


दोस्तों से भरा संसार है ,

उनमें से कुछ हमने चुने ,कुछ तुमने चुने ,

दोस्ती की राह में ,

कुछ हम भी बढ़े ,कुछ तुम भी बढ़े | 


रिश्तों से भरा संसार है ,

उनमें से ना हमने चुने ,ना तुमने चुने ,

ईश्वर के बनाए रिश्तों में ,

कुछ हमने निभाए ,कुछ तुमने निभाए | 


हरा -भरा ये संसार है ,

जो सारा का सारा ही ,ईश्वर ने बनाया ,

ईश्वर की बनाई हरियाली को ,

किसी ने उसे संवारा ,किसी ने उसे बिगाड़ा | 


ईश्वर की बनाई धरा पर ,

अनेक सरहदें खींची गईं ,बँटवारे किए गए ,

सँवारने वालों ने सुंदर किया धरा को ,

बिगाड़ने वालों ने ,प्रलय को बुलाया | 


Saturday, December 10, 2022

CHAURAHA JINDGI KA ( JIVAN )

 

                चौराहा जिंदगी का 


शहरों में जो सड़कें बनती हैं ,

उनमें कई मोड़ ही मुड़ते हैं ,

कई मोड़ों के मिलने से ही ,चौराहे भी बन जाते हैं | 


जीवन भी एक सड़क ही तो  है ,

मोड़ों की यहाँ भरमार है ,

पर कहीं -कहीं इन मोड़ों में ,चौराहे ही बन जाते हैं | 


कई बार परिस्थितियों की खातिर ,

हम सब खड़े वहाँ रह जाते हैं ,

जहाँ पर एक-दो नहीं दोस्तों,चार-पाँच रास्ते जाते हैं | 


तब समझ नहीं आता है हमें ,

किस ओर और कहाँ हम जाएँ ? 

किस मोड़ से मिलेगी मंजिल हमें ?सुकूँ कहाँ पा जाते हैं? 


यदि गलत मोड़ आता है तो ,

बर्बाद वो तो कर जाएगा ,

नहीं पाएँगे मंजिल हम ,सुकूँ भी नहीं पा सकते हैं | 

 

कैसा है चौराहा जिंदगी का ? 

काश यहाँ लिखा होता ,

आराम कहाँ मिल सकता है ?सुकूँ कहाँ मिल सकता है ? 

 

Wednesday, December 7, 2022

VISHVAAS ( JIVAN )

 

                         विश्वास 


रिश्ते सभी टिकते हैं बंधु ,आपसी विश्वास पे ,

विश्वास गर है गहरा ,रिश्ता भी होता गहरा ,

विश्वास गर ना हो तो ,रिश्ता भी ढह गया ,

इसीलिए तो बंधु ,विश्वास दे दो तुम ,विश्वास ले लो तुम | 


विश्वास ही है जिसने ,प्रतिमा को  माना ईश्वर ,

विश्वास के जरिए ही ,पत्थर में प्राण फूँके ,

विश्वास के होने से ,आस्था सभी में जागी ,

विश्वास की ही अँगुली को ,चल दो पकड़ के तुम | 


विश्वास है तो बंधु ,प्यार भी पलता है ,

विश्वास के होने से ,साथ भी चलता है ,

विश्वास तुम कर लो तो ,विश्वास भी मिलेगा ,

अन्यथा सोचो तो जरा ,कोई विश्वास क्यों करेगा तुम पे ? 


विश्वास एक पहिया ,जो दुनिया को चलाए ,

विश्वास का ही बंधन ,एक दूसरे को साथ बाँध पाए ,

बंधु बँध जाओ इस बंधन में भी तुम ,

बंधु बँध जाओ इस बंधन में भी तुम | 


MANN ( JALAD AA )

 

               

   मन  (  जलद आ )


खुशियों में मन बावरा ,झूमे ,नाचे ,गाए  ,

मगर देख दुःख की छाया ,मुरझाए ,अकुलाए | 


बदरा जैसा मन मेरा ,पवन संग उड़ जाए ,

चमके जब -जब दामिनी ,जोर से शोर मचाए | 

 

मन की पीड़ा मन ही जाने ,ना जाने दुनिया सारी ,

तेरा मन या मेरा  मन हो ,क्यों पीड़ा से हो भारी ? 


मन की पीड़ा समझे बदरा ,मन जब अश्रु बहाए ,

बदरा का भी दिल पिघले ,छम -छम नीर बहाए | 


बरखा बरसे धरा तृप्त ,मन भी ठंडक पाए ,

तृप्ति का आभास ही ,मन को सुखी बनाए | 


Sunday, December 4, 2022

GUNGUNAAO ( GEET )

  

                       गुनगुनाओ 


जिंदगी की हदों को पार करके ,

बेहद प्यार छलका दो दोस्तों ,

हदें तो होती हैं देशों के बीच ,

उन्हें पार कर जाओ तुम दोस्तों | 


दुनिया जब बनाई उस रचेता ने ,

कोई हद ना उसने तो देखी ,

बेहद दुनिया की रचना की उसने ,

सारी हदें तो मानव ने ही खींचीं | 


खूबसूरती देख दुनिया की ,

मानव बहुत ही मुस्काया ,

प्रकृति ने मुस्कान देखी मानव की ,

खुद को बहुत खिलखिलाया | 


दोस्त बन सभी को प्रेम करो ,

यही सब रचेता  प्रकृति ने सिखाया ,

इस सीख को सदा याद रखो तुम ,

प्रेम भी तो तभी छलछलाया | 


जो जिंदगी मिली है ,है बहुत सुंदर ,

इसलिए तुम सदा गुनगुनाओ ,

सभी के ऊपर तुम प्यार का ,

सदा संगीत सरसराओ |

Thursday, December 1, 2022

ANDAR ( CHANDRAMA )

 

                अंदर  (चंद्रमा )


रात को जब चाँद चमका ,

झाँका  खिड़की से अंदर ,

हमने जब बुलाया मुस्का के ,

आया वो तब खिड़की से अंदर | 


हम दोनों की शुरु हुईं जब बातें ,

हमने कीं वो सारी बातें ,

इतने दिन से जो बातें ,

दबीं थीं दिल के अंदर | 


कहा चाँद ने हमसे तब ,

कई बार देखा करता था ,

मैं तुमको मेरी सखि ,

पर जगा ना पाया मैं तुमको ,

डूबीं थीं तुम निंदिया के अंदर | 


मैं बोली तब मेरे दोस्त ,

रोज़ झाँकती थी मैं खिड़की से ,

रोज़ ढूँढती थी सखा को अपने ,

मगर ना जाने कहाँ गुमे थे ?

कभी दिशा कुछ दूसरी होती ,

कभी शायद बदरा के अंदर | 


Wednesday, November 30, 2022

IMTIHAAN PREM KAA ( GEET )

 

                      इम्तिहान प्रेम का 


सब जगह है इम्तिहान ,तभी  प्रवेश मिलता ,

स्कूल हो या कॉलेज ,सबका एक ही रस्ता | 


पढ़ाई शुरु करें ,तभी इम्तिहान होता ,

पढ़ाई की एक सीढ़ी चढ़ें ,तभी इम्तिहान होता , 

हर बार भारी होता जाता ,हमारा तो बस्ता | 


क्या प्रेम में भी दोस्तों ? होगा कोई इम्तिहान ,

उसमें भी शामिल होगा क्या ? सारा ये जहान ,

उसके लिए दोस्तों ,कैसा होगा रस्ता ? 


दोस्ती और प्रेम में ,क्या प्रश्न पूछे जाएँगे ? 

उसमें पास होने को ,उत्तर कहाँ से आएँगे ? 

बिना किताबों के ही होगा ,भारी हमारा बस्ता | 


Monday, November 28, 2022

SHABD KAA BHAAV ( JIVAN )

 

           शब्द का भाव 


शब्दों का संसार बड़ा अनोखा ,

पढ़ो जब ,तब लगे वह ,बहुत ही चोखा | 


एक शब्द के अर्थ अनेक ,

मगर सभी लगते हैं एक ,

प्यार शब्द में समा गए हैं ,

प्रेम ,ममत्व ,स्नेह ,अपनत्व सभी ,

मगर अर्थ है इनका एक | 


शब्द रात को ले लो तो ,

रजनी ,निशा ,रात्रि है वो ,

विश्राम का दूसरा नाम है वो ,

नींद में डूबे हुए ,सपनों का संसार है वो | 


शब्द पानी को ले लो तो ,

जल ,नीर ,सलिल ,तोय है सब ,

जीवन देने वाला है वो ,

जीवन रचने वाला है ,

जीवन का आधार है वो | 


मगर शब्द भाव को ले लो तो ,

सभी कुछ छिपा है भाव में ,

अपनों का प्यार ,सारा संसार ,

उसमें तो अपनत्व छिपा है ,

अपनों की परवाह बसी है ,

भाव बड़ा है शब्दों से ,

भाव सुंदर ,बहुत सुंदर है शब्दों से | 



Thursday, November 24, 2022

TOHAFAA MUSKAAN KA ( JIVAN )

 

                     तोहफा मुस्कान का 


इंसान जो कल परसों था ,वही आज भी है ,

मगर स्वभाव जो पहले था ,वह आज नहीं है | 


हवाएँ जो कल परसों थीं ,वही आज भी हैं ,

मगर उनकी गति जो पहले थी ,वह आज नहीं है | 


सूरज जो बरसों पहले था ,वही आज भी है ,

मगर उसकी तपिश जो पहले थी ,वह आज नहीं है | 


परिवर्तन जो पहले होते थे ,आज भी होते हैं ,

परिस्थितियाँ पहले की तरह ,आज भी बदलती हैं | 


कुछ परिवर्तन ,मुस्कानों को बढ़ा देते हैं ,

कुछ परिस्थितियाँ ,मुस्कुराहटों को बढ़ा देती हैं ,

हर परिवर्तन पर ,हर परिस्थिति में ,

मुस्कानों को कम ना होने दो दोस्तों ,

बढ़ने और खिलने दो मुस्कानों को ,

मुस्कान का यह तोहफा ,

ईश्वर ने सिर्फ इंसानों को ही दिया है दोस्तों | 


Monday, November 21, 2022

IMTIHAAN ( AADHYATMIK )

 

                     इम्तिहान 


" जिंदगी इम्तिहान लेती है " ये गीत बहुत सुंदर है ,

चलिए देखते हैं कैसे ? 

जिंदगी कैसे लेती है इम्तिहान ? 

कौन जिंदगी में पढ़ाता है ? 

कौन पाठ्यक्रम बनाता है ? 

कौन है जो जिंदगी में हमको ,रास्ता दिखाता है ? 


वही रचनाकार ,जिसने ब्रह्मांड बनाया ,

वही रचनाकार ,उसी ने हमें बनाया ,

वही रचनाकार ,जिसने हमारा पालना झुलाया ,

हमें खिलाया -पिलाया , चलना सिखाया ,

वही तो पाठ्यक्रम बनाता है ,हमें पढ़ाता है ,

 वही तो  रास्ता दिखाता है | 


वही सफलता की कुंजी हमारे ,हाथ में थमाता है ,

प्यार वो सिखाता है ,विश्वास वो जगाता है ,

हमारे कर्मों के फल को ,वही तो जिलाता है ,

उसी के बनाए , प्रश्न - पत्रों को लिखें हम ,

उससे अच्छे नंबर ,प्राप्त करें हम | 


वही तो मंजिल तक ले जाएगा ,

हमारे दुःख दूर करके ,सुखी हमें बनाएगा ,

हम पे प्रेम ,प्यार बरसाएगा ,

चिंता - मुक्त करके ,चैन की नींद सुलाएगा | 


आओ उसे ,धन्यवाद करें हम ,

हरदम उसे प्रणाम करें हम ,नमन करें हम | 


Saturday, November 19, 2022

ANUBHAV ( JIVAN )

 

                         अनुभव 


पल -पल समय बीतता जाता ,

पीछे छोड़ता जाता निशान ,

ऐसे ही पल -पल जीवन ,

मानो वह उड़ता जाता ,

जो निशान छूटते पीछे ,

वह ही तो है अनुभव बंधु | 


अनुभव ना तो हाट बिकाय ,

ना बिकता बाजार में ,

ना पैसों से मिलता बंधु ,

ना रुपयों की खान से ,

पल -पल जीवन खर्च करो ,

तब मिलता अनुभव बंधु | 


अपनी उम्र बिताय के ,

जो अनुभव मिल जाय ,

वही तो असली अनुभव है ,

जो सारे राज दिखाय ,

मगर सच्चा अनुभव तो ,

अपनों को असली राह दिखाय | 


जीवन भर की यह कमाई ,

खान बड़ी बन जाय ,

पग -पग पर जो चलें हम  ,

उसकी राह बताय ,

पकड़े जो उस राह को ,

लाभ वही तो पाय | 


बीत जाय सारा जीवन ,

तब अनुभव की खान भरे ,

रीत जाय सारा जीवन ,

तब अनुभव की खान भरे ,

जो दूजे के अनुभव से लाभ उठाय ,

उसे लाभ सारा का सारा ,

बिन मोल मिल जाय |  


Monday, November 14, 2022

HAMEN YAAD KARANAA ( KSHANIKA )

 

                हमें याद करना 


समय के चलते - चलते ,सब कुछ है बदलता ,

कभी समय था जब मानव ,चार पैर पर चलता ,

धीरे - धीरे मानव ने ,किया विकास जीवन में ,

और आगे मानव ,चार पहियों पे चलता | 


धीरे - धीरे बिजली जगमगाई ,घर - घर में ,

टी.वी.,कम्प्यूटर आए ,घर - घर में ,

दूर देश के कार्यक्रम , देखे जा  सकते कहीं भी ,

जब टी. वी.,कम्प्यूटर ,घर - घर में हैं चलते | 


पचास साल पहले की दुनिया ,

आज की दुनिया जैसी नहीं थी दोस्तों ,

फिर आज से पचास साल आगे की दुनिया ,

कैसी होगी ? क्या पता ? उस समय क्या चलेगा ? 


बैलगाड़ियों के  जमाने ,से निकल कर हम ,

बुलेट ट्रेन ,हवाई जहाज़ों को ,कर दर किनार ,

अंतरिक्ष में चाँद और मंगल तक पहुँचे हैं ,

आगे  पहुँचेंगे ? कुछ पता नहीं है चलता | 

 

बचपन में मैनड्रेक  की ,कहानी पढ़ी थी हमने ,

मैनड्रेक एक स्थान से दूसरे स्थान पर ,

बिना वाहन के पहुँच जाता था ,

क्या पता अब से पचास साल बाद ?

मानव भी उसी  प्रकार बिना वाहन,

एक स्थान से दूसरे स्थान तक चलायमान हो ? 

 

सोच लो दोस्तों 2070 में ,दुनिया कैसी होगी ?

आज के मुकाबले क्या बदलाव होंगे ? 

हम तो उस समय नहीं होंगे ,मगर हमारे विचारों को ,

याद रखना ,और बदलाव देख ,हमें याद करना दोस्तों | 

 

Saturday, November 12, 2022

JEEVNODDHHAR ( JALAD AA )

 

                        जीवनोद्धार  


बदरा आया उड़ - उड़ के ,

गहरे नीले आसमान में ,

लहराती ,बलखाती आई दामिनी ,

सबने मिलकर दुनिया को गुँजाया | 

 

रुक जा बदरा ,जरा थम जा तू  ,

बरखा को नीचे भेज रे ,

बरखा जो नीचे आएगी तो ,

धरा की प्यास बुझा रे | 


प्यास जो धरा की बुझेगी ,

तो हरियाली फूटेगी और ,

खेत सभी लहराएँगे ,और उनको देख के ,

सभी के दिल हर्षाएँगे | 


तृप्त धरा के हरे आँचल में ,

छिप जाएँगे सभी जीव फिर ,

तर जाएँगे लेकर प्यार ,

धरा की फसलों से होगा ,जीवनोद्धार फिर | 


Thursday, November 10, 2022

KARM HAMAARE ( JIVAN )

 

                           कर्म हमारे 


एक कहावत है दुनिया में ---- ,

" क्या लेकर आए थे ? और क्या लेकर जाना है ? 

खाली हाथ आए थे ,और खाली हाथ जाना है | 

 

रचनाकार ने जो किस्मत लिखी है ,

वही तेरा खजाना है ,

उसी के अनुसार तूने जीवन बिताना है | 

 

हाथ खाली जरूर थे ,मगर किस्मत में ,

क्या लिखा गया था ? ये किसी को पता नहीं है ? 

 

दुनिया में आकर ,जो कर्म हमने किए ,

जो प्यार हमने बाँटा ,मुस्कानें जो बाँटी ,

उसी प्यार और मुस्कानों का खजाना है | 

 

एक दिल देकर भेजा था ,हमें इस संसार में ,

अपने कर्मों के खजाने में ,दिलों का भंडार ,

हम साथ अपने रखते हैं | 

 

अपने कर्मों का फल ,जो हमने जीवन में ,

एक खजाना संजोया है ,

उसी को साथ लेकर जाना है ,

हाथ खाली हैं मगर वो खजाना ,

तो हमारे रचनाकार तक पहुँचा है ,

हमारे कर्मों का ,

लेखा - जोखा तो वहाँ पहुँच रहा है | 

 



Wednesday, November 9, 2022

SINGAAR ( RATNAKAR )

         

              सिंगार 


सागर तेरी लहरों का संगीत मधुर है ,

संगीत मधुर है ,हर गीत मधुर है ,

तेरे  और मेरे जीवन की ,

हर साँस और उच्छ्वास मधुर है  | 


तेरी लहरें हैं छम -छम करतीं ,

सब के ही दिलों में वो बसतीं ,

सागर तेरी गहराइयाँ भी तो ,

लहरों के गीतों को प्यार करतीं | 


सागर हर कदम पर तू मददगार है ,

तू तो जैसे धरा का सिंगार है ,

धरा तुझसे पाए जीवन के अनेक रस्ते ,

उन रस्तों में खड़ा है तू रत्नों का भंडार है | 


Monday, November 7, 2022

CHUSKIYAN - MUSKIYAN ( KSHANIKA )

 

              चुस्कियाँ - मुस्कियाँ 


दूध चला आया घर में ,पानी भी तो आ गया ,

मिलाई गयी चाय की पत्ती ,चीनी को डाला गया ,

लो जी चाय तैयार हो गई | 


समझे कुछ दोस्तों ,दूध ,पानी पुर्लिंग हैं ,

चीनी ,चाय की पत्ती हैं स्त्रीलिंग ,

मगर चाय तो बनी ( स्त्रीलिंग ) | 


दूध को उबाला गया ,

कॉफी पाउडर मिलाकर ,फेंटा गया ,

चीनी मिलाई तो ,

लो जी कॉफी तैयार हो गई | 


अब आई समझ में बात ,

दूध ,कॉफी पाउडर पुर्लिंग हैं ,

चीनी स्त्रीलिंग ,

कॉफी बनी  ( स्त्रीलिंग  ) | 


ले लो सभी ,चाय - कॉफी की चुस्कियाँ ,

और मार लो मुस्कियाँ ,मार लो मुस्कियाँ | 


Sunday, November 6, 2022

MUSKAAN LIE CHANDA ( CHANDRMA )

 

                           मुस्कान लिए चंदा 


नींद से आँखें खुलने पर ,

देखा चंदा खड़ा है सामने ,

लिए मुस्कान चेहरे पर ,

हो गई मैं हैरान देख सामने | 


अरे ! सखा तुम कब आए ? 

सखि ,दिन बीतते जाते ,यूँ ही व्यस्तता में ,

आज समय मिल गया ,तो सोचा ,

दूँ सरप्राइज़ ,हो खड़ा सामने | 


अच्छा किया सखा ये तुमने ,

मैं भी खुश हूँ तुम्हें देख कर ,

मैं लाती हूँ चाय बनाकर ,

बातें करेंगे दोनों बैठ सामने | 


उठी मैं लाई चाय बनाकर ,

बैठ गए हम दोनों बंधु ,

चाय के सिप कम ,बातें ज्यादा ,

जब तक कोई ना आया रोकने | 


हम दोनों जब भी मिलते हैं ,

ऐसे ही बातें करते हैं ,

अपने दिल का हाल बताते ,

फिर लगते हैं दूसरे का जानने | 

 

Saturday, November 5, 2022

DAVAAIYAAN MUFT KI ( JIVAN )

 

                     दवाइयाँ मुफ्त की 


सुबह सवेरे उठो भोर में ,सैर करो खुली हवा में ,

प्राण -वायु को अंदर ले लो ,भर लो अपनी साँसों में | 


कसरत बहुत जरूरी है ,रोज सवेरे कर लो तुम ,

शरीर की हर माँस -पेशी को ,चुस्त -दुरुस्त कर लो तुम | 


परिवार के साथ जुड़ो तुम ,भोजन साथ में खाओ तुम ,

ऐसा करके भोजन को ,अच्छे से पचाओ तुम | 


भोजन के संग साप्ताहिक ,व्रत को खूब निभाओ तुम ,

कोई भी एक दिन चुन करके ,व्रत का साथ निभाओ तुम | 


हर पल मुस्कान हो चेहरे पर ,दिल खुशियों में डूबा हो ,

ऐसे ही समय बनेगा सुंदर ,जीवन खुशियों से भर पाओ तुम | 


हँसी -मजाक में समय कटे ,अपनों संग जीवन स्वस्थ कटे ,

जितना भी हो सके जीवन में ,सहयोग से जीवन बिताओ तुम | 


कोई कुछ भी कड़वा बोले ,दवा समझ पी जाओ तुम ,

ऐसे में चुप्पी रखना ही ,दवा समझ लो बंधु तुम | 


ऐसा करने से ही बंधु,निद्रा गहरी आएगी ,

वह तुमको सपनों में ही ,दुनिया खूब घुमाएगी | 


दोस्त बनाओ अपने और ,मिलना -जुलना किया करो ,

बाकि सब तो बनें दवाई ,दोस्त तो दुकान का काम करे ,

सभी का अनुसरण करके अपनी ,प्रतिक्रिया दिखाओ तुम ,

ये दवाइयाँ हैं मुफ्त की ,इन्हें सदा अपनाओ तुम | 


Thursday, November 3, 2022

PYAAREE BEENA ( GEET )

 

                    प्यारी बीना 


मैं हूँ एक प्यार भरी बीना ,

झंकृत नहीं होती ,जब तक छेड़ो ना ,

तान निकलेगी मेरे तारों से ,

उसको दिल लगा के तुम सुनो ना ,

मैं हूँ एक प्यार भरी बीना | 


साजों की महफ़िल में सजाया मुझको ,

तुमने हर दिल में बसाया मुझको ,

प्यार से तुमने हर जगह बसाया मुझको ,

आज तुम प्यार से झंकार मेरी सुनो ना ,

मैं हूँ एक प्यार भरी बीना || 


हरेक साज मेरा दोस्त बन गया है अब ,

सारे साजों की सज गई है महफ़िल अब ,

तुम भी बैठे रहो इस महफ़िल में अब ,

हमारे साथ ही तुम भी गुनगुना लो ना ,

मैं हूँ एक प्यार भरी बीना  ||| 

Wednesday, October 26, 2022

BHAR DO PRAAN ( AADHYATMIK )

 

                     भर दो प्राण 

 

चलती जाए मेरी लेखनी ,ऐसा दो वरदान ,

प्रभु जी मेरी ,लेखनी में भर दो प्राण | 


शब्द हों सुंदर ,भाव भरे हों ,

जीवन की ,साँसों  से भरे हों ,

पढ़ने वालों के होठों पर ,आ जाए मुस्कान ,

प्रभु जी मेरी ,लेखनी में भर दो प्राण | 


प्यार में डूबे हों ,शब्द रसीले ,

हों दुलार में ,गीले - गीले ,

पढ़ने वालों की आँखों में ,आ जाए चमकान ,

प्रभु जी मेरी ,लेखनी में भर दो प्राण | 


शब्दों से दिल ,धड़का जाए ,

महकी हुई सी ,राह दिखाए ,

पढ़ने वालों के दिलों में हो,मीठी सी धड़कान ,

प्रभु जी मेरी ,लेखनी में भर दो प्राण | 


गीतों में मेरे ,जीवन भर जाए ,

प्यार में डूबकर ,वो छलछलाएँ ,

पढ़ने वाले उन गीतों का ,दिल से कर लें गान ,

प्रभु जी मेरी ,लेखनी में भर दो प्राण | 


Monday, October 24, 2022

BHAREE - BHAREE ( AADHYATMIK )

 

                            भरी - भरी 


दिया है उसने हमको खूब ,झोली लबालब है भरी ,

नसीबा लिख दिया उसने ,राहें उजियारों से हैं भरीं | 


हम हैं नसीबों वाले ,जो थामा है उसने हाथ  ,

उसी के सहारे से तो , राहें मखमल से हैं भरीं | 


चमकते दीयों से है घर रोशन ,नयनों में चमक आई ,

इसी चमक से तो घर की हर दीवार ,चमक से है भरी  | 


कमी ना देने में उसने की ,भर - भर  के दिया उसने ,

हमने भी प्यार से ,मुस्कान से ,सब कुछ समेटा है ,

तभी तो आज दुनिया हमारी ,खुशियों से है भरी -भरी | 



Saturday, October 22, 2022

DOOJAA PYAAR ( PREM )

 

                    दूजा प्यार 


पहला प्यार है पिया मेरे ,मेरा पूरा परिवार है मेरे लिए ,

दूजा प्यार प्रकृति है ,जिसको रचा है ईश्वर ने | 


उसने बनाया प्यार से अपनी ,इस सारी रचना को ,

प्यार से उसे रंग -रूप दिया ,प्यार से उसे सजा दिया | 


वही है मेरा दूजा प्यार ,जिंदगी का जिसने किया सिंगार ,

उसी प्रकृति को प्यार की ,डोरी से बाँधा हमने | 


हमने क्या ? उसी प्रकृति ने अपनी ,सुंदरता से हमें लुभाया ,

अपना बनाया ,प्यार बढ़ाया ,जीने का अंदाज सिखाया | 


आओ दोस्तों ! मिलो मेरे ,इस दूजे सुंदर प्यार से ,

मेरी आस ,मेरे विश्वास से ,अगर हम प्यार और सम्मान ,

देंगे इसे ,यानि प्रकृति को ,तो वह भी देगी हमें ,

अपना प्यार ,अपना सुंदर स्वरूप  ,अपनी मीठी धूप | 

 

Tuesday, October 18, 2022

HAI PHAANII ( KSHANIKA )

 

                            है फानी 


जुनून -ए -इश्क ने ,जीवन को रंगीं कर दिया ,

प्यार के रंग में डुबाकर ,जीवन को प्यारा कर दिया | 


वरना जीवन तो ,अनिश्चित सी   कहानी है ,

किधर को बह जाएगी ,नदिया की रवानी है?

ना जाने किस मोड़ पर मुड़ जाएगी ? 

ना जाने किसको साथ में ले जाएगी ? 

धीमी सी लहर आएंगी ,या ये एक दरिया तूफानी है ? 


प्यार और इश्क में जीवन बीत जाए ,ऐसा तो कुछ भी नहीं है ,

ये तो संघर्षों से जूझते हुए दिलों की कहानी है ,

हर क्षेत्र में संघर्ष ही भरे हैं साहब ,

हर क्षेत्र में संघर्षों की ही रवानी है | 


बड़े से मोड़ पर ,मुड़ जाए गर जीवन ,

तो बड़ा बदलाव आता है ,

सब कुछ है बदल जाता ,दिल -औ -दिमाग भी साहब ,

बदल कर सब कुछ बदल देता ,तभी तो यह लगता है ,

यह दुनिया सच में फानी है ,साहब सच में फानी है | 


Thursday, October 13, 2022

SAAGAR ALBELAA ( RATNAKAR )

  

                 सागर अलबेला 


लहर -लहर लहराता आया ,सागर मेरा अलबेला ,

शांत हृदय ,चंचल लहरें ले आया ,सागर मेरा अलबेला | 


रत्नों का भंडार समेटे आया ,सागर मेरा अलबेला ,

दुनिया को जीवन देता आया ,सागर मेरा अलबेला | 


पानी का भंडार वो लाया ,सागर मेरा अलबेला ,

अंदर अनेक रहस्य छिपाए आया ,सागर मेरा अलबेला | 


नदियाँ लातीं मीठा पानी ,उसे ही खारा करता वह ,

नमक कहाँ से लेके आया ? सागर मेरा अलबेला | 


कैसे उपजा उसमें जीवन ? ये रहस्य ना जाने कोई ,

खारे पानी  में ही जीवन लाया ,सागर  अलबेला | 


Monday, October 10, 2022

JIVAN GRIHANI KA ( KSHANIKA )

 

 

                       जीवन  गृहणी का  


एक कहावत सुनी बहुत थी ,

" बिन घरनी घर भूत का डेरा ",

सच है ये कहावत ,जरा देखो घर छड़ों का बंधु | 


गृहणी सँवारे घर को ,बनाए घर एक मकान को ,

घर में रहने वाले हर प्राणी की ,इच्छा समझे ,पूरी करे ,

क्या अन्य कोई कर सके बंधु ? 


एक सजा ,सँवरा घर एक खुश्बुओं से महकता घर ,

एक मुस्कानों से भरा घर ,किलकारियों से भरा घर ,

क्या अन्य कोई कर सके बंधु ? 


दिन के चौबीस घंटे ,महीने के तीसों दिन ,

साल के तीन सौ पैंसठ दिन ,अनवरत कार्य करे ,

क्या अन्य कोई कर सके बंधु ? 


मगर उसी गृहणी को ,इसका क्या फल मिले ?

कोई ना तनख्वाह ,कोई ना बोनस ,कोई ना छुट्टी ,

क्या अन्य कोई कर सके बंधु ? 


जरा समझो बंधु ,प्यार दो ,दुलार दो ,

मान दो ,सम्मान दो ,उसके चेहरे पे खिलती मुस्कान दो ,

आप इतना तो करो बंधु ,

आप इतना तो करो बंधु | 


Sunday, October 9, 2022

RIMJHIM ( JALAD AA )

 

                 रिमझिम 


अरे बदरा ! आया तू अचानक ,दामिनी की चमकार लिए ,

चमकार के साथ -साथ ही ,दामिनी की गर्जनार लिए | 

 

छम -छम ,छम -छम बरखा बरसी ,पानी फैला चारों ओर ,

उस पानी में तैरें बच्चों की ,कागज की नावें चहुँ ओर | 

 

बच्चे गाएँ - " रेन -रेन गो अवे ",ताली खूब बजाएँ बच्चे ,

बच्चों के बारे में सोचो ,बच्चे होते हैं मन के सच्चे | 

 

बदरा ने भी साथ दिया बच्चों का ,

रिमझिम -रिमझिम बरखा भेजी ,

मानो बदरा ने बच्चों के लिए ,प्यार भरी पाती भेजी | 

 

बच्चे फूले ख़ुशी में बंधु ,बदरा भी ख़ुशी में फूला है ,

नृत्य दिखाया दामिनी ने ,बच्चों का मन भी भरमाया | 

 



Wednesday, October 5, 2022

RAAT BHAR ( CHANDRAMAA )

 

                रात भर 


चंद्रमा झाँका गगन में ,मुस्का के झाँका गगन में ,

सखि ! तुम कहाँ छिपी हो ? 

खिड़की में तो आओ जरा | 


निकली मैं खिड़की के पास ,

मुस्कुरा उठी मैं देख के चंद्रमा ,

अरे! सखा तुम आ गए हो ,

हँस पड़ा मेरा सखा चंद्रमा | 


कैसी हो सखि तुम ? बहुत दिन हुए मिले तुमसे ,

हाँ ! सखा आए नहीं हो तुम ,

इसी से हम मिल ना पाए तुमसे | 


मेरा तो सखि हर दिन ऐसा ही ,

हर दिन नहीं आ पाता हूँ ,

तुम भी तो नहीं खिड़की पे आतीं ,

क्योंकि मैं तो रोज़ नहीं आता हूँ | 


छोड़ो ये बातें सखा तुम ,

अंदर आओ इसी खिड़की से तुम ,

दोनों मिल बैठेंगे रात भर ,

बातें खूब करेंगे रात भर | 


Saturday, September 17, 2022

LEKHAA - JOKHAA ( JIVAN )

 

                 लेखा - जोखा 


बीता पहला दशक बंधु  जीवन का ,

अनजाने में ,ना समझी में ,

शुरु में अक्षर - ज्ञान हुआ था ,कविता -कहानी ,

प्रश्न -उत्तर ,हिंदी ,इंग्लिश और गणित समस्या हल करने में | 


दूसरे दशक में बड़ा हुआ क्षेत्र ,पढ़ना -लिखना हुआ अधिक ,

थोड़े खेल -कूद भी बढ़े ,सोच भी अब बढ़ने लगी थी बंधु |

 

दशक तीसरे में तो बंधु ,जीवन बिल्कुल बदल गया ,

पढ़ाई -लिखाई हुई पूरी ,मायका छोड़ ससुराल हुआ | 

 

चौथे दशक में हमारे ,प्रथम दशक के दर्शन हुए , 

अपने बच्चों में ,वही कहानी फिर से शुरु हुई | 

 

दशक पाँचवें में बढ़ी जिम्मेदारियाँ ,बच्चों की बड़ी पढ़ाइयाँ ,

उनकी बदलती जीवन शैलियाँ ,उनका बढ़ता कार्य क्षेत्र | 

 

छठा दशक तो हमें दिखा गया आईना ,

हम आए थे माता -पिता से दूर ,अपने कार्य क्षेत्र में ,

अब बच्चे गए अपने कार्य क्षेत्र में  | 


बीता जब दशक छठा ,तो हुए हम अकेले ,

क्षमताएँ हुईं ढीली ,कार्य क्षेत्र से सेवा -निवृत्ति ,

समय बढ़ा और फिर आए बच्चों केबच्चे ,

फिर से चली वही दिनचर्या | 


तो बंधु यह था ,अपने जीवन का लेखा -जोखा ,

अच्छा लगे तो बताना ,

अपने जीवन से अलग या भिन्न लगे तो बताना  | 



Wednesday, August 31, 2022

JHADII ( RATNAKAR )

                      झड़ी 

 

बदरा से जल की झड़ी लगी ,इतना जल बरसा कि ,

सागर की लहरें उफ़न चलीं ,तट की ओर ,

सागर ने बाँह पकड़ रोका ,वापस अपनी राह लौटाया | 

 

सागर की गहराई बहुत ही ,लहरों की ऊँचाई बहुत ही ,

कूद -कूद कर लहरें खेलें ,सागर का भी दिल खुश होता ,

लहरें उसकी दोस्त हैं घनी ,

उनकी ख़ुशी तो है सागर की ख़ुशी | 


सागर के दिल में है छिपा ,

लहरें सोचें लिए खजाना हम चलें बाहर ,

मगर वज़न ले चलना मुश्किल ,

वापस चलीं सागर की ओर ,

वापस चलीं सागर की ओर | 


Monday, August 29, 2022

SAJAA KAAFILA ( JIVAN )

 

             सजा काफिला 

 

घबराना नहीं कभी कठिनाइयों से ,

ऐ दोस्त ,अगर अंदर कुछ टूटन हो ,

तो आना पास हमारे ,

अपने दिल का हाल बताना | 


दोस्तों के पास तो हौसलों की ,

सिलाई होती है ,

आत्मविश्वास के धागों से कढ़ाई होती है | 


बढ़ता है आत्मविश्वास तो ,

कठिनाइयाँ कम हो जाती हैं ,

मुस्कुराहटें अपने आप बढ़ जाती हैं | 


दोस्ती का तो माहौल ही ऐसा है ,

कहकहों और खिलखिलाहटों ,

का काफिला सजा ही रहता है | 


Tuesday, August 23, 2022

AAJ KE BHOOT ( KSHANIKA )

 

                आज के भूत 

 

आया - आया जादूगर आया ,

बच्चों आओ ,साथ बड़ों के ,

लेकर जादू का चश्मा ,

लगाएगा  तो देख पाएगा ,

जो कुछ दिखता सब को ,

और जो नहीं दिखे किसी को ,

दबा ,ढका ,छिपा ,उघड़ा ,सभी कुछ | 


देखो अब आया है तांत्रिक ,

अपना तंत्र - मंत्र का चश्मा ,

लगा के देखेगा ,दुनिया की दबी ,

छिपी वो सभी आत्माएँ , जिन्हें सब कहते ,

भूत ,प्रेत ,जो नहीं दिखते हैं औरों को | 


आज के वैज्ञानिक युग में ,नया है चश्मा ,

जिसका नाम माइक्रोस्कोप ,

जिसका प्रयोग डॉक्टर करते ,

जो आज के तांत्रिक हैं ,

आज के भूत वायरस हैं ,

अलग -अलग नाम होता ,बीमारी के अनुसार ,

दवा रुपी भभूति से उन भूतों को मारते हैं ,

मरीज को ठीक करते हैं ,

आज समय बदला है बंधु | 


Tuesday, August 16, 2022

SAAWAN ( JALAD AA )

 

                          सावन 

 

सावन की झड़ी लगी है बंधु ,

बदरा की गर्जन भी शामिल है ,

ऐसे मौसम में तो बंधु ,

दामिनी की चमकन भी शामिल है | 

 

बिना दामिनी बदरा का वज़ूद क्या है ? 

बिना बदरा सावन कुछ नहीं ,

बदरा और दामिनी दोनों मिलें तो ,

सावन है ,सावन है बंधु ,सावन है | 

 

चारों ओर जल ही जल है ,

हर तरफ छायी हरियाली है ,

सब ओर पेड़ - पौधे खुश हैं ,

पूरी धरा ही मानो तृप्त है | 


पेड़ों पर झूले लगने से ,

बच्चे - बड़े झूलते बारी - बारी ,

यही तो सावन का महीना है बंधु ,

अभी तो धरा तृप्त हो गई है सारी | 


Sunday, August 14, 2022

AMRIT MAHOTSAV ( DESH )

 

 

 

                     अमृत महोत्सव 

 

कितने थे वीर देश के ? जान की निछावर देश पर ,

कितने थे लाल माँओं के ?हुए कुर्बान देश पर | 


फाँसी पे लटके कुछ तो ,सीने पे गोली खाई थी ,

पर सब किसी के दिल में बसी ,भारत की माई थी | 


आज़ादी मिली जब देश को ,सब ही खुशियों में डूब गए ,

कुछ - कुछ की तो पलकों में ,ख़ुशी के आँसू तैर गए | 


देश के लाडलों के बलिदान ने ,दिलाई आज़ादी देश को ,

लहराया तिरंगा अपना ,लहराया तिरंगा अपना | 


आज हुए पिचहत्तर बरस ,अमृत महोत्सव आ गया ,

आज़ाद भारत अपना आज ,पिचहत्तर बरस का हो गया | 


Friday, August 12, 2022

BACHCHE - TAARE ( CHANDRAMA )

 

                           बच्चे - तारे 

 

उतर आ चाँद धरती पर ,साथ में ले के तारों को ,

धरती मेरी अनोखी है ,मज़ा आएगा तारों को | 


खेलेंगे तारे बच्चों संग ,सभी खुश होते जाएँगे ,

तुम भी खुश हो जाओगे चंदा ,मज़ा आएगा बच्चों को | 


खेलों का रूप तो चंदा ,यहाँ दिन ,दिन बदलता है ,

कोई धरती पे चलता है ,कोई पानी पे चलता है | 


हवा में भी तो उड़कर के ,पकड़ते एक - दूजे को ,

इन्हीं सब खेलों में तो ,मज़ा आएगा बच्चों को | 


चंदा तुम खुश होगे ,मैं भी तो खुश हूँगी ,

जो भी देखेगा ये खेल ,वही तो बहुत खुश होगा ,

मज़ा आएगा तारों को ,मज़ा आएगा बच्चों को | 


Wednesday, August 10, 2022

BAHUT SARA PYAR ( GEET )

   

              बहुत सारा प्यार 

 

तू है मेरा भाई ,मैं हूँ तेरी बहना ,

तू मान मेरा कहना ,मैं मानूँ तेरा कहना | 

 

मैं हूँ तेरा भाई ,तू है मेरी बहना ,

तू मान मेरा कहना ,मैं मानूँ तेरा कहना | 

 

हम हैं नानी ,नानू ,तुम हो नाती ,नातिन ,

तुम मानो हमारा कहना ,हम मानें तुम्हारा कहना | 

 

साथ हम रहेंगे ,प्यार हम करेंगे ,

बहुत ,बहुत ,बहुत सारा प्यार | 

 

Monday, August 8, 2022

MACHALTEE LAHAREN ( RATNAKAR )

 

                        मचलती लहरें 

 

एक अनोखी दुनिया है बसी ,तेरे अंदर -ऐ -सागर ,

रत्नों का है तू आकर ,तभी कहलातातू रत्नाकर | 

 

हर रंग छिपा है तेरे अंदर ,

मगर बाहर से है पानी - पानी ,

कोई रंग ना दिखाई दे ,

बस परछाईं दिखे है आसमानी | 

 

लहरें मचलतीं  तेरी शोर यूँ मचातीं ,

बाहर के लोगों को आवाज़ दे बुलातीं ,

खिलखिलाहटों से उनकी ,

सभी के मन पास आने को मचल  मचल जाते | 

 

हम भी तो तेरे पास आकर ,

लहरों में हैं तैरे ,लहरों में हैं डूबे ,

खेलों का सिलसिला ऐसा ,

चलता रहेगा यूँ ही सागर ,रत्नाकर | 

 



Sunday, July 31, 2022

VO LAMHE ( GEET )

 

 

                 वो लम्हे 

 

दोस्तों के साथ बिताए गए ,

वो यादगार लम्हे ,

कहकहों और खिलखिलाहटों से भरे ,

वो यादगार लम्हे | 

 

बहती जिंदगी में तैरते हुए ,

वो यादगार लम्हे ,

बचपन की किलकारियों में गूँजते हुए ,

वो यादगार लम्हे | 

 

फूलों से भरे गुलशन में महकते हुए ,

वो यादगार लम्हे ,

तितलियों के पीछे भागते हुए बच्चों के ,

वो यादगार लम्हे | 

 

चिड़ियों की चहचहाहटों से भरे हुए ,

वो यादगार लम्हे ,

मयूर पंखों से भरे रंगीन हुए ,

वो यादगार लम्हे ,

जिंदगी की सबसे खूबसूरत अमानत हुए ,

वो यादगार लम्हे | 

 

Friday, July 29, 2022

ASAMAAN - SAMAAN ( KSHANIKA )

 

 

             असमान - समान 

 

 विचारों की असमानता भी ,

दोस्ती में खलल नहीं डाल सकती ,

अगर दूसरों के विचारों को ,

पूर्ण सम्मान दिया जाए तो | 


हम संभाले रहें ,अपनी विचार - पुस्तिका को ,

मगर दूसरों की विचार - पुस्तिका के लिए ,

एक सुंदर सा विचार ,उन्हें उपहार - स्वरुप दें ,

पुस्तक - चिन्ह के रूप में | 


तब वो भी आपके विचारों का ,

आदर और सम्मान करेंगे ,

धन्यवाद स्वरूप वो भी आपको ,

मुस्कुराहटें देंगे उपहार में | 

 

असमानता और समानता ,

भी  गले मिल सकते हैं ,

अगर दूसरे के विचारों में ,

दखल-अंदाजी ना करें तो | 


Friday, July 22, 2022

ASHAANT MAN ( JIVAN )

 

 

                    अशांत मन 

 

जब कभी हो मन अशांत ,

आँख बंद कर ध्यान लगा लो ,

अपने मन के अंदर झाँक कर ,

उसका कोना - कोना छान लो | 


कहीं कोई तिनका ( ताना ) मिल जाए ,

कहीं कोई धूल का कण ( अपमान ) मिल जाए ,

शुद्ध विचारों से साफ कर लो ,

मुस्कानों से धो डालो | 


प्यार की कमी गर हो जीवन में ,

और इसीलिए मन अशांत हो ,

तो गीत प्यार का सुन लो ,

और गीत को गुनगुना लो | 


अशांत मन को भटकने मत दो ,

प्यार के कच्चे धागे से ही बाँध लो ,

ध्यान रखो धागा छूटे ना हाथ से ,

ध्यान रखो धागा टूटे ना ,हाथ से थाम लो | 


साँसों के तार पर ध्यान दो ,

गति ना बढ़ा दें ,गति ना घटा दें ,

कोशिश करो मध्यम चाल ही चलें ,

कोशिश करो मन को शांत ही करें || 


Tuesday, July 19, 2022

VO YAADEN ( KSHANIKA )

 

 

                     वो यादें 

 

यादें हैं हर पल की ,बीते हुए जीवन की ,

कुछ मीठी ,कुछ खट्टी | 

 

मीठी यादें मुस्कान जगाती हैं ,

खट्टी यादें मुस्कान सुलाती हैं , मगर जीवन में तो ,

हर तरह की यादें हैं ,सभी याद रह जाती हैं | 


यादों में दोस्तों के कहकहे हैं ,

सहेलियों की खिलखिलाहटें हैं ,

प्यार की मस्ती में डूबे पल हैं ,तो कुछ उदासियाँ भी हैं | 


सभी यादें सिमटी हैं दिल में ,

सभी यादें उन पलों को जीवंत कर जाती हैं ,

और होठों पर मुस्कान ,या आँखों में नमी छोड़ जाती हैं | 


जो भी हो यादें हमारी हैं ,नहीं ये उधारी हैं ,

इन्हें रखो संभाल के ,दिल के कोने में संवार के | 


Monday, July 18, 2022

PAANEE KI DHOOP ( KSHANIKA )

 

 

                       पानी की धूप 

 

तरल नहीं कोई पानी सा ,सरल नहीं कोई पानी सा ,

जिधर रास्ता मिले चले || 

 

रंग नहीं कोई पानी का ,संग नहीं कोई पानी का ,

जिसमें मिले उसी रंग रंगे || 

 

ठंडा ,शीतल पानी है ,उसका नहीं कोई सानी है ,

ताप मिले तो गर्म रहे || 

 

जीवन देने वाला है ,जीवन चलाने वाला है ,

पानी नहीं  तो जीवन में ताला है || 

 

पानी से सीखो सरलता ,पानी से सीखो तरलता ,

पानी से बन जाओ तुम || 

 

सारे ही गुण ले लो तुम ,लो पानी का रूप तुम ,

मानो हो पानी की धूप तुम || 

 

Sunday, July 17, 2022

SAJAA LO ( PREM )

 

 

                     सजा लो 

 

प्यार को हृदय की गहराइयों में बसा लो ,

मगर मुस्कानों को होठों पर ही सजा लो ,

बाँटते रहो प्यार को तुम सभी में ,

बिखराते रहो मुस्कानों को तुम सभी में | 

 

जीवन एक है खुशियों में ही तुम उसे डुबा लो ,

प्यार के धागे से सभी को तुम बंधा लो ,

रंग और महक को फैला दो तुम सभी में ,

तितलियों की तरह चंचलता दो तुम सभी में | 

 

सब ओर राज खुशियों का तुम फैला लो ,

सब ओर मुस्कुराहटों की चमक तुम सजा लो ,

आँखों में चमकीले सपने सजा दो तुम सभी में ,

सपनों को पूरा करने की हिम्मत दो सभी में | 


कोई ना डूबे ग़मों में तुम उन्हें बचा लो ,

कोई ना परेशां हो तुम ही उन्हें संभालो ,

राहों को सजाने की हिम्मत दो सभी में ,

दीपक बन के उजाले दे दो तुम सभी में || 


SANJEEVANI BOOTI ( JIVAN )

 

 

                    संजीवनी बूटी 

 

रिश्तों को बाँध लो ,प्यार की डोरी से ,

रिश्ते हमेशा रहते , दिल की खोली में ,

भूल जाओ खामियाँ ,गर किसी में है ,

याद रखो खूबियाँ ,जो दूसरे में है | 


रिश्ता बँधा रहे तो ,मुस्कान देता है ,

रिश्ता सधा रहे तो ,खिलकान देता है ,

हाथों को मिला लो ,जो हाथ बढ़ा दे ,

हाथों को बढ़ा दो ,जो हाथ मिला दे | 


टूटा अगर जो रिश्ता ,रह जाओगे अकेले ,

टूटे हुए रिश्ते में हैं ,अनगिनत से झमेले ,

रोको ना प्यार को तुम ,बाँटो सभी में बंधु ,

बाँधो ना मुस्कानों को ,फैलाओ सभी में बंधु | 

 

परवाह हो सभी की ,जितनी भी हो सके ,

मदद हो सभी की ,जितनी भी हो सके ,

रिश्तों की डोरी बँधेगी ,जीवन के सफर में ,

रिश्ते तभी बढ़ेंगे ,जीवन के इस सफर में ,

संजीवनी बूटी है ये ,जीवन के इस सफर में | 

 

Friday, July 15, 2022

EISAA DOST ( JIVAN )

 

                      ऐसा दोस्त 

 

एक मधुर गीत है ---- 

"कोई होता जिसको अपना ,

हम अपना कह लेते यारों " 

 

सच में दोस्तों ---  कोई तो ऐसा दोस्त हो ,

जिसके हम निकट जा कर ,

दिल की बातें कर सकें | 

 

कोई तो ऐसा दोस्त हो ,

जो पास हो  या दूर ,

 मगर हम खुल के बातें कर सकें | 


कोई तो ऐसा दोस्त हो ,

जहाँ सोचने की जरूरत ना हो ,

हम बिना सोचे,समझे बातें कर सकें | 


कोई तो ऐसा दोस्त हो ,

जहाँ दिल सुकून पा जाए ,

ऐसी अनजानी और पहचानी बातें कर सकें | 


Wednesday, July 13, 2022

GURU BCHCHE ( KSHANIKA )

 

                     गुरु बच्चे 

 

गुरु आज हो आप ही ,मेरे छोटे बच्चों ,

आप से ही सीखें हम ,जीने की कला ,

नए - नए से खेल ,नए - नए से मेल ,

मोबाईल चलाना मानो ,लगता आपको खेल ,

इसलिए नमन ,नमन ,नमन ,नमन | 

 

Tuesday, July 12, 2022

MEETHEE DHUN ( DOHAA )

 

 

                         मीठी धुन 

 

अगर है मन की शांति ,तो तुम हो बड़े अमीर ,

भाग्य तुम्हारे साथ है ,बाकि सभी फ़क़ीर | 

 

जीवन बहुत अमोल है ,कीजे कद्र अमोल की ,

बेकद्री ना करो तुम ,रखो इसे संभाल के | 

 

छोटा सा ही जीवन है ,समय ना व्यर्थ गँवाओ ,

मिल जाए जो दोस्त एक ,रिश्ता खूब बढ़ाओ | 

 

प्रेम ,प्यार एक बूटी है ,जो खुशियाँ बरसाए ,

उसे समेटो प्यार से ,आँचल भी भर जाए | 

 

क्रोध किसी पे ना करो ,क्यों दिल अपना जलाओ ? 

क्रोध को तो बंधु तुम ,मन में कभी ना बसाओ | 

 

रिश्तों को तुम बाँध लो ,मधुर बानी में बोल ,

कोई भी जो शब्द हो ,बोलो उसको तोल | 

 

यादों से खुशियाँ मिलें ,ऐसी यादें चुन ,

तभी तो बंधु जीवन में ,बजेगी मीठी धुन | 

 

Sunday, July 10, 2022

BOLII ( DOHE )

 

 

                    बोली 

 

रोटी पर लग जाय जो ,थोड़ा सा घी दोस्त ,

स्वाद बहुत बढ़ जायगा ,जीभ बनेगी दोस्त | 

 

इसी तरह जो नाम के ,आगे जी ( शब्द ) लगाओ ,

दूजों से फिर दोस्त तुम ,खूब ही इज्जत पाओ | 

 

स्वाद और इज्जत मिली ,तो जीवन खुशहाल ,

प्राप्त करो इसे खूब ही ,हो जाओ मालामाल | 

 

बच्चा सीखे बोलना ,जब दुई बरस का होय ,

पटर - पटर बोलत फिरै ,सबको खुश कर देय | 

 

जब वह बड़ा हो जाय तो ,सब कुछ बोलता जाय ,

क्या है ठीक और क्या गलत ? समझ नहीं कुछ आय | 

 

पूरी उमर गँवाई दे ,पटर - पटर ही बोल के ,

मीठी बोली ना भई ,पूरा जीवन तोल के | 

 

Friday, July 8, 2022

UPJAAOO MAN ( GEET )

 

 

                 उपजाऊ मन 

 

मिट्टी में बोया जो बीज ,पानी से सींचा वो गया ,

फूटा अंकुर ,निकलीं पत्तियाँ ,धीरे -धीरे वो पेड़ बना | 

 

धरा हमारी है उपजाऊ ,हरियाली उसमें पनपे ,

बीज कोई भी बोया जाए ,नए -नए पौधे उगते | 

 

धरा जैसा ही मन है हमारा ,मन में तो विचार उगते ,

नफरत उसमें गई अगर ,तो नफरतों के पेड़ उगते | 

 

डालो बीज प्यार ,प्रेम का ,खूब ही प्रेम उगाओ तुम ,

मन भर जाएगा प्रेम से ,उसको खूब लुटाओ तुम | 

 

सबसे उपजाऊ है मन अपना ,सोच के उसमें डालो बीज ,

प्यार ,प्रेम की फसल बढ़े जब ,दुनिया नई सजाओ तुम | 

 

Wednesday, July 6, 2022

PAANI BARASE ( JALAD AA )

 

 

               पानी बरसे 

 

जलद मेरे ,जल्दी से आजा ,

छम - छम - छम ,पानी बरसा जा | 

 

पानी बरसे ,तो मयूरा नाचे ,

सुंदर पंख फैलाए ,

पानी बरसे ,तो मन नाचे ,

नाच हिलोरें खाए | 


पानी बरसे ,तो हरियाली छाए ,

बगिया फूली जाए ,

पानी बरसे ,तो फूल खिलें ,

और खुश्बु महकती जाए | 


पानी बरसे ,तो बच्चे नाचें ,

बरखा का मजा उठाएँ ,

पानी बरसे , बोले पपिहरा ,

पीहू , पीहू का ,गीत सुनाए | 


Monday, July 4, 2022

LEKHANEE ( JIVAN )

 

                              लेखनी 

 

कल्पना से चले लेखनी ,शब्द तभी बनते हैं ,

कल्पना के कारण ही ,गीत ,संगीत सजते हैं | 

 

बिना कल्पना नहीं बनें  , कविता और कहानियाँ ,

बिना कल्पना नहीं सोच में ,कैसे हों रूहानियाँ ?


माँ भी अपने बच्चे की ,नौ महीने तक करे कल्पना ,

तभी तो जन्म पर मुस्कान खिले ,देखे जब साकार कल्पना | 


कल्पित सपने खिलते हैं ,जब मेहनत उनके लिए करें ,

कल्पित गीत तभी तो सुंदर ,होकर दिल को छुआ करें | 


बिना कल्पना कैसे लिखे ? कोई सुंदर सी ग़जल ,

कैसे लाए कोई आँखों में ? नमी या उनको करे सजल | 


चलो कल्पना करते हैं ,और चलाते हैं अपनी लेखनी ,

आप भी करो बंधु ,हम भी चलाते हैं अपनी लेखनी | 


Sunday, July 3, 2022

SAAGAR MEIN ( RATNAAKAR )

 

               

     सागर में 

 

    आया मेघा रे ,आया मेघा रे , 

बरसा सावन रे ,बरसा सावन रे | 

 

नदिया दौड़ी उछल - उछल कर ,

दौड़ - दौड़ कर पहुँची सागर ,

सागर भी खुश हुआ ,

स्वागत किया नदिया का ,अपने अंदर उसे समाया | 

 

सागर की लहरें उछलीं ,तोड़ किनारा भागीं बाहर ,

सागर ने उन्हें बुलाया वापस ,आईं वापस ,

सागर में समाईं | 


कहाँ थी नदिया ? कहाँ समाई ? 

कहाँ थी लहर ? कहाँ समाई ? 

नदिया तो उतर कर पर्वतों से आई ,

दौड़कर सागर के अंदर समाई  | 


लहर गरजती सागर   से ही उपजी ,

किनारे से कूद बाहर आई ,

मगर फिर वापस जा कर ,

सागर में समाई ,सागर में समाई | 


TAAP HARE ( AADHYATMIK )

 

    ताप हरे 

 

मटका गढ़ा कुम्हार ने ,अलग - अलग आकार का ,

मगर काम तो एक ही ,पानी को  ठंडा करे | 

 

मानव गढ़ा है ईश्वर ने ,अलग - अलग विचार का ,

मगर काम तो एक ही ,संसार को स्वच्छ करे | 

 

नियम बनाए जो ईश्वर ने ,उनका वह पालन करे ,

सुख दे सके ना किसी को ,तो दुःख भी ना अर्पण करे | 

 

खुशियाँ बाँटे जो मानव ,ईश्वर भी उसको प्यार करे ,

कठिन समय के आने पर ,वो उस मानव की मदद करे | 

 

साथ अगर हो ईश्वर का ,तो क्यों वह मानव चिंता करे ? 

उसे पता है कि ईश्वर ही ,उसका सारा ताप हरे | 

 

                            

Friday, July 1, 2022

CHAAND MUSKAAE ( CHANDRAMA )

    

                        चाँद मुस्काए 

 

चंदा चमके गगन में ,चंदनिया जग चमकाए ,

चम - चम करते जग को ,देख चाँद मुस्काए | 

 

जग में फैली चाँदनी ,रूप खूब उजलाए ,

जग के इस रूप को ,देख चाँद मुस्काए | 

 

चंदा की आवाज पर ,तारे खूब आ जाएँ  , 

जगमग करते तारों को ,देख चाँद मुस्काए | 


रजनी को भी दोस्तों ,चमकीली ओढ़नी उढ़ाए ,

रजनी के इस रूप को ,देख चाँद मुस्काए | 


तारे ,चंदा ,रजनिया ,खूब ही खेल जमाए ,

ऐसे अनोखे खेल को ,जीत चाँद मुस्काए | 


Tuesday, June 28, 2022

UMRA AUR MUSKAAN ( JIVAN )

 

 

                       उम्र और मुस्कान 

 

समय बीतता जा रहा है ,उम्र भी है बढ़ रही ,

मगर क्यूँ चिंता करें हम ,मुस्कान भी है बढ़ रही | 

 

होठों पर पैदा हुई ,मुस्कान की उम्र भी है बढ़ती हुई ,

पहले तो मुस्कान बच्ची सी थी ,मगर अब नवयौवना हुई | 

 

आगे भी दोस्तों यूँ ही बढ़ेगी ,ये मेरी मुस्कान तो ,

कम नहीं होगी ये मुस्कान मेरी ,उम्र बढ़ जाएगी तो | 

 

पहले थी ये मुस्कान मेरी ,अनुभव नहीं था इसको कोई ,

अब जो है मुस्कान मेरी ,अब ये अनुभवी हुई | 

 

क्यों घटे मुस्कान मेरी ,उम्र बढ़ जाने के बाद ? 

अनुभवी है मुस्कान मेरी ,उम्र बढ़ जाने के बाद | 

 

Monday, June 27, 2022

TAAJPOSHII ( JIVAN )

 

 

                 ताजपोशी 

 

याद आते हैं मुझे ,स्कूल के वो दिन ,

काँधे पे बस्ता टाँग के ,चलते थे सीना तान के | 

 

खुशियाँ झलकती थीं चेहरे से ,मानो जीती कोई जंग ,

खुशियों में डूबे रहते थे ,हम थे मलंग ,हम थे मलंग | 

 

दोस्तों की टोलियाँ ,जब लगातीं कहकहे ,

लगता था हमको ऐसा ,कुछ चुटकुले हमने कहे | 

 

रात और दिन का ,हमको फर्क नहीं था भाता ,

हमको तो हर समय ही ,एक जैसा समझ था आता | 

 

पढ़ना ,लिखना और खेलना ,यही था हमारा काम ,

आज के समय में तो दोस्तों ,आराम है हराम | 

 

काश वो दिन ,प्यारे दिन ,लौटा दे कोई ,

लगेगा हमें जैसे ताजपोशी ,कर गया है कोई | 

 

Sunday, June 26, 2022

TAN - MAN ( JIVAN )

 

                        तन - मन 

 

रचना हुई शरीर की ,बनी कोठरी छोटी ,

उसी कोठरी में था मन ,मुट्ठी भर की थी कनी ,

शरीर बड़ा दिखाई दिया ,मन सोचे मैं छोटा ,

मगर शरीर कहाँ जाय रे ,मन उड़ जाय ज्यूँ तोता | 

 

तन तो रुक जाय एक ठौर ,मन का कोई नहीं है ठौर ,

मन तो डोले इत -उत बंदे ,हर सीमा को पार करे ,

जीवन की सीमा के पार भी ,मन तो बंदे विचर करे | 

 

इंसान ने नाम दिए तीन लोक ,स्वर्ग ,पृथ्वी ,पाताल लोक ,

मन तो उड़े ,चाहे जहाँ चला जाए ,

उसके लिए तो क्या ----

स्वर्ग लोक ,क्या पृथ्वी लोक और पाताल लोक | 

 

मन के लिए तो बीता समय ,आने वाला समय ,

नहीं है सीमा बद्ध ,

बरसों पहले समय में मन पहुँचा ,

करे भविष्य  भी विचार ,

मगर तन तो आज में ही रुका है ,

मन के चलने पर लगे ,हमने कर ली सैर | 

 

Thursday, June 23, 2022

KHILAA DAALO ( PREM )

 

                     खिला डालो 

 

कोई लिखे है गीत ,कोई लिखे मन की कविता ,

कोई लिखे कव्वाली ,तो कोई लिखे ग़जल ,

जिंदगी के ऊबड़ -खाबड़ रास्तों में ,

कोई खिलाए गुलाब ,तो कोई खिलाए कमल | 

 

जो मन में आए ,लिख डालो बंधु ,

बस प्रेम ,प्यार ही ,जग में फैलाओ बंधु ,

नफरतों को तो जहाँ से ,दूर ही कर दो बंधु ,

मुस्कानों के फूल ही ,खिला डालो बंधु | 


रंग जिंदगी का ,फीका ना पड़ने पाए कभी ,

जिंदगी में ऐसे गहरे ,रंग तुम भर दो बंधु ,

होठों पे सभी के ,मुस्कानें खिलें ,

ऐसे हालात तुम ही ,पैदा कर दो बंधु | 


गीतों की मिठास ,सभी के दिल में उतर जाए ,

कुछ ऐसा जुगाड़ तुम ,कर लो बंधु ,

हर कोई तुम्हें याद करे ,तुम्हारे जाने के बाद भी ,

आज ही ऐसा कुछ ही ,तुम लिख डालो बंधु | 


Wednesday, June 22, 2022

BAGIYAA ( JIVAN )

 

                       बगिया 

 

रंग - बिरंगे फूल खिले ,तो रंगीन हुई बगिया ,

फूलों की महक से ही ,महक उठी बगिया | 

 

फूलों की गुणवत्ता ,जानी जाती ख़ुश्बुओं से ,

खुश्बु ही गुण फूलों का ,महत्त्व है सिर्फ ख़ुश्बुओं से | 

 

रंगों का क्या है ? मुरझाने पर फूलों के ,

रंग भी नष्ट होते हैं ,सूखने पर फूलों के | 

 

मानव का भी मोल है ,सिर्फ उसके गुणों के कारण ,

गुण हैं नहीं तो ,क्या मोल है मानव का ?

 

 विनम्रता जो है तो ,दूजे भी नम्र होंगे ,

प्यार जो देगा तो ,दूजे भी प्यार देंगे ,

वरना तो कोई ना पूछेगा ,तुम कहाँ रहोगे ? 

और हम कहाँ रहेंगे ? और हम कहाँ रहेंगे ? 


Tuesday, June 21, 2022

YAADEN SCHOOL KI ( SANSMARAN )

 

                       यादें  स्कूल  की 

 

यादें कभी भूलती नहीं ,आती ही रहती हैं ,

कभी भी समय नहीं देखतीं ,नींद भी खुलवातीं हैं | 


कभी बचपन याद आता है ,तो स्कूल पहुँच जाते हैं ,

फिर बस्ता खुल जाता है ,किताबें निकल आतीं हैं | 


अभी भी याद हैं ,बचपन में पढ़ी कहानियाँ ,

गुनगुन करके ,कभी कविताएँ सुनाई जाती हैं | 


शरारतें तो सारी की सारी ,जैसे कल ही करीं हों हमने ,

उन शरारतों को  करके ,मुस्कानें उभर आती हैं | 


गुरुजनों को याद करके ,शीश श्रृद्धा  झुक जाता है ,

उनके आशीर्वादों में तो हमें ,दुनिया ही मिल जाती है | 


स्कूल का प्रांगण ,जहाँ झूले थे ,फिसल पट्टी थीं ,

हमें तो मानो दोस्तों ,फिर से यादें वहीं पहुँचाती हैं | 


आओ देखो दोस्तों ,तुम हमारे स्कूल को ,

यादें उस " नव भारती  विद्यापीठ " ,का नाम लिख जाती हैं | 


Monday, June 20, 2022

MUSKAAN ( JIVAN )

 

                       मुस्कान 

 

गीत और संगीत में ,डुबो और खो जाओ ,

डूबकर और खोकर ,होठों पे मुस्कान ले आओ | 

 

मुस्कान आएगी होठों पर ,तो दिल भी प्रफुल्लित होगा ,

दिल के प्रफुल्लित होने पर ,दिमाग को सुकून मिलेगा | 

 

मिलता है जब सुकून बंधु ,तब उम्र भी लंबी होगी ,

लंबी उम्र में बड़े कामों के लिए ,समय भी अधिक मिलेगा | 

 

सोच लो तुम भी क्या करना ? उम्र की सीमा बड़ी हो तो ,

प्लान तैयार रहेगा तो ,कर पाओगे बड़े काम तुम | 

 

मत सोचो उम्र बढ़ने से ,मुस्कान कम होगी ,

मुस्कान बढ़ जाएगी तो ,उम्र ना घटेगी ,उम्र तो बढ़ेगी | 

 

 

Sunday, June 19, 2022

UDHAAR LO ( PREM )

 

                         उधार लो 

 

जीवन मिला छोटा सबको ,प्रेम ही कर लो बंधु ,

छोटे से जीवन को ,मुस्कानों में व्यतीत कर लो ,

जीवन के हर पल को ,प्रेम में डुबा लो बंधु | 

 

नफरतों को ना ,आने दो जीवन में ,

शिकायतों के लिए ,दरवाजा न खोलो ,

दोस्तों की दोस्ती में ,जीवन को डुबा लो बंधु |

 

प्रकृति के हर रूप को ,प्यार कर लो ,

उसको प्यार से ,संवार लो ,निखार लो ,

 प्रकृति की महक में ,खुद को डुबा लो बंधु | 


रंग हर मौसम का ,अनोखा है ,

हर लहर का स्वाद भी ,सबने चखा है ,

फिर क्यूँ ना लहरों का ,स्वाद भी उधार लो बंधु | 


 

 

 

Thursday, June 16, 2022

KYAA HOGA ? ( JIVAN )

 

                             क्या होगा ? 

 

संसार बनाया रचयिता ने ,

उसी में सबसे सुंदर रचना ,बनाई मानव उसने ,

दिया मुस्कान का वरदान ,मानव को उसने ,

लेकर मानव सब भूल गया ,

बेईमानी में सिर तक डूब गया | 

 

सुंदर से संसार को किया नष्ट ,

क्योंकि मानव हो गया भ्रष्ट ,

संसार को नहीं रखा उसने स्वच्छ ,

संसार के संसाधन हो गए नष्ट | 

 

संसार का जो नुकसान हुआ ,

तो मानव ने मानो अपने लिए कुँआ खोदा ,

गिरा मानव उसी में खुद ,

सब सुख हुए मानव के नष्ट | 

 

आज संसार में सब कुछ है नष्ट ,

आज मानव हो रहा है त्रस्त ,

महामारी का जोर है ,लाचारी का जोर है ,

क्या मानव इस सब से उबरेगा ? 

क्या उसका जीवन स्तर सुधरेगा ? 

क्या होगा ? पता नहीं ,पता नहीं | 

 

 

 

Wednesday, June 15, 2022

DUPAHRIYAA ( JIVAN )

 

 

                  दुपहरिया 

 

उगा जो सूरज दुनिया बोली ,

आज का दिन तो शुरू हुआ ,

ढला जो सूरज तो वह बोली ,

आज का दिन तो ख़त्म हुआ | 

 

क्या ऐसा होता है बंधु ? 

दिन क्या ऐसे ही उगता ,ढलता ? 

सोच के देखो , दिल में ही ,

दिन क्या शुरू और अस्त नहीं होता ? 


जब हम खुश होते हैं बंधु ,

दिन क्या शुरू नहीं होता ? 

और हमारे दुःख के कारण ,

दिन क्या अस्त नहीं होता ? 


फिर हम अपने दिन को बंधु ,

क्यों ना ,शुरू करें मुस्कानों से ? 

बाँटें मुस्कानें सब ओर ,

भरी रहे दुपहरिया सब ओर | 


ठंडी बयार बहा दें हम ,

मुस्कानें फैला दें हम ,

मुस्कानें सुकून की फैलाते - फैलाते ,

दिन के अस्त होते - होते ,

सपनों के पंख सभी को दें हम | 


Tuesday, June 14, 2022

ADHOORE SAB ( JIVAN )

 

                      अधूरे सब 

 

पूरे इस संसार में ,कोई प्राणी नहीं पूरा है ,

हर कोई यहाँ अधूरा है ,कोई नहीं पूरा है | 

 

कमी तो बंधु ,सब में है ,तुम में भी और मुझ में भी ,

इसीलिए तो बंधु ,हर कोई यहाँ अधूरा है | 

 

कोई शरीर से है अधूरा ,कोई मन से अधूरा है ,

हाथ ,पाँव में कमी है ,और कोई सोच से अधूरा है | 

 

किन्नर भी हैं इस धरती पर ,कोई गड़बड़ी में डूबा रहता है ,

मन किसी का डूबा ख्यालों में ,कोई काम नहीं कर सकता है | 


ऐसे में किसी को ,कैसे करें पूरा ? कोई हल नहीं मिलता है ,

हम भी तो इसी में उलझे बंधु ,फिर पूरे कैसे हो सकते हैं ? 


Monday, June 13, 2022

FOOL GUNON KE ( DOHE )

 

                    फूल गुणों के

 

खुश्बु जैसे गुण रखो तुम ,फैले वो चहुँ ओर ,

तुम उनमें डूबे रहो ,नहीं मचाओ शोर | 

 

गुण  तो हैं बड़ा खजाना ,सदा इन्हें अपनाओ तुम ,

जीवन की इस बगिया में ,गुणों के फूल खिलाओ तुम | 


सद्गुण है एक सूरज ,खूब उजाला करता ,

दुनिया को ये अपनी ,रश्मियों से भर देता | 


प्यार का गुण है बहुत ही मीठा ,इसे सदा अपनाओ तुम ,

प्यार के फूलों से ही बंधु ,दुनिया को महकाओ तुम | 


दिल में गुणों की खान है बंधु ,इसको सदा बढ़ाओ तुम ,

गुण जब बढ़ जाएँगे बंधु ,खुशियों को पा जाओ तुम | 


Friday, June 10, 2022

GUNATE HAIN PUSTAK ( JIVAN )

 

                         गुनते हैं पुस्तक 

 

पुस्तक से जुड़ता नाता ,बचपन ही से बंधु ,

पहले थी अक्षर माला ,धीरे से आईं कहानियाँ ,

धीरे -धीरे पढ़ना आया ,और हमें भाईं कहानियाँ | 


हर पुस्तक का रूप अलग ,हर पुस्तक का रंग अलग ,

कोई कहानी वाली है ,तो कोई कविता निराली है ,

अलग पुस्तक का मज़ा अलग ,हर कोई डूबा उसमें आली है | 


अपनी पसंद की पुस्तक पाकर ,हर कोई खुश हो जाता है ,

उसी में खो कर के बंधु ,वह अपना समय बिताता है ,

पूरी पढ़ लेने पर वह ,अनुभव सबको बताता है ,

गर्व करते हुए  ही बंधु ,वह बोल -बोल इतराता है | 


हम भी पुस्तक लेते हुए ,अपनी पसंद को चुनते हैं ,

खाली समय के इंतजार में ,एक - एक पल को बुनते हैं ,

पढ़ लेते हैं जब वह पुस्तक ,दिल ही दिल में सब गुनते हैं | 


Thursday, June 9, 2022

SHABDON KE PANKH ( JIVAN )

  

                     शब्दों के पंख 

 

होते गर शब्दों के पंख ,हर किताब उड़ती रहती ,

हर बच्चा उछल-उछल कर ,पकड़ किताब बस्ते में रखता | 


फर -फर करते शब्द किताब में ,जगह बदलते रहते ,

मगर उन शब्दों को हम ,क्या कहते ? क्या करते ? 


मेरी लेखनी से निकले शब्दों की ,मैं क्या लिखती कविता ? 

आप ही बंधु उन शब्दों को ,पकड़ के लिखते कविता | 


हर किसी की कविता का ,अर्थ निकलता अलग ,

कोई उनसे दोहे लिखता ,कोई उनसे लिखता ग़ज़ल | 


कोई राखी को खीरा ,और कोई खीरा को राखी पढ़ता ,

कोई कान को नका पढ़े ,तो कोई नाक को कना पढ़ता | 


सब कुछ उल्टा -पुल्टा होता ,जो होते शब्दों के पंख ,

इससे तो बेपंख ही अच्छे ,मेरे छोटे और बड़े शब्द |  


KAUN JHANKAAE ( JIVAN )

 

                       कौन झंकाए ?

 

बड़ा बदलाव हो हर जगह ,रूप दुनिया का हो नया ,

मगर करेगा कौन ?ये सोचो ,हर रास्ता नया | 

 

जीवन खुशियों में डूबा हो ,ना हो ग़म की परछाईं ,

मगर करेगा कौन ? ये सोचो ,दूर काली परछाईं |

 

आँगन खुश्बु से महका हो ,फूलों की रंगत हो छाई ,

मगर करेगा कौन ? ये सोचो ,बगिया में फूलों की भरपाई | 

 

घरों में रोशन हो हर कोना ,चमक जाए ,दमक जाए ,

मगर करेगा कौन ? ये सोचो ,कौन सूरज को ले आए ? 

 

गीत ,संगीत हो हर ओर ,प्यार के नगमे गुंजाएँ ,

मगर करेगा कौन ? ये सोचो ,जलतरंग कौन झंकाए | 

 

Wednesday, June 8, 2022

GUN JALAD KE ( JALAD AA )

  

                       गुण जलद के 

 

नन्हें हों बदरा ,या बड़े हों बदरा ,

हैं तो सभी जलद ,यानि जल देने वाले | 

 

उड़ता है जल समंदर से ,

पेड़ - पौधों से ,नदिया ,पोखरों से ,

हवा में उड़ते -उड़ते ,गीला करते -करते ,

बन जाता है रूप जलद का | 


कभी तो पतला -पतला ,रूई के फाहे जैसा ,

हल्का - हल्का सा ,

बयार से ही इधर - उधर को डोलता ,

है तो नन्हा सा जलद ही | 


कभी तो मोटा - मोटा ,गहरे काले रंग का ,

दामिनी का साथ इसका ,

गर्जन भी और चमक भी ,

तेज हवा के झोंके से भी ,

धीरे - धीरे ही उड़े जलद | 


Tuesday, June 7, 2022

UJAALE MEN ( JIVAN )

 

                   उजाले में 

 

सोच मेरी है दीपक जैसी ,करे उजाला चारों ओर ,

उस उजाले में चमके जीवन ,जिसका कोई ओर ना छोर | 

 

उजाला चाहे थोड़ा हो ,है तो दोस्तों सबकी ओर ,

नहीं सिमटूँ मैं पर्दे में ,दूँ मैं उजाला सबकी ओर | 

 

उजाला तो लौ के ,चारों ओर है जाता ,

सब को ही रोशन करता ,सब को ही चमकाता | 

 

क्यों मैं सोचूँ ? हुआ उजाला किसके घर ? 

 मेरा छोटा सा उजाला ,रोशन करे सभी के घर | 


आओ दोस्तों तुम भी अब ,डूबो इसी उजाले में ,

मेरा और आपका साथ दोस्तों ,पनपा है इसी उजाले में | 


Monday, June 6, 2022

ROSHAN KAROON ( JIVAN )

 

                     रोशन करूँ 

 

नहीं रश्मियाँ सूरज की ,अपने अंदर बसतीं ,

नहीं चंदनिया चाँद की ,अपने अंदर चमकती | 

 

नहीं रोशनी कोई है , अपने दिल के अंदर ,

जो जग को चमकाए ,रोशन उसे कर जाए | 

 

दी ईश्वर ने रोशनी ,सूरज ,चाँद ,सितारों को ,

वो ही चमकाते हैं ,इस धरा के ज़र्रों को | 

 

सीरत दे दो ईश्वर ,नन्हें चिराग के जैसी ,

कुछ तो जग रोशन करूँ,कुछ कण को रोशन करूँ | 

 

Sunday, June 5, 2022

MUSKAAN TERI MERI ( CHANDRAMA )

 

                मुस्कान तेरी मेरी 

 

गगन के चंदा ,आ उतर कर ,

गप्पें मारेंगे ,ढेर सारी ,

खिड़की से तू अंदर आना ,

खुलीं हैं मेरी खिड़की सारी | 

 

 तू तो सखा है मेरा चंदा , 

मैं भी तेरी सखी हूँ चंदा ,

कई दिनों से हुईं ना बातें ,

वो सब हुईं इकट्ठी सारी | 


मुझे देख कर तू खुश होता ,

तुझे देख कर मैं खुश होती ,

तेरी प्यारी सी मुस्कानों पर ,

मैं तो जाती चंदा वारि  | 


तू तो नीचे आ सकता है ,

मैं नहीं ऊपर आ सकती चंदा ,

मेरे पास नहीं कोई सीढ़ी ,

जो मैं आऊँ दुनिया थारी | 


मुस्कानें चंदा अपनी हैं ,

इक दूजे को खुश करती हैं ,

दुनिया भी अपनी मुस्कानों को ,

देख - देख मुस्काती सारी | 


Friday, June 3, 2022

AASHAAEN ( JIVAN )

 

                        आशाएँ 

 

उम्मीदें ,आशाएँ ,छिप  गईं हैं आज तक ,

जिम्मेदारियों के पीछे ही | 

 

जिम्मेदारियाँ जो ,एक बार उठाईं तो ,

भारी होती जा रही हैं ,मजबूत काँधों पर भी | 

 

काँधे तो मजबूत हैं ,मस्तिष्क के विचारों का ,

भार उठाने के काबिल नहीं ,

दुनिया भर के विचार ,मस्तिष्क में हमेशा तिरते रहे | 

 

हरसोच ,हर विचार ,आता रहता मस्तिष्क में ,

अँखियों के झरोखों से ,जो दुनिया दिखाई देती है ,

उसी प्रवेश द्वार से आती रही ,

विचारों की धारा प्रवेश करती रही | 

 

विचारों की धारा बहती जा रही ,

अंदर ही अंदर ,सोच का समंदर ,

बढ़ता जा रहा था ,

लहरों के उतार -चढ़ाव ,

मन को विचलित  कर जाते ,

उद्वेलित हुए मन को ,

उम्मीदें , आशाएँ फिर से प्रफुल्लित कर जाती हैं | 

 

 

 

Thursday, June 2, 2022

DHUN BAJAAE ( RATNAAKAR )

 

          धुन बजाए 

 

 समंदर - समंदर यहाँ से वहाँ तक ,

कोई ओर ना छोर ,जिसका जहाँ तक ,

कोई हद नहीं है उसकी ,वो  कहाँ तक ? 


नज़रों की सीमा के पार है वो ,

नीले आसमां के भी पार है वो ,

खारा सा पानी लिए ,मगर प्यार है वो | 

 

अनजानी दुनिया को खुद में समाए ,

जीवों के जीवन को ,आँचल में बसाए ,

जीवन दाता ही तो है ,जीवन का आधार है वो | 

 

अनगिनत जीव पलते हैं अंदर ,

रंगों का ही अंदर है फैला समंदर ,

लहरों की बीना पे , मन मोहक धुन बजाए | 


रत्नों को अपने खजाने में समेटा ,

अपने ही आँचल में ,उनको लपेटा ,

तभी तो समंदर ,रत्नाकर कहलाए | 


Tuesday, May 31, 2022

KHILATE EHSAAS ( PREM )

  

                    खिलते एहसास 

 

एहसास -- 

ए -- एक ,

ह -- हम ,

सा -- साया ,

स -- सजन ,

एक हम साया सजन ,साथ -साथ है हमारा चलन ,

गीत और संगीत में मिलन ,फिर पलता है भावों में परन | 


दिल में भावों के एहसास हैं ,जो खिलते हैं पल - पल सजन ,

इस बहाने इस जहां में ,हुआ है अपना मिलन |


फूल खिलते हैं चमन में ,और एहसास मन में ,

फूलों की उम्र छोटी ,खिल के वो मुरझाएँ ,

एहसास खिलने के बाद ,पल - पल बढ़ते जाएँ | 


हर नजारा तो जैसे ,संगीत हमें सुनाए ,

संगीत की उस मधुर तान पे ,कदम नृत्य कराएँ | 


रात  निद्रा में डूबे ,सपनों में हम जब खो गए ,

सुंदर सपनों ने भी मन में ,कुछ एहसास खिला दिए ,

जिनका साथ पा के हम ,चल पड़े तेरे संग सजन | 


एहसास होते हैं ख़ुशी के ,जो प्यार में डूबे हों ,

एहसास होते हैं दुःखों के ,जो दर्द में डूबे हों ,

दोनों ही अहसासों को बंधु ,दिल में तुम सजा लो ,

मुस्कानों के झूले में तुम ,एहसासों को झुला लो ,

प्यार की बगिया में तुम ,एहसासों को खिला लो ,

तभी तो कहलाएँगे वो ,खिलते एहसास ,खिलते एहसास | 

 

 [ ( ई बुक )-" खिलते एहसास "]

Sunday, May 29, 2022

SANDHYAA ( KSHANIKA)

 

 

                  संध्या 

 

दिन भी बीत चला है अब ,

आई है एक शाम नवेली ,

अस्त हो चला भानु अब तो ,

हुई है देखो शाम अलबेली | 

 

भानु रश्मियाँ छिटक गईं गगन में ,

हुई है  अब तो संध्या सुनहरी ,

लगा धरा ने भी ओढ़ ली है ,

सुंदर सी ओढ़नी सुनहरी | 

 

मुस्कान बढ़ी धरा की अब तो ,

धीरे से  दिन  है ढला ,

भानु रश्मियाँ घटती गईं ,

तिमिर का राज बढ़ चला | 

 

रोके कैसे तिमिर को कोई ? 

भानु अपने घर को चला ,

भानु जब घर पहुँच गया ,

तो तिमिर रात में ढला | 

 

तिमिर जब गहरा गया ,

तो चाँद गगन में खिला ,

धरा की ओढ़नी का रंग भी ,

चाँदनी के रंग में ढला | 

 

Saturday, May 28, 2022

BANJARA KAHATA HAI ( GEET )

 

             बंजारा  कहता है 

 

वक्त कभी नहीं रहता समान ,

वक्त बदलता रहता है ,

अपने वक्त के साथ चलो ,

ये एक बंजारा कहता है | 


धीरे से मत चलना बंधु ,

वक्त से पीछे रह जाओगे ,

आगे गर तुम जो निकल गए ,

पर वक्त को बदल ना पाओगे ,

अपने अनुसार करने के लिए ,

सम्मान वक्त का कर लो तुम ,

यही बात बंजारा कहता है | 


हर वक्त बीतता जाता है ,

वक्त नहीं रुकता बंधु कभी ,

हँसते रहने से वक्त बीते आसान ,

रोते रहने से वक्त रिड़केगा अभी ,

मुस्काते हुए जीवन बिताओ ,

ये भी बंजारा कहता है | 


आहट भी नहीं होती है ,

वक्त की धीमी चापों की ,

तुम कभी नहीं सुन पाओगे ,

आहट वक्त की थापों की ,

तो ऐसे में तुम मुस्कान धरो ,

ये सब बंजारा कहता है ,

ये सब बंजारा कहता है | 


Thursday, May 26, 2022

JALEBI ( GEET )

 

              जलेबी 

 

 मीठी रे मीठी ,मैं हूँ मीठी - मीठी ,

सरल नहीं जीवन मेरा ,

फिर भी मीठी -मीठी | 

 

देती मिठास इस दुनिया को ,

देती हूँ स्वाद इस दुनिया को ,

मुझे बनाना सीखो तुम ,

मैं हूँ मीठी - मीठी | 

 

समय खूब लग जाता है ,

फिर मुझको तला यूँ जाता है ,

तलने पर भी मैं ना हूँ ,

ना मैं तीखी - तीखी | 

 

तलने के बाद फिर मुझे ,

रस में खूब डुबोया जाता है ,

डूब - डूब के रस में बनती , 

हूँ मैं मीठी - मीठी | 


सीधी ,सरल ,सपाट नहीं मैं ,

किसी के घर का कपाट नहीं मैं ,

अपने आप में उलझी हूँ मैं ,

हूँ मैं मीठी - मीठी | 


जाना नहीं है तुमने मुझे ,

पहचाना नहीं है तुमने मुझे ,

उलझा - उलझा सा मेरा रूप ,

नाम  "जलेबी " मीठी - मीठी | 



Sunday, May 22, 2022

USHA SILAAI MASHEEN ( GEET )

   

                उषा सिलाई मशीन 


टाँका - टाँका जोड़ के ,सुंदर करे सिलाई ,

कपड़ा नया बनाय दे ,कच्चे को पकाय दे ,

सिल कर वो कपड़े को ,पहनने जोग बनाय दे | 


एक -एक टाँका जोड़ती जाय ,हर कपड़ा सिल जाय ,

ऐसी मेरी मशीन है जो ,सबको सुंदर बनाय दे ,

सादे कपड़े को भी वो ,सुंदर ड्रेस बनाय  दे | 


टक -टक -टक आवाज करे ,सरपट दौड़ी जाय ,

कपड़ों को सिल -सिल कर ,दूजों को पहनाय ,

नई -नई कारीगरी ,कपड़ों पर वो दिखाय | 


क्या तुम समझे ? नहीं ना ,हम ही तोहे बताय दें ,

वो है उषा सिलाई मशीन ,जिसके गुण हम गाय दें ,

बड़ी ही मजबूत है वो ,जीवन सफल बिताय दे | 


नहीं वो नन्हीं बालिका ,नहीं है नवयौवना ,

हमारी उषा सिलाई मशीन तो ,सेवा -निवृत्ति पाय के ,

मगर आज भी बंधु ,कारीगरी दिखाय दे | 


पैंसठ साल बिताय के ,बच्चों सी ऊर्जा पाय ,

नहीं है वो कमजोर सी ,मजबूती ही पाय ,

ऐसी मेरी उषा मशीन बंधु ,हम जीवन साथ बिताय | 


पैंतालीस साल से साथ हम ,पहले सासू माँ चलाय ,

सासू माँ के बाद में ,बहुरिया उनकी चलाय ,

दोनों की ही प्यारी ये ,उषा सिलाई मशीन करे सिलाई | 


Friday, May 20, 2022

CHHOTI KAVITA ( KSHANIKA )

                  

               छोटी कविता 

 

आई वसंत ऋतु ,छायी वसंत ऋतु ,

खिले फूल बगिया में ,बगिया फूली | 

 

उड़ीं तितलियाँ ,रंग -बिरंगी तितलियाँ ,

दिल हमारा डोला ,देख के तितलियाँ | 

 

नन्हीं तितलियों की ,छोटी सी कविता ,

भाव चाहे बड़े हों ,मगर छोटी सी कविता | 

 

भाव तो दिल में ,मगर कागज पर कविता ,

भावों को समझो और ,समझो छोटी सी कविता |

Monday, May 16, 2022

DOOB GAE ( GEET )

 

            डूब  गए 

 

जब मिले हम तुम से ,

प्यार के सपनों में डूब गए ,

तुम भी तो मेरे जानम ,

प्यार के सपनों में डूब गए | 

 

दुनिया रंग -भरी दिखने लगी ,

मुस्कुराहटें होठों पे खिलने लगीं ,

ऐसे मौसम में ही तो हम दोनों ,

प्यार की ख़ुश्बुओं में डूब गए | 

 

जीवन प्यार में सराबोर हो कर ,

प्यार की ताल पे थिरकने लगा ,

ऐसे ही ताल पे थिरकते हुए ,

हम तो गीतों के सुर में डूब गए | 

 

तुम हो जानम ,मेरे हमदम ,

तभी तो हम चलते जाते हैं आगे ,

जीवन तभी तो बढ़ेगा आगे ,

जब तक हम रहेंगे प्यार में डूबे हुए | 

 

Sunday, May 15, 2022

DAAWATNAMA ( JIVAN )

           

                          दावतनामा 

 

आओ दोस्तों ,दावत तुम्हें कराएँ हम ,

थाली विशेष लगा रहे हैं ,तुम्हारे लिए हम | 

 

देखो रोटी बनी है ,सादगी की दोस्तों ,

सब्जी तो बनी भरोसे की ,

और दाल बनाई है प्रेम की हमने ,

जो पहले कभी चखी ना होगी तुमने | 


सारा प्यार डाल दिया है हमने ,

ये पुलाव जो बनाया है हमने ,

सलाद में तो दोस्तों ,सम्मान डाला है ,

आप सब के लिए जो सलाद बनाया हमने | 


रायता बनाया है विश्वास उंडेल कर ,

अचार बनाया गया है प्रेरणा से दोस्तों ,

मिठाई बनाई है हमने अपने दिल की वफ़ा से ,

वफ़ा की मिठास ही आपको मिलेगी | 


इस थाली को देखकर खुश हो जाओ तो ,

खाकर चटखारे लो ,और दो अपनी मुस्कान ,

मेहनत वसूल होगी अपनी दोस्तों ,

तर जाएँगे हम उस मुस्कान से ,

तर जाएँगे हम उस मुस्कान से | 


KHILAUNE ( JIVAN )

 

                        खिलौने 

 

बचपन के वो सुंदर खिलौने ,

मिट्टी के वो रंगीन खिलौने ,

अलग -अलग रूप के खिलौने ,

कोई था घोड़ा ,कोई था सवार ,

कोई था राजा ,कोई था सैनिक ,

हमारे दिल भावन थे वो खिलौने ,

दिल के बहुत करीब थे वो खिलौने | 

 

उन्हें हमने अपना दोस्त बनाया ,

उनके साथ कभी खेल रचाया ,

उनके साथ कभी क्लास लगाई ,

हमारे दोस्त बन गए वो खिलौने ,

कभी हमारी कक्षा के छात्र ,

बन गए वो खिलौने ,

जीवन की मुस्कान बन गए वो खिलौने | 

 

आज खिलौने हैं प्लास्टिक के ,

जो दिल से नहीं जुड़े हैं ,

जीवन में नहीं रचे - बसे हैं ,

मगर वो मिट्टी के ,लकड़ी के खिलौने ,

जीवन को जीवंत बनाने वाले खिलौने ,

जीवन को मुस्कान देने वाले खिलौने ,

हमारे तो मनचाहे ,सुंदर खिलौने ,

सभी को मिलें वो प्यारे खिलौने ,

सभी को मिलें वो न्यारे खिलौने |

Friday, May 13, 2022

CHAAY - PAKAUDE ( HAASY )

 

                          चाय - पकौड़े 

 

चुस्कियाँ चाय की ,साथ पकौड़ों का ,

चटपटे पकौड़ों संग ,अम्बी ,धनिये की चटनी ,

स्वाद लो बंधु ,अदरक की कड़क चाय का | 

 

सर्दी का मौसम हो ,गर्मागर्म पकौड़े हों ,

आलू ,प्याज,गोभी के पकौड़े हों ,

स्वाद लो बंधु ,अदरक की कड़क चाय का | 

 

रिमझिम बरसात में ,गर्मागर्म पकौड़े हों ,

ब्रेड पकौड़ा खाओ बंधु ,मुँह  स्वाद बढ़ाओ बंधु ,

स्वाद लो बंधु ,अदरक की कड़क चाय का | 

 

मौसम कोई भी हो ,पकौड़ों का रूप बदलो ,

पालक पकौड़ा ,पनीर पकौड़ा खाओ बंधु ,

साथ में लो चटनी का मजा ,

स्वाद लो बंधु ,अदरक की कड़क चाय का | 

 

Thursday, May 12, 2022

DOST HO TUM ( JALAD AA )

 

                 दोस्त हो तुम 

 

मौसम हुआ है गर्म बहुत ,

सूरज भी तप रहा है ,

हर कोई प्राणी दुनिया का ,

जलद का ही नाम जप रहा है | 

 

जलद ही तो बचाएगा सब को ,

सूरज की इस तपन से , 

आँचल बन जब जलद ढाँकेगा ,

तब बचेगी दुनिया ,सूरज की इस जलन से | 


आ जाओ जलद जल्दी से ,

थोड़ी मदद करो तुम ,

ठंडक जरा दिलाओ ,

तपती हुई धरा को तुम | 


तपन हुई कम तो जलद ,

आशीष मिलेगा बहुत सा ,

जीवन तुम्हारा जलद फिर ,

मानो शतक जिएगा | 


नन्हीं सी बदरी हो, या हो विशाल बदरा ,

दोनों ही सूरतों में ,

दोस्त ही  तो हो जलद तुम ,

दोस्त ही तो हो बदरा तुम | 


Saturday, May 7, 2022

MERI MA ( KSHANIKA )

 

             मेरी माँ 

 

नहीं है एक दिवस माँ का ,

हर दिन है अपना माँ के नाम ,

मैं भारत की बेटी हूँ ,

हर अर्चना होती है माँ के नाम | 

 

माँ तो है अपनी जननी ,

बड़ी है दुर्गा माँ मेरी ,

पूरे देश की माता है भारत माता ,

मगर पूरे विश्व की माता है - धरती माता | 


सबको है प्रणाम मेरा ,

सबको है नमन मेरा ,

झुककर सभी को चरण वंदन मेरा ,

दो मुझको आशीष मेरी माँ | 


Thursday, May 5, 2022

JIVAN NAIYAA ( RATNAAKAR )

 

            जीवन नैया 

 

बीत गए हैं दिन बहुतेरे ,

आ नहीं पाए पास तुम्हारे ,

रत्नाकर तुम तो हो दोस्त ,

हम भी तो हैं दोस्त तुम्हारे | 

 

तुम तो हमको रोज बुलाते ,

पर हम कैसे आएँ पास तुम्हारे ? 

राह में खड़ी हैं बहुत सी बाधा ,

नहीं दूर हम उन्हें कर पाते | 


कमी समय की भी रत्नाकर ,

व्यस्त सदा रहते हैं हम ,

कम होगी जब अपनी व्यस्तता ,

थोड़ा समय निकालेंगे फिर हम | 


मिल कर बात करेंगे फिर हम ,

वक्त कटेगा पंख लगा कर ,

जीवन नैया ऐसे ही तब ,

पार लगेगी तैर - तैर कर | 


Wednesday, May 4, 2022

BAANHON ME ( CHANDRAMA )

 

             बाँहों में 

 

ऊपर क्यों रुका है चाँद ,

उत्तर आ मेरी बाँहों में , 

कभी तो तू भी आजा ,

दिल की धड़कनों की चाहों में | 


माना गगन है घर तेरा ,

नीचे धरा की मैं वासी ,

शुरू से ही तू तो है ,

बसा मेरी निगाहों में | 


झिलमिलाते नन्हें तारे ,

चाँद हैं वो सब साथी तेरे ,

हैं यहाँ सभी साथी मेरे ,

धरा की पनाहों में | 


चाँद तू है बिंदी गगन की ,

धरा के हम फूल हैं ,

गगन में तू रूप भरता ,

धरा ने रखा हमें अपनी छाँवों में | 


चाँद तेरी चाँदनी का आँचल ,

आज भी फैला धरा पर ,

हम सब ही आए हैं ,

चमकीले आँचल की पनाहों में | 


Wednesday, April 27, 2022

PAAI ( KSHANIKA )

 

                          पाई 

 

सोच तेरी मेरी ,आपस में जो टकराई ,

तू भी मुस्काया ,मैं भी मुस्काई | 

 

रंग मुस्कानों का ,सबने जो हम पर डाला ,

दोनों की ही देखो,हो गई रंगाई | 

 

जिंदगी की राहों में ,हम साथ में चले ,

दोनों ने ही देखो ,अपनी मंज़िल पाई | 

 

दिन गए बीतते ,वर्ष बन गए ,

दिनों या वर्षों की ,गिनती नहीं हो पाई | 

 

कल जो बीत गया है ,सुंदर सा ही था ,

आगे आने वाले कल की ,छवि नहीं बन पाई | 

 

सोचों में डूबे हम तो ,आगे को बढ़ चले ,

सोचों में ही हमने ,दुनिया ये सारी पाई | 

 

Monday, April 25, 2022

FURSAT ( KSHANIKA )

        

                   फुर्सत 

 

एक लम्हे की फुर्सत चाहिए ,

जीने की हसरत चाहिए ,

कहाँ से ढूँढे हम फुर्सत को ? 

कोई रास्ता बता दे ,

उस मंज़िल का हमें पता दे | 

 

एक लम्हे की फुर्सत चाहिए ,

कहाँ से खरीदें हम फुर्सत को ? 

कोई बाजार का पता दे ,

उस दुकान का नंबर बता दे ,

कीमत भी उसकी बता दे | 

 

एक लम्हे की फुर्सत चाहिए ,

खुशहाल पल एक चाहिए ,

कोई तो इंसान ऐसा मिला दे ,

जो हमको फुर्सत दिला दे | 

 

हमारा तो , सब कुछ गिरवी पड़ा है ,

अनजाने से संसार में ,

जिम्मेदारियों के भंवर में ,

हम तो फंस गए हैं उसमें ,

कोई तो आए मुक्ति दिला दे | 

 

 

Sunday, April 24, 2022

AITIHAASIK PAL ( DESH )

 

             ऐतिहासिक पल 

 

नन्हीं कली तभी खिलती है ,

जब उसे सहलाया जाता है ,

प्यार ,दुलार दिया जाता है ,

मजबूत बनाया जाता है | 


नन्हीं बच्ची भी बनती है शक्तिशाली ,

जब उसे आगे बढ़ना सिखाया जाता है ,

जीवन के बारे में ,उसे समझाया जाता है ,

उस पर भरोसा कर ,

उसका पथ -प्रदर्शन किया जाता है | 


जब वह जीवन पथ पर ,

आगे बढ़ जाती है ,

शक्ति रूप हो जाती है ,

वह पल ही ऐतिहासिक पल हो जाता है | 


उसी पल का इंतज़ार सबको है ,

जब सभी बच्चियाँ शक्तिरूपा हो जाएँगी ,

छुई -मुई सी नहीं रहेंगी ,

अपने कर्तव्य और अधिकार ,

दोनों को पहचानेंगी ,दोनों को पहचानेंगी ,

वही तो होगा ,देश का ऐतिहासिक पल | 


Saturday, April 23, 2022

HAMANE ( KSHANIKA )

 

                 हमने 

 

शब्दों के खजाने से ,कुछ शब्द चुने हमने , 

शब्दों की खदान से ,कुछ शब्द चुने हमने | 


एक शब्द था प्यार ,जो परिवार में सोया था ,

सपनों में खोया था ,उसे नींद से जगाया हमने | 


एक शब्द था दोस्ती ,जो दोस्तों की महफ़िल में ,

ठहाकों में हँसता था ,सबके दिलों में बसता था ,

निकाला उसे बाहर दिलों से हमने | 


एक शब्द था ग़म ,नहीं था वो सुगम ,

आँखों में आँसू लाता था ,दिलों को तड़पाता था ,

तड़पन को गीतों से सजाकर ,उसे ख़ुशी बनाया हमने | 


एक शब्द मिला मरहम ,कहीं भी चोट लगी हो ,

गिरने से या शब्दों से ,मरहम शब्द की चटनी बनाकर ,

चोट पर लगाया हमने ,दर्द को दूर भगाया हमने ,

इस तरह शब्दों से ,जीवन को सजाया हमने | 



Wednesday, April 20, 2022

NAA BAND KARO ( JIVAN )

 

                    ना बंद करो 

 

दरवाजे ना बंद करो तुम ,

रिश्ते सभी बिखर जाएँगे ,

वो तो सभी टूट जाएँगे | 

 

रिश्ते ,जो खिलखिलाती प्रकृति से हैं ,

रिश्ते, जो बहती पवन से हैं ,

रिश्ते ,जो नदिया और सागर से हैं ,

रिश्ते ,जो धूप और रवि से हैं | 


जब मिलेंगे नहीं तो , रिश्ते पनपेंगे कैसे ? 

प्यार का जल और दुलार की खाद ना दोगे ,

तो रिश्ते फले - फूलेंगे कैसे ? 

इसीलिए दरवाजे ना बंद करो तुम | 

 

बाहर निकल कर प्रकृति के साथ ,

खिलखिलाओ तुम ,

बाहर निकल कर पवन के संग ,

बहते जाओ तुम ,

बाहर निकल कर नदिया और सागर से ,

छलछलाओ तुम ,

बाहर निकल कर धूप और रवि जैसे ,

संसार को जगमगाओ तुम | 


Monday, April 18, 2022

BAHATAA HAI RATNAAKAR ( RATNAAKAR )

 

                   बहता है रत्नाकर 

 

खिड़की के बाहर मेरी ,बहता है रत्नाकर ,

सुंदर सा मेरा दोस्त ,बहता है रत्नाकर | 

 

जीवन से भरा हुआ ,रत्नों से सजा हुआ ,

मुस्कानों से रचा हुआ ,बहता है रत्नाकर | 

 

लहरों के शोर में ,गगन की परछाईं में ,

अपनी ही गहराई में ,बहता है रत्नाकर | 

 

अपनी ही भाषा में ,आवाज दे बुलाता हुआ ,

प्रेम गीत सुनाता हुआ ,बहता है रत्नाकर | 

 

कहता है पास आओ ,मेरे संग तुम भी गाओ ,

संगीत है लहरों का ,कहता है रत्नाकर | 

 

Saturday, April 16, 2022

RASON KAA SAAGAR ( KSHANIKA )

 

           रसों का सागर 

 

जन्म के साथ ही मिली ममता ,

माँ ने प्यार बरसाया ,

उस ममता में डूब के हमने ,

जीवन रस को पाया | 

 

ममता में ही डूबे - डूबे ,

दुनिया का नयापन आया , 

आश्चर्य - चकित हो उसको हमने ,

अद्भुत रस में पाया | 


उस आश्चर्य - चकित चमकार में ,

कभी - कभी भय पाया ,

कुछ चीजों के नए रूप ने ,

हमको खूब डराया | 


भय में ,डर में डूबे - डूबे ,

क्रोध कभी उपजाया ,

जब भय को दूर ना कर पाए ,

तो रस रौद्र बन आया | 


मन में रहा क्रोध तो वह ,

शोक बन कर सामने आया ,

उसी शोक ने अंदर ही से ,

रस को अब करुण बनाया | 


करुणा जब बढ़ चली बहुत ही ,

घृणा भी उपजी उससे ,

क्यों हम बढ़ चले ऐसी राह पे ? 

जिसने घृणा को उपजाया | 


तभी अचानक उपजी हिम्मत ,

उत्साह सा हममें जागा ,

पहना वीरों का चोला हमने ,

वीरता के रस को और जगाया | 


वीर बने हम और हमारा ,

श्रृंगार बनी हमारी वीरता ,

ऐसे में ही मिली हमें ,

उपहार स्वरूप हमारी प्रेरणा | 


जिसने प्रेरित किया हमें ,

हर पथ पर वीरता से चलने को ,

और उसी श्रृंगार भरी ,

प्रेरणा ने प्रेरित कर हमें जगाया | 


आज सभी कुछ सोच के हम ,

हँस पड़ते हैं बंधु ,

सारे रसों के बाद आज ,

हास्य रस जीवन ने उपजाया | 


जीवन बना रसों का सागर ,

हर रस की लहरें बहती हैं ,

कोई थोड़ी छोटी है ,

तो किसी को बड़ा बनाया | 


Tuesday, April 12, 2022

GARJAN ( JALAD AA )

 

                             गर्जन  

 

कोसों दूर गगन में छाए ,कारे - कारे बदरा ,

रिमझिम - रिमझिम बरसेंगे ,तभी भीगेगा मेरा अँचरा | 

 

बदरा की रिमझिम से ,धरती हरी चुनर ओढ़ेगी ,

खुश होकर फिर धरा ,आशीष उसे दे देगी | 

 

बदरा भी फिर खुश होकर ,गगन में नाच दिखाए ,

संग दामिनी चमक -चमक कर ,साज बजाती जाए | 

 

बदरा की गर्जन से तो ,दिल की धड़कन बढ़ जाए ,

दामिनी की चमकार तो मुझ में ,हिम्मत बहुत बढ़ाए | 


रात की काली चादर में ,जग समस्त सो जाए ,

अंतरिक्ष में जगमग तारे ,बदरा में छिप जाएँ | 


लाखों तारों की चमक ,मेरे नयना चमकाए ,

मेरा चाँद तो मेरे पास है ,और मुझे क्या भाए ? 


बदरा की रिमझिम से तो ,अनवरत जल बरसा जाए ,

उससे प्रेरित मेरी लेखनी ,शब्द बरसाती जाए | 


शब्दों में दिल है छलकता ,भाव खूब दर्शाए ,

भावों भरी मेरी रचना ,दोस्ती खूब निभाए | 


बदरा की तो दोस्त दामिनी ,संगत खूब निभाए ,

मेरे  दोस्त तो आप सभी हैं ,जो हौसला  मेरा बढ़ाएँ | 


Monday, April 11, 2022

KYAA HOTA HAI ? (JIVAN )

  

                 क्या होता है ? 


किसी से नजरें चार करके जाना ,

दिल का खो जाना क्या होता है ? 

किसी के बोल सुनके ये जाना ,

कानों में रस घुल जाना क्या होता है ? 


प्यार का अहसास होने पर ही ये जाना ,

प्यार में पूरी तरह डूब जाना क्या होता है ? 

थोड़े समय की जुदाई से ही ये जाना ,

जुदाई का दर्द लंबे समय में कैसा होता है ? 


दिल की धड़कनें तेज हुईं तो ये जाना ,

दिल की धड़कनों का रुकना क्या होता है ?

साँसों की रफ़्तार से ही हमने ये जाना ,

साँसों की रफ़्तार का बढ़ना क्या होता है ? 


कल कब होगा ? कैसा होगा ? पता नहीं ,

कल होगा भी या नहीं ,पता नहीं ? 

यदि कल नहीं हुआ ,तो क्या होगा ? 

कल ना होने पर क्या होता है ? पता नहीं | 



Saturday, April 9, 2022

CHITRAKAARIYAN ( GEET )

 

                          चित्रकारियाँ 

 

मुस्कुराहटों के जंगल में ,खो गईं उदासियाँ ,

तुम्हारी आँखों के सागर में डूबने से ,खो गईं उबासियाँ | 

 

ठंडी पवन के झोंकों ने ,दूर कीं गर्माइयाँ ,

तुम्हारे मीठे बोलों ने ,छीन लीं तनहाइयाँ | 

 

कुछ थीं अनकहीं बातें दिल में ,बन गईं कहानियाँ ,

उन्हीं बातों की तो जानम ,हैं आज भी परछाइयाँ | 

 

जिंदगी मानो उड़ रही है ,छू के गगन की बदलियाँ ,

रंग जीवन में भर रहा मानो ,किसी ने कीं चित्रकारियाँ | 

 

जिंदगी में बुनी हुईं हैं ,कितनी ही अनदेखी बुनाइयाँ ,

मगर फिर भी वो तो हैं ,उम्मीदों में डूबी उम्मीदियाँ | 

 

प्यार सबका पाया है हमने ,ऐ हमारी सखियों ,

तभी तो आशाओं में डूबी हैं ,हमारी जिन्दगानियाँ | 

 

Thursday, April 7, 2022

SAHI ARTH ( GEET )

 

                 सही अर्थ 

 

रैना बीती जाए ,

अँधियारी हो या चंदनियारी ,

रैना तो बीती जाए ,

भोर का तारा आए ,

रात को विदा कर जाए ,रैना बीती जाए | 

 

 रात और दिन की तरह ,

जीवन भी तो नश्वर है ,

इसी तरह यह भी बीता जाए ,

एक - एक दिन ,ढलता जाए ,

नश्वर सब संसार है ,

यह संदेश देता जाए ,रैना बीती जाए | 


इसी तरह तो बातें और किस्से ,

सभी बीतते जाएँ ,

यादों में ही रह जाते ,

दुनिया से सब गुम हो जाते ,

और हम कहते रह जाते ,

बीती बातें बीत गईं हैं ,

क्यों याद करते जाएँ ? रैना बीती जाए | 


ये तो समय का पहिया है ,

ये तो चलता जाए ,

चलते - चलते ये जीवन का ,

सही अर्थ समझाए ,सही अर्थ समझाए ,

रैना बीती जाए ,सच में रैना बीती जाए |